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आमतौर पर जब लोगों को अपना कैलोरी इनटेक कम करना होता है, तो वो सबसे पहले डेयरी प्रोडक्ट्स लेना बंद करते हैं. इस पर एंटी-डेयरी लॉबी के कई तर्क हैं. लेकिन ज्यादातर डाइटरी गाइडलाइंस में कम फैट वाले डेयरी को हेल्दी डाइट के अहम हिस्से के तौर पर शामिल किया जाता है.
फिर भी, डेयरी प्रोडक्ट्स पर राय अभी भी बंटी हुई है.
दिलचस्प बात ये है कि इसके न्यूट्रिशन प्रोफाइल (कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन A, B विटामिन्स और प्रोटीन) और हड्डियों को होने वाले फायदे के अलावा वेट मैनेजमेंट में डेयरी प्रोडक्ट्स की भूमिका पर अभी भी ज्यादा बात नहीं की जाती है. लोगों में ये डर है कि डेयरी प्रोडक्ट्स से मोटापा बढ़ता है, बल्कि डेयरी से इसका ठीक उल्टा होता है.
कैल्शियम, डेयरी प्रोडक्ट्स में भरपूर पाया जाने वाला पोषक तत्व है. ऐसा कहा जाता है कि कैल्शियम वजन कम करने में मददगार होता है.
एक स्टडी कहती है कि जो लोग लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स लेते हैं, उनका बॉडी फैट परसेंट और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) उन लोगों की तुलना में कम होता है, जो डेयरी प्रोडक्ट्स नहीं लेते हैं.
कैल्शियम का सेवन बढ़ाने से वजन अधिक होने का जोखिम एक अनुमान के अनुसार 70% तक कम हो सकता है. कई स्टडीज के मुताबिक नियमित रूप से 300 मिलीग्राम तक कैल्शियम की मात्रा बढ़ाने से बच्चों का करीब 1 किलो तक वजन कम हो सकता है और बड़ों का 2.5-3.0 किलो तक वजन कम हो सकता है.
पर्याप्त कैल्शियम लेने से ब्लड प्रेशर, ब्लड क्लॉटिंग और नर्व इंपल्स ट्रांसमिशन को मेंटेन करने में मदद मिलती है. इससे पीरियड्स से होने वाली तकलीफें और कोलोन कैंसर तक का खतरा कम हो सकता है.
जिन्हें लैक्टोज इंटोलरेंस की दिक्कत है, उन्हें उदास होने की जरा भी जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसे लोग कैल्शियम से भरपूर सोया, टोफू, सोया मिल्क, हरी पत्तेदार सब्जियां, तिल, फ्लैक्स सीड्स, बादाम और रागी ले सकते हैं. हालांकि डेयरी प्रोडक्ट्स ज्यादा प्रभावी होते हैं क्योंकि इनमें पाया जाने वाला कैल्शियम बाकी सोर्सेज के कैल्शियम की तुलना में अच्छी तरह अवशोषित होता है. इसमें सोया एक अपवाद है.
जी हां, अच्छी बात ये है कि डेयरी प्रोडक्ट्स में सिर्फ कैल्शियम ही नहीं बल्कि ढेर सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं. रिसर्चर्स का मानना है कि डेयरी में कुछ और भी तत्व हैं, जो बहुत काम के हैं जैसे व्हे प्रोटीन, CLA (conjugated linoleic acid) और ब्रांच्ड-चेन अमीनो एसिड्स.
दूध और दही में व्हे प्रोटीन होता है, जिससे मसल्स बिल्डिंग में मदद मिलती है और ये मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने में भी मदद करता है. स्टडीज के मुताबिक डेयरी में पेपटाइड्स की मात्रा पाई जाती है, जिससे फैट का सिंथेसिज घटाने में मदद मिलती है.
दूध और मक्खन जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स और मवेशी के मीट में Conjugated Linoleic acid (CLA) पाया जाता है. ये एक ट्रांस फैट है, जो दूसरे ट्रांस फैटी एसिड की तरह नुकसान नहीं करता. कई स्टडीज कहती हैं कि CLA मेटाबॉलिक रेट बढ़ाता है. CLA एक खास एंटी-कैंसरजन है, ये कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है और ट्यूमर को बढ़ने नहीं देता है.
रिसर्चर्स ने ये भी पाया है कि CLA कोलेस्ट्रॉल घटाने और धमनियों में प्लैक के जमाव को घटाने में मदद करता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं. एंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स को रोककर दिल की बीमारियों और कैंसर से बचा सकते हैं. साथ ही ये इम्यून सिस्टम को भी दुरुस्त रखते हैं.
इसलिए अगली बार जब आप चीज़ की कोई स्लाइस लीजिए, तो खुद को गुनाहगार मत समझिएगा. ये इतनी बुरी नहीं है, जितना आप समझते हैं. बशर्ते आप कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स लेते रहें और अपने कुल कैलोरी सेवन को कंट्रोल में रखें. रोजाना कम से कम 2-3 बार लो फैट डेयरी लेने की कोशिश करें ताकि आपका रोजाना का कैल्शियम इनटेक 600-1000 mg रहे.
आप इससे समझ सकते हैं - 1% वसा कॉटेज पनीर (1 कप) में 70 मिलीग्राम कैल्शियम होता है, बिना फैट वाले दही में (1/2 कप) में 225 मिलीग्राम कैल्शियम होता है, स्किम्ड दूध (1 कप) में 300 मिलीग्राम, जबकि पके हुए सोयाबीन (1 कप) 450 मिलीग्राम कैल्शियम होता है.
तथ्य: दूध में पानी डालने से उसमें मौजूद पोषक तत्व डायल्यूट हो जाते हैं, जिससे दूध की न्यूट्रिशनल डेंसिटी कम हो जाती है.
तथ्य: असल में दूध का कॉर्डियो-प्रोटेक्टिव असर पड़ता है. एक स्टडी के मुताबिक जो लोग दूध पीते हैं, उन्हें इस्किमिक स्ट्रोक का खतरा कम होता है और ऐसे में जाहिर है कि उनमें इस्किमिक हार्ट डिजीज का खतरा भी कम होता है.
तथ्य: भले ही दूध कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर हो, लेकिन इसमें आयरन, विटामिन C, D, E और K की कमी होती है.
तथ्य: हर किसी को दूध की जरूरत होती है क्योंकि यह पूरे जीवन कैल्शियम आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है और उम्र बढ़ने की वजह से कमजोर हो रही हड्डियों को मजबूत करता है (ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर का खतरा कम करता है).
(लेखिका क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट हैं और www.theweightmonitor.com की फाउंडर हैं.)
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Published: 01 Jun 2018,09:46 AM IST