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जब वो आपके सामने नहीं होता तो आप परेशान हो जाते हैं और अगर गलती से कभी घर छूट जाए तो आप बेचैन हो उठते हैं. हम आपके ‘पेट डॉग’ या ‘लंच बॉक्स’ की बात नहीं बल्कि आपके स्मार्टफोन की बात कर रहे हैं. लोगों की बेसिक जरूरतों में रोटी,कपड़ा और मकान तीन चीजें आती हैं लेकिन अब चौथे नंबर पर स्मार्टफ़ोन ने अपनी जगह बना ली है.
आपके जागने से सोने तक हर वक़्त फ़ोन साथ रहता है और आप इस आदत को यह कहकर सही भी ठहराते हैं कि ऐसा इसलिये करना पड़ता है ताकि काम का कोई ज़रूरी ईमेल या मैसेज छूट ना जाए. मगर, सच तो ये है कि आपको फ़ोन की स्क्रीन पर अपनी उंगलियां फेरने में ज़्यादा मजा आता है. लेकिन स्मार्टफोन को एक लत बना चुके लोगों को यह पता होना चाहिए कि अगर वो अपने फ़ोन से हर समय चिपके रहते हैं तो उनके चेहरे पर झुर्रियों की लकीरे बुढ़ापे का एहसास दिलाएंगी.
टेक्सट नेक, धुंधली नज़र, सेल्फ़ी डेथ और कार्पल टनल सिंड्रोम के बाद अब स्मार्टफ़ोन यूजर्स के सामने ‘स्मार्टफ़ोन फ़ेस’ के ख़तरे ने दस्तक दे दी है. अगर आपका सबसे क़रीबी और बेहतरीन साथी आपका फ़ोन है तो आपको ‘स्मार्टफ़ोन फ़ेस’ का ख़तरा हो सकता है. ‘स्मार्टफ़ोन फेस’ की वजह से आपके चेहरे पर झुर्रियां पड़ सकती हैं, जैसा कि स्मोकिंग करने वालों के ऊपरी होंठ के आस-पास देखने को मिलती हैं। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि जब आप स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं तो गर्दन और चेहरे की मांसपेशियां मुड़ती हैं, उनमें झुकाव होता है, जिससे आपको ‘स्मार्टफोन फेस’ या यू कहें कि टेक-नेक रिंकल्स की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आजकल 18 से 39 साल की उम्र के कई लोगों में लटके चेहरे, टेक-नेक रिंकल्स के साथ देखने को मिल जाते हैं.
खैर, अगर आप जल्द ही अपने स्मार्टफोन से अपना करीबी रिश्ता नहीं तोड़ते हैं तो वक्त से पहले ही आपके चेहरे और गर्दन पर झुर्रियों का बसेरा हो सकता है, इसलिये बेहतर होगा कि आप अपने स्मार्टफ़ोन से थोड़ी दूरी बना लें.
जब आप एक ब्राइट स्क्रीन पर छोटे टेक्स्ट पढ़ते हैं, तो आपकी आंखों के चारों ओर की त्वचा पर अत्यधिक दबाव पड़ता है. स्किन स्पेशलिस्ट्स का कहना है कि बहुत सारी युवतियां आंखों के आस-पास की इन झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिये आती रहती हैं. सामान्य तौर पर आंखों के आस-पास की यह झुर्रियां 30 या 40 की उम्र तक दिखाई नहीं देतीं.
आंखों को आराम देने के लिये, अपनी स्क्रीन की ब्राइटनेस को एडजस्ट करें. भले ही यह आपको थोड़ा अजीब महसूस हो लेकिन अपने फ़ोन के टेक्स्ट साइज़ को बड़ा रखें और पूरे दिन अपनी त्वचा को अच्छी तरह हाइड्रेट और मॉइस्चराइज़ रखें.
रात को सोने से पहले आख़िरी ईमेल पढ़ना आपके शरीर की मेलाटोनिन पैदा करने की शक्ति में बड़े लेवल पर गड़बड़ी कर सकता है, यह वो केमिकल है जिसकी मदद से आपको अच्छी नींद आती है. आपके फ़ोन से निकलने वाली नीली रोशनी अच्छी नींद को बर्बाद करती है, जिससे आपकी आंखों में घबराहट होती है, आंखों के आसपास सूजन और त्वचा फीकी नज़र आती है.
बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होने पर फ़ोन काफ़ी गर्म हो जाते हैं, जो संवेदनशील त्वचा के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं. और त्वचा पर मुंहासे बढ़ने लगते हैं. मेलाटोनिन के प्रोडक्शन में गड़बड़ी हो सकती है, जिससे चेहेर पर काले धब्बे पड़ सकते हैं और इन्हें हटाना बहुत मुश्किल होता है।
जितना हो सके इयरफ़ोन का उपयोग करें और दिन में कम से कम एक बार एंटीबैक्टीरियल वाइप के साथ अपने फ़ोन की स्क्रीन को साफ करें. तनाव की वज़ह से मुंहासे बढ़ते हैं, इसलिए गहरी सांस लें, दिन में कम से कम 10 मिनट के लिए मेडिटेशन करें.
आपको फ्रेश और एक्टिव महसूस करने के लिये 8 घंटे नींद लेना ज़रूरी है, इसलिए अगर आप रात में अपने फ़ोन को दूर नहीं रख सकते तो कम से कम स्क्रीन ब्राइटनेस को कम करें और इंटेन्सिटी को कम करने के लिये ब्लू-लाइट-ब्लॉकिंग-कवर ख़रीद सकते हैं, जो आपको आसानी से ऑनलाइन मिल जाएगा.
आपकी गर्दन की त्वचा आपकी चेहरे की त्वचा से अधिक संवेदनशील होती है. कोलेजन फाइबर एक तय समय और संख्या में टूटते हैं, लेकिन गर्दन के निरंतर ऊपर-नीचे होने से त्वचा के छोटे कोलेजन फाइबर टूटते है और झुर्रियां दिखाई देने लगती हैं.
अपने फ़ोन को आंखों के लेवल पर रखें ताकि आपकी त्वचा बहुत अधिक ना मुड़े और हमेशा अपनी जॉ-लाइन और गर्दन के आस-पास की त्वचा में कसाव के लिये क्रीम लगाएं. टेक-नेक सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन स्किनरोग विशेषज्ञों का कहना है कि इस बात के सबूत है कि यह समस्या बड़ी है और तेज़ी से फैल रही है.
तो, बेहतर होगा कि फोन में नीचे देखने के बजाए, कुछ वक़्त गर्दन ऊपर कर नीले आसमान को देखें और खुली हवा में सांस लें, यक़ीन मानिए कि इसके बाद आपकी गर्दन और आप ख़ुद मुझे धन्यवाद देंगे.
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