क्या पेट के कीड़े मारने वाली दवाइयां कोरोना की रोकथाम कर सकती हैं?
हम सभी जानते हैं कि अब तक किसी ऐसी दवा की पुष्टि नहीं हो सकी है, जो हमें SARS-CoV-2 यानी नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाती हो.
लेकिन फिर भी वायरस से बचने के लिए लोग खुद से भी कई उपाय कर रहे हैं और दूसरों को भी मशवरा दे रहे हैं, इस बात की परवाह किए बगैर उसका क्या असर होगा.
फिट को पता चला है कि मुंबई में कई लोग COVID-19 से बचने के लिए एंटी-पैरासाइट दवाइयां जैसे आइवरमेक्टिन (Ivermectin), Zentel जैसी पेट के कीड़े मारने वाली दवाइयां ले रहे हैं.
कुछ रिपोर्ट्स हैं जिनमें बताया गया है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए मुंबई के धारावी में Ivermectin दवा का इस्तेमाल किया गया. आगरा में भी इस दवा को हॉटस्पॉट, झुग्गी बस्तियों और क्लस्टर में बांटने की योजना बनाने की रिपोर्ट है.
क्या जिन दवाइयों का इस्तेमाल पेट के कीड़े मारने के लिए होता है, वो कोरोना महामारी में भी कारगर हो सकती हैं? इस पर किस तरह के साइंटिफिक एविडेंस हैं?
आइवरमेक्टिन हो या Zentel या कोई भी दूसरी दवा, डॉक्टरों की अपील है कि लोग खुद से इनका इस्तेमाल न करें.
मुंबई में एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. रमाकांत पांडा और फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में हेमेटोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड और डायरेक्टर डॉ राहुल भार्गव आइवरमेक्टिन को लेकर बताते हैं कि ट्रायल अभी चल रहे हैं, ये देखने के लिए कि ये COVID-19 के खिलाफ असरदार है या नहीं.
डॉ पांडा कहते हैं, "जब तक नतीजे सामने नहीं आते, COVID-19 के इलाज में इनके इस्तेमाल की सलाह मैं नहीं दूंगा और जिन लोगों को कोरोनावायरस डिजीज नहीं है, उन लोगों के लिए भी इस दवा के रोगनिरोधी/निवारक उपयोग की सलाह बिल्कुल नहीं देता हूं."
कोरोना से बचने के लिए लोगों द्वारा Zentel लिए जाने पर डॉ पांडा कहते हैं कि Zentel के बारे में इसका कोई सबूत नहीं है कि ये COVID-19 के खिलाफ प्रभावी हो और मैं इस दवा के इस्तेमाल की सलाह नहीं दूंगा.
सीनियर गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ अश्विनी सेतिया भी बताते हैं कि ये गलत है, Zentel को हम COVID-19 से बचाने वाली दवा नहीं कह सकते हैं.
इसलिए खुद से पेट के कीड़े मारने वाली दवाइयां ये समझकर न लें कि ये आपको COVID-19 से बचा लेंगी. इस बीमारी से बचना है, तो हमें SARS-CoV-2 वायरस से बचना होगा, जिसके लिए फिजिकल डिस्टेन्सिंग, हैंड हाइजीन, फेस मास्क जैसे उपाय तब से बताए जा रहे हैं, जब से कोरोना का कोहराम शुरू हुआ.
Ivermectin को लेकर एक रिसर्च आर्टिकल 'The FDA-approved drug ivermectin inhibits the replication of SARS-CoV-2 in vitro' आया कि आइवरमेक्टिन इन विट्रो में SARS-CoV-2 को बढ़ने से रोकता है. 'इन विट्रो' यानी वायरस को बढ़ने से रोकने की प्रक्रिया टेस्ट ट्यूब या कल्चर डिश में देखी गई यानी किसी जिंदा जीव के बाहर ऐसा असर देखने को मिला. ये टेस्ट इंसानों पर नहीं हुआ.
ये स्टडी एंटीवायरल रिसर्च में पब्लिश हुई, जिसके ऑथर के मुताबिक Ivermectin को दूसरे RNA वायरस के इन्फेक्शन को सीमित करते देखा जा चुका है, जिसमें वेस्ट Nile वायरस और इन्फ्लूएंजा शामिल है.
डॉ. राहुल भार्गव कहते हैं, "आइवरमेक्टिन एक दवाई है, जिसे अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) ने पैरासिटिक यूज के लिए अप्रूव किया है. लैब की सेटिंग में ये देखा गया कि आइवरमेक्टिन के माध्यम से वायरस बहुत जल्दी 5 हजार गुना कम हो जाता है. इसके मद्देनजर कई जगहों पर इसका इस्तेमाल बढ़ गया."
टाइम्स ऑफ इंडिया की 31 मई की एक रिपोर्ट में बताया गया कि मुंबई के हॉस्पिटल में दिल की बीमारी वाले कोरोना मरीजों के लिए आइवरमेक्टिन के इस्तेमाल को मंजूरी मिली. इसमें इंडियन कॉलेज ऑफ फिजिशियन के डीन डॉ शशांक जोशी के हवाले से कहा गया, "ये उन मरीजों के लिए है, जिनमें हार्ट रिदम की दिक्कतें हैं और जिन्हें आमतौर पर प्रयोग की जाने वाली एंटीमलेरिया दवाइयां नहीं दी जा सकती हैं."
डॉ भार्गव फिट को बताते हैं कि ऐसा पाया गया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के मुकाबले इसके कम साइड इफेक्ट मिले. हालांकि ट्रायल अभी चल रहे हैं.
Ivermectin आमतौर पर पिनवॉर्म (ऐसे कीड़े जो इंसान की आंत या गुदा में रह सकते हैं), नेमाटोड (गोल कीड़े जो पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं) और कभी-कभी सिर के जूं के लिए प्रेस्क्राइब किए जाते हैं. ये आसानी से मिलने वाली दवा है.
ये दवा पैरासाइट यानी परजीवी के मसल और नर्व सेल से जुड़ कर हमला करती है, जिससे परजीवी पैरालिसिस का शिकार होते हैं और इनका खात्मा होता है.
रिसर्चर्स का मानना है कि Ivermectin उन खास प्रोटीन पर भी हमला कर सकते हैं, जो सामान्य तौर पर RNA वायरस पर पाई जाती हैं. इसी कारण ये फ्लू और वेस्ट नाइल को सीमित करते देखे गए.
आइवरमेक्टिन पर रिसर्च आर्टिकल आने के बाद अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) की ओर से साफ किया गया कि कोरोना पर आइवरमेक्टिन के प्रभाव को लेकर जो स्टडी हुई, इस तरह की स्टडी आमतौर पर किसी दवा के विकास के शुरुआती चरणों में उपयोग की जाती है.
ये भी कहा गया कि लोगों को आइवरमेक्टिन का किसी भी रूप में नहीं लेना चाहिए जब तक कि डॉक्टर इसकी सलाह न दे.
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