मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Fit Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019ये रहीं इस साल मेडिकल फील्ड की खास उपलब्धियां

ये रहीं इस साल मेडिकल फील्ड की खास उपलब्धियां

मेडिसिन की दुनिया में इस साल कई अहम नतीजे सामने आए हैं. 

फिट
फिट
Updated:
मेडिसिन की दुनिया में इस साल कई अहम नतीजे सामने आए हैं. 
i
मेडिसिन की दुनिया में इस साल कई अहम नतीजे सामने आए हैं. 
(फोटो: iStock)

advertisement

मॉडर्न मेडिसिन के फील्ड में तरक्की ने कई लोगों की जान बचाई है. हालांकि इलाज की नई पद्धतियों को लेकर काफी सावधान रहने और इनका इस्तेमाल जिम्मेदारी से करने की जरूरत है. खासकर तब, जब ये किसी की जिंदगी से जुड़ी हो.

2018 में चिकित्सा के क्षेत्र में कई सफल खोज हुए, लेकिन क्या उनमें से सभी आम लोगों के इलाज के लिए ट्रेंड में हैं? हालांकि डायबिटीज, कैंसर और अल्जाइमर से जूझ रहे लोगों के लिए एक नई उम्मीद दिखाई दी, लेकिन कुछ चीजों को लेकर मेडिकल समुदाय में विवाद रहा.

हम यहां साल 2018 की कुछ महत्वपूर्ण खोज और स्टडीज के बारे में बता रहे हैं.

1. डेड डोनर के यूटरस ट्रांसप्लांट से गर्भवती महिला ने दिया बच्ची को जन्म

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बांझपन से जूझ रही हजारों औरतों के लिए एक नई उम्मीद है.

दिसंबर 2017 में एक बच्ची का जन्म ऐसी महिला के गर्भ से हुआ, जिसका यूटरस नहीं था. यह एक ऐसा सिंड्रोम है, जो 5,000 महिलाओं में से 1 को प्रभावित करता है.

एक मृत महिला का गर्भ उस महिला में ट्रांसप्लांट किया गया और दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ, जब डेड डोनर के यूटरस की मदद से कोई महिला गर्भवती हुई.

यूटरस ट्रांसप्लांट कर पहले भी 11 बच्चों का जन्म हो चुका है, लेकिन ये सब जीवित महिला का यूटरस ट्रांसप्लांट करने के बाद हुआ है.

विशेषज्ञों का कहना है कि जिन महिलाओं की मौत हो गई हो, उनका यूटरस यूज होने से ज्यादा ट्रांसप्लांट हो सकेंगे.

2. भांग से मिर्गी की दवा बनाने की तैयारी

भांग का दवा बनाने में इस्तेमाल(फोटो: iStock)

चिकित्सा समुदाय ने पहले भी कई बीमारियों के इलाज के लिए मारिजुआना यानी भांग के इस्तेमाल की लंबी वकालत की है. इस साल, अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनस्ट्रेशन (एफडीए) ने मिर्गी में भांग से बनी दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है.

कीमोथेरेपी, चिंता, नींद की बीमारी और लंबे समय से किसी हिस्से में दर्द यानी क्रोनिक पेन (दर्द) में राहत के लिए मेडिकल मारिजुआना के इस्तेमाल के फायदे सामने आए हैं.

इसके साथ ही मेडिकल मारिजुआना के अन्य चिकित्सीय लाभों का पता लगाने के लिए कई शोध हुए हैं और हो रहे हैं. भारत में भी, कुछ रिसर्च सेंटर को मारिजुआना विकसित करने और उसकी टेस्टिंग का लाइसेंस दिया गया है.

3. इम्यूनोथेरेपी के जरिए एडवांस्ड ब्रेस्ट कैंसर का इलाज

स्तन कैंसर के एडवांस्ड स्टेज में एक महिला ने कीमोथेरेपी से इलाज मना कर दिया और ये बीमारी उसके दूसरे अंगों में भी फैल गई, उसे एक प्रयोगात्मक उपचार (एक्सपेरिमेंटल ट्रीटमेंट) से ठीक किया गया, जिसे इम्यूनोथेरेपी कहते हैं.

इस बीमारी के अंतिम स्टेज में पहुंच चुकी महिलाओं के इलाज में इम्यूनोथेरेपी का ये नया तरीका कारगर साबित हुआ, जिससे वो पीड़ित महिला पिछले 2 साल से कैंसर फ्री लाइफ जी रही है. इम्यूनोथेरेपी के सफल इलाज का परिणाम इस साल की शुरुआत में रिपोर्ट किया गया था, विशेषज्ञों ने इसे रोमांचक और मेडिकल क्षेत्र में नई उम्मीद बताया.

फेफड़े, गर्भाशय, रक्त कोशिकाओं (ल्यूकेमिया), त्वचा (मेलेनोमा) और ब्लैडर (मूत्राशय) के कैंसर से पीड़ित कुछ लोगों में इम्यूनोथेरेपी का असर देखा जा चुका है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

4. टाइप 2 डायबिटिक लोगों के लिए आर्टिफिशियल पैनक्रियाज

टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों के इलाज के लिए 'आर्टिफिशियल पैनक्रियाज' नाम के एक उपकरण का उपयोग 2016 में ही किया जा चुका है. यह रोगियों में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है, जो काम पैनक्रियाज करता है, इसलिए इसे आर्टिफिशियल पैनक्रियाज नाम दिया गया.

इस साल, एक नए अध्ययन में, आर्टिफिशियल पैनक्रियाज का एक और फायदा देखा गया. टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित मरीजों में बल्ड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में कृत्रिम पैनक्रियाज का इस्तेमाल इंसुलिन लेने की तुलना में बेहतर पाया गया. भारत में लगभग 72 मिलियन लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और उनमें से ज्यादातर टाइप 2 डायबिटीज के रोगी हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि, भविष्य में यह तकनीक स्वास्थ्य परिणामों में सुधार कर सकती है और हर साल अस्पतालों में भर्ती डायबिटीज के लाखों रोगियों के ग्लूकोज के स्तर को मैनेज करने की प्रकिया में लगे डॉक्टरों और नर्सों के काम को आसान बना सकती है.

5. दिमाग में अल्जाइमर के जीन का प्रभाव खत्म करना

इस साल, वैज्ञानिकों ने पहले अल्जाइमर के खतरे को बढ़ाने वाले प्रमुख जीन की पहचान की और फिर उसके प्रभावों को खत्म करने में कामयाब हुए. यह अल्जाइमर के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन इसका पूरी तरह से इलाज अभी भी बाकी है.

दशकों से अरबों डॉलर के शोध के बाद, क्लीनिकल ट्रायल में अल्जाइमर के दवाओं की असफलता दर 99.6 प्रतिशत रही है.

अभी तक बाजार में ऐसी कोई दवा या इलाज नहीं है, जो इस इस गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी को ठीक या कम कर सके.

6. जीन-एडिटेड बेबीज

अब, यहां कुछ ऐसा है जिसे लेकर मेडिकल समुदाय में विवाद है.

चीन के एक रिसर्चर ने दावा किया कि उन्होंने दिसंबर में दुनिया के पहले आनुवांशिक रूप से संशोधित जुड़वा बच्चियों के पैदा होने में मदद की, जिनके डीएनए में बदलाव किए गए थे.

लेकिन बीबीसी की एक रिपोर्ट ने इस दावे को "संदिग्ध" बताया था, इस रिपोर्ट में कहा गया कि चीनी शोधकर्ता के दावों के बाद कई संदेह उठ रहे हैं. कई वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने दावा किया कि आनुवांशिक रूप से संशोधित बच्चों की रिपोर्ट "असत्यापित" थी.

गर्भधारण के समय या उससे पहले डीएनए बदलना बेहद विवादास्पद है क्योंकि इससे अन्य जीनों को नुकसान पहुंच सकता है. लैब रिसर्च को छोड़कर संयुक्त राज्य सहित कुछ देशों में इसे प्रतिबंधित किया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि यह जीन संशोधन के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए एक पैनल बना रहा है.

यह हमें दिखाता है कि जब हम बेहतर जीवन के लिए तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, हमें अनियमित विकास से सावधान रहना होगा, जिनका दूरगामी बुरा प्रभाव पड़ सकता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 22 Dec 2018,06:05 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT