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हेल्दी डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए क्या कहता है आयुर्वेद?

जानें हाजमा दुरुस्त करने के खास आयुर्वेदिक टिप्स.

नूपुर रूपा
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आयुर्वेद, पचाने वाली आग की भूमिका पर जोर देता है, जिसे ‘अग्नि‘ कहते हैं.
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आयुर्वेद, पचाने वाली आग की भूमिका पर जोर देता है, जिसे ‘अग्नि‘ कहते हैं.
(फोटो: iStockphoto)   

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स्ट्रेस, टेंशन, खानपान की खराब आदतें और हमारी अनहेल्दी लाइफस्टाइल- इन सबका का बुरा असर हमारी सेहत पर पड़ा है. हालांकि, लाइफस्टाइल की गंभीर बीमारियों के पूरी तरह से सामने आने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन इनके लक्षण पहले से नजर आने लगते हैं. हम में से अधिकतर लोग सुस्त महसूस करते हैं, अपच, एसिडिटी, पेट खराब होना, भूख कम लगना, क्रेविंग और बहुत कुछ अनुभव करते हैं.

वैज्ञानिकों का मानना है कि सभी रोग गट यानी हमारे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में शुरू होते हैं. इसलिए, अगर कुछ गलत है, तो शरीर पेट की परेशानी से गुजरता है. ये पहले सामने आने वाले संकेत होते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए या खुद से इलाज नहीं करना चाहिए, जैसे कि एंटासिड की गोलियां खाना.

गट हमारी सुरक्षा का पहला लेवल है, जो हमें संक्रमण से या अगर कुछ भी खतरनाक खा लिया गया है, तो उससे बचाता है. पेट को हेल्दी रखना हेल्थ और वेलनेस के लिए महत्वपूर्ण है.

गट क्या है? जठरांत्र संबंधी मार्ग (gastrointestinal tract) का दूसरा नाम है, जो पाचन तंत्र का अहम हिस्सा है. ये हमारे मूड और मेमोरी को भी प्रभावित करता है.

मानव शरीर में 100 ट्रिलियन बैक्टीरिया होते हैं, जिनमें से अधिकतर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (गट) में होते हैं. ये बैक्टीरिया शरीर के सभी कार्यों, एनर्जी लेवल, क्रिएटिविटी और मूड को प्रभावित करते हैं.

क्या कहता है आयुर्वेद?

गट की दिक्कतें आमतौर पर कब्ज, एसिडिटी, भूख की कमी, क्रेविंग, पेट फूलने और गैस के रूप में सामने आती है. (फोटो: iStockphoto)

एक प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथचरक संहिता कहता है, ‘शक्ति, स्वास्थ्य, दीर्घायु और प्राणवायु चयापचय यानी मेटाबॉलिज्म सहित पाचन की शक्ति पर निर्भर करती है. जब भोजन और पेय के रूप में ईंधन की आपूर्ति की जाती है, तो पाचन की ये शक्ति बनी रहती है; आपूर्ति न होने पर ये घट जाती है.’

जब पाचन कमजोर होता है, भोजन पचाने और अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकालने का काम गंभीर रूप से प्रभावित होता है. अपशिष्ट पदार्थ बाहर नहीं निकलने पर शरीर में विषाक्त पदार्थों या ’अमा’ बनता है.

खराब पाचन से उत्पन्न होने वाले विषैले पदार्थ 'अमा' की मौजूदगी शरीर में सभी तरह की बीमारियों का कारण है. अष्टांग हृदय सूत्र में उल्लेख है कि 'अमा' मार्गों को अवरुद्ध करता है. यह अपच, सुस्ती के लिए जिम्मेदार है. इससे शरीर भारीपन महसूस करने के साथ ही कम ऊर्जा, बेचैनी, विषाक्त पदार्थों का संचय और स्वाद खत्म होने की दिक्कतों का सामना करता है.

गट की दिक्कतें आमतौर पर कब्ज, एसिडिटी, भूख की कमी, क्रेविंग, पेट फूलने और गैस के रूप में सामने आती है.

गट की दिक्कतों से राहत के लिए आयुर्वेदिक टिप्स

आपको एक पौष्टिक नाश्ता, दोपहर का संतुलित भोजन और रात का हल्का भोजन करने की जरूरत है. (फोटो: iStockphoto)

आयुर्वेद, पचाने वाली आग की भूमिका पर जोर देता है, जिसे ‘अग्नि‘ कहते हैं. ये उस भोजन को तोड़ने के लिए जिम्मेदार है, जो भी हम पर्यावरण से ग्रहण करते हैं. यह उपयोगी चीजों को लेने और अवांछित चीजों को बाहर निकालने में मदद करता है.

जब हमारा पाचन मजबूत होता है तो यह प्रक्रिया कुशलता से होती है. शरीर स्वास्थ्य और ऊर्जा का रहस्य ओजस को प्रोड्यूस करने में सक्षम होता है. ओजस संपूर्ण स्वास्थ्य, ऊर्जा और आजीविका के लिए जिम्मेदार सार है. यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का आधार है. यह ताकत और इम्यूनिटी में मदद करता है.

अनहेल्दी लिविंग, निगेटिव इमोशनल एनर्जी, सुस्त लाइफस्टाइल, जंक फूड खाने, हेल्दी रूटीन न रखने और नींद की कमी से अग्नि कमजोर हो जाती है.

स्वास्थ्य की दिशा में पहला कदम खुद के लिए रूटीन बनाना है जैसे वर्क कंडीशन, शेड्यूल, रिस्पॉन्सिबिलटी और ड्यूटी. अगर आप अपने हेल्थ को प्राथमिकता देते हैं तो फ्रेश ऑर्गेनिक फूड खाना, रेगुलर एक्सरसाइज प्रोग्राम और तनाव मुक्त होना बहुत महत्वपूर्ण है.

इसके लिए सिंपल स्टेप्स के साथ शुरुआत करें. आप प्रोसेस्ड, बासी और ऑयली फूड खाना बंद कर दें. आपको एक पौष्टिक नाश्ता, दोपहर का संतुलित भोजन और रात का हल्का भोजन करने की जरूरत है.

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तय समय पर खाएं

दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच दोपहर का भोजन करने से पाचन में मदद मिलती है क्योंकि उस समयअग्नि सबसे मजबूत होती है. सूरज ढलते ही यह कम हो जाती है. रात का खाना रात 8 बजे से पहले खाना चाहिए.

घर का खाना खाइए

ऑफिस कैफेटेरिया में खाने से बचने के लिए लंच पैक करके ले जाएं.(फोटो: iStockphoto)

ऑफिस कैफेटेरिया में खाने से बचने के लिए लंच पैक करके ले जाएं. जीरा और अपनी पसंद के मसालों के साथ कोई भी मौसमी सब्जी, रोटी और दही एक आसान और हेल्दी ऑप्शन हो सकता है.

डिनर दिन का सबसे हल्का भोजन हो, जीरा, अदरक और सब्जियों के साथ एक सिंपल खिचड़ी आपको तृप्त करने के साथ ही आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सकती है.

पर्यावरण की भूमिका

पर्यावरण और जिस तरह से हम भोजन लेते हैं, वह अच्छे पाचन के लिए महत्वपूर्ण है. अगर हम बिना किसी टाइमटेबल के, बिना रुचि या अनमने ढंग से अनहेल्दी खाना खाते हैं. निगेटिव फीलिंग्स या विचारों को बढ़ावा देते हैं, तो हमें पेट संबंधी समस्या हो सकती है.

आयुर्वेद में कृतज्ञता के साथ भोजन करने की सलाह दी जाती है. जब हम भोजन को आशीर्वाद मानते हैं, तो हम सकारात्मक भावनाओं का अनुभव करते हैं, जो पाचन को बढ़ाती हैं. मन लगाकर खाना खाने के लिए बैठना, टीवी देखे बगैर या मोबाइल पर मैसेज किए बिना भोजन करना भी मददगार होता है.

एसिडिटी से निपटने के 10 आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे

खाने के बाद जीरा, अदरक और काला नमक के साथ मसालेदार छाछ पीएं. (फोटो: iStockphoto)
  • दिन में तीन बार भोजन करें. कई कप कॉफी पीना या उपवास करना और खाना न खाने से भी एसिडिटी होती है.
  • उठते ही फ्रैश होने से पहले एक कप गर्म पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ होता है.
  • सुबह के नाश्ते में ताजे फल लें. फलों को सुबह खाना चाहिए.
  • भोजन से पहले अदरक के टुकड़े को नींबू के रस में भिगोकर खाने से अग्नि बढ़ती है, जिससे पाचन प्रक्रिया तेज होती है.
  • पर्याप्त पानी पीएं लेकिन भोजन करते समय पानी या पेय पदार्थ लेने से बचें क्योंकि यह अग्नि को कम कर देगा, जिससे पाचन धीमा हो जाएगा. भोजन से 30 मिनट पहले या बाद में पानी पीना फायदेमंद है.
  • ठंडा पानी अग्नि को कमजोर करता है, इसलिए किसी भी पेय को कमरे के तापमान पर लाएं. बर्फ के साथ पानी पीना बंद करें.
  • खाने के बाद जीरा, अदरक और काला नमक के साथ मसालेदार छाछ पीएं.
  • सोते समय वात के लिए जायफल वाला, कफ के लिए अदरक और पित्त के लिए इलायची वाला गर्म दूध पीना फायदेमंद है.
  • आपका लाइफस्टाइल समय के साथ विकसित हुआ है. आप इसे एक दिन में नहीं बदल सकते. आयुर्वेदिक सिद्धांतों का पालन करने के लिए छोटे कदम उठाएं. एक सिंपल मेन्यू प्लान बनाएं और वीकेंड पर दूसरी चीजों को लें.
  • शुरू में जब आप स्टार्ट करते हैं, तो आपको यह भोजन दोष लग सकता है. हालांकि, स्वाद में कमी और मसालेदार और तले हुए भोजन की लालसा पोषक तत्वों की कमी का संकेत है.
  • एक महीने तक इस रूटीन को फॉलो करने के बाद जल्द ही आपको मजा आने लगेगा. जैसे-जैसे आपका पाचन बेहतर होगा आप अधिक ऊर्जावान और एक्टिव हो जाएंगे. एक बार जब आप बेहतर स्थिति का अनुभव करते हैं, तो आप पुराने तरीकों की तरफ कभी नहीं लौटेंगे.

(नूपुर रूपा एक फ्रीलांस राइटर और मदर्स की लाइफ कोच हैं. वो पर्यावरण, भोजन, इतिहास, पालन-पोषण और यात्रा पर आर्टिकल लिखती हैं.)

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Published: 02 May 2019,12:33 PM IST

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