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ट्रिनिटी हॉस्पिटल की स्टडी (2013) के मुताबिक रोजाना 30 साल तक के 900 भारतीयों की मौत हार्ट अटैक से होती है.
आज के दौर में ये अब सिर्फ बुजुर्गों की दिक्कत नहीं रही. 20 से 30 की उम्र तक के लोग अपने दिल की सेहत को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि इसके लिए हमारी लाइफस्टाइल जिम्मेदार है.
हार्ट अटैक के बाद ऋषभ ने तो अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव कर लिए हैं. लेकिन ऋषभ जैसे हजारों लोग हैं, जिन्हें दूसरा मौका नहीं मिलता.
ऋषभ की हार्टबीट 22-23 प्रति मिनट हो गई थी, जो कि बेहद खतरनाक स्थिति है. सामान्य तौर पर हार्टबीट 70-80 प्रति मिनट होनी चाहिए. रात को घर आने के बाद ऋषभ बेहोश हो गए और वो अकेले थें. शुक्र है कि ऋषभ के मौसाजी यूं ही मिलने पहुंच गए. जब ऋषभ ने दरवाजा नहीं खोला, तो वो दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे.
ऋषभ को आईसीयू में एडमिट कराया गया और उन्हें दो दिन बाद होश आया.
ऋषभ बताते हैं, 'मैं इस तरह से पला-बढ़ा हूं कि मुझे कभी बहुत काम करने की जरूरत नहीं पड़ी. इसलिए जब मैंने काम करना शुरू किया, तो काफी स्ट्रेस ले लिया. मैं 12 घंटों तक काम करता और उसके बाद भी काफी देर में सोता था. अपनी डाइट और एक्सरसाइज पर ध्यान नहीं देता.'
डॉ माथुर के मुताबिक किसी को देखकर इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. ऐसे बहुत से दिल के मरीज हैं, जो दिखने में दुबले-पतले होते हैं और उनकी लाइफस्टाइल भी काफी एक्टिव होती है. लेकिन अगर किसी में ये रिस्क फैक्टर्स- फैमिली हिस्ट्री, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, धूम्रपान हैं. ऐसे में हार्ट अटैक आने का खतरा रहता है.
डॉ माथुर बताते हैं कि जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज भी ठीक नहीं है. अगर कोई बहुत कठिन एक्सरसाइज करता है, जैसे कोई रोज दौड़ता है या कोई गेम खेलता है, इस वजह से भी धमनियों में एकाएक ब्लॉकेज हो सकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है.
इसलिए ये जरूरी है कि जिन लोगों को इसका खतरा है, उन्हें नियम से जांच कराते रहना चाहिए.
बीमारी का इंतजार ना करें, बचाव के तरीके अपनाएं. शुरुआत से ही हेल्दी आदतें विकसित कर लें.
कैमरा पर्सन: अभय शर्मा और सुमित बडोला
वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
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Published: 29 Sep 2018,05:35 PM IST