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दिल का रोग तो बड़ा बेदर्द है. ये किसी गाने की लाइन नहीं बल्कि हिदायत है, उनके लिए जो ये समझते हैं कि दिल की बीमारी का लक्षण वैसा ही होता है, जो आमतौर पर लोग जानते हैं. लेकिन जरा रुकिए और इस बात पर ध्यान दीजिए.
रिसर्च कहता है कि महिलाओं में और पुरुषों में होने वाले दिल के रोग के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं.
अमेरिका की हार्ट मैगजीन के अनुसार अमेरिका में महिलाओं की होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह दिल की बीमारी है. इसकी वजह ये है कि महिलाओं को होने वाले दिल के रोग के लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं. महिलाएं उन लक्षणों को एसिड रिफल्क्स या नॉर्मल फ्लू या उम्र के कारण होने वाली दिक्कतें समझ कर नजरअंदाज कर देती हैं.
डॉ विवेका कुमार के अनुसार दिल की बीमारियों की 90 % तक वजह लाइफ स्टाइल है. वो कहते हैं कि भारत में लोग कार्बोहाइड्रेट का अधिक मात्रा में उपयोग करते हैं. जिसकी वजह से बीमारियों को बढ़ावा मिलता है. इसके अलावा डायबिटीज, मोटापा, चिंता, मेनोपॉज, तंबाकू और शराब का सेवन, खराब खानपान ये सब दिल से जुड़े रोग की वजह हैं.
इंडियन हार्ट एसोसिएशन में छपी एक रिपोर्ट कहती है कि मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन की मात्रा कम हो जाती है, तो बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
महिलाओं में दिल से संबंधित रोग के सबसे आम लक्षणों में सीने में दर्द है. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता. एक रिपोर्ट के अनुसार सीने में दर्द के बिना भी हार्ट अटैक आने की गुंजाइश रहती है.
डॉक्टर विवेका कुमार के अनुसार महिलाओं में दिल से संबंधित रोग के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
डॉक्टर विवेका कुमार के अनुसार सबसे पहले दिल की बीमारी होने की वजहों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें सुधारने की कोशिश करनी चाहिए. डॉक्टर से अपना रेगुलर चेकअप और टेस्ट कराते रहना चाहिए.
डॉक्टर रितिका सामदार के अनुसार महिलाएं दिल के रोग के खतरे को कम करने के लिए इन तरीकों को अपनाएं.
ये देखा जाता है कि भारतीय महिलाएं व्यायाम करने में पीछे रहती हैं, वो घर का काम करती हैं और ये समझती हैं कि उतनी शारीरिक सक्रियता काफी है, जबकि ऐसा नहीं है.
हेल्दी खाना खाएं और कोशिश करें कि आपकी डाइट में नमक, शक्कर की मात्रा, वसा और सैचुरेटेड फैट की मात्रा कम हो.
कोलेस्ट्रॉल लेवल कम रखने के लिए वसा युक्त खाने से तो बचे ही, साथ में फाइबर युक्त हरी सब्जियों का प्रयोग करें.
मेनोपॉज के बाद शरीर में एस्ट्रोजन बनना बंद हो जाता है, उसके लिए डाइट में अलग-अलग तरह की बीजों (सीड्स) को शामिल करें, सोयाबीन लें, छिलके वाली दाल, लोबीया लें, राजमा खाएं.
ये शरीर में एस्ट्रोजन पहुंचाने का नैचुरल तरीका है, इनसे कोई एलर्जी नहीं होती, फिर भी पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.
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Published: 14 Aug 2018,06:14 PM IST