advertisement
उत्तर भारत में गर्मियों की शुरुआत के साथ, पानी पीना और खुद को हाइड्रेटेड रखना एक सामान्य ब्यूटी टिप से कहीं अधिक है. यह उन सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है, जो आप अपनी सुरक्षा के लिए कर सकते हैं.
एक आम और जीवन के लिए संभावित घातक स्वास्थ्य स्थिति, जिसमें आपको खुद को सुरक्षित रखने की जरूरत है, वह हीट स्ट्रोक या लू लगना है. इसे अक्सर डिहाइड्रेशन के रूप में देखा जाता है, लेकिन ये इससे भी कहीं अधिक है.
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ मनोज शर्मा का कहना है कि सीधे शब्दों में कहें तो हीट स्ट्रोक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट से अधिक हो.
डॉ शर्मा बताते हैं कि हम में से ज्यादातर लोग किसी भी तरह के डिहाइड्रेशन से जुड़े लक्षण को हीट स्ट्रोक कहते हैं. यह ठीक नहीं है.
हीट सिंड्रोम को बहुत पसीना आने, ब्लड प्रेशर में कमी, हीट क्रैंप्स और डिहाइड्रेशन के जरिए पहचाना जाता है. इसमें मतली, चक्कर आना, कमजोरी और सुस्ती शामिल हो सकती है. हालांकि, इस सब में, पीड़ित होश में रहता है. लेकिन इस स्थिति में जब कन्फ्यूजन और बेहोशी शामिल हो, तो ये हीट स्ट्रोक हो सकता है और यह चेतावनी का संकेत होता है.
चूंकि शरीर के तापमान में वृद्धि होती है, शरीर इसे नियंत्रित करने की कोशिश करता है.
डॉ शर्मा बताते हैं कि पसीने में कमी, जो हीट स्ट्रोक के दौरान भी होती है, शरीर के तापमान बढ़ने का कारण हो सकती है. पसीना एक सुरक्षा तंत्र है, जो हीट स्ट्रोक के दौरान प्रभावित होता है.
मैक्स हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन के मेडिकल डायरेक्टर व सीनियर डायरेक्टर डॉ नरिंदर पाल सिंह इसे समझाते हैं:
पसीना आने में कमी के अलावा, हीट स्ट्रोक में शरीर के मांसपेशियों के नुकसान और मस्तिष्क पर बुरे प्रभाव के रूप में दूसरे गंभीर प्रभाव भी शामिल होते हैं, जिससे दौरे, बेहोशी, कोमा और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है.
डॉ शर्मा का कहना है कि गर्म वातावरण में बहुत अधिक काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को हीट स्ट्रोक की आशंका होती है. इसके अलावा तेज धूप में अधिक समय तक रहना भी एक कारण हो सकता है.
डॉ सिंह बताते हैं कि हीट स्ट्रोक अक्सर तभी होता है, जब व्यक्ति का शरीर बहुत ज्यादा गर्म हो जाता है.
शिशुओं, छोटे बच्चों या बुजुर्गों (विशेषकर 65 वर्ष से अधिक आयु) के मामले में, हीट स्ट्रोक से बचने के लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है.
इसके अलावा, जो कोई मानसिक बीमारी, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर की दवा खाता है या वह व्यक्ति जो बहुत अधिक शराब पीता है या मोटापे से ग्रस्त है. ऐसे लोगों को इसका खतरा अधिक होता है.
डॉ शर्मा बताते हैं कि हीट स्ट्रोक धीरे-धीरे होता है. इसके शुरुआती लक्षण चक्कर आना, मांसपेशियों में ऐंठन, मिचली, उल्टी और सुस्ती के रूप में दिखाई देंगे. आपके दिल की धड़कन और सांसें तेज हो जाएंगी या फिर कम हो जाएंगी.
डॉ सिंह इसके मानसिक लक्षणों पर ध्यान देने की बात कहते हैं.
हीट स्ट्रोक के बढ़ने से पहले इन लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए. डॉ शर्मा उन्हें निम्नलिखित तरीके से लिस्ट करते हैं:
वे कहते हैं, ‘अगर व्यक्ति शारीरिक रूप से सक्षम है, तो उन्हें स्नान कराएं या ऐसा नहीं है तो उसे गीली बेडशीट में लपेटें. अगर पीड़ित सचेत है, तो उसे हाइड्रेटेड करना चाहिए और पानी पिलाना चाहिए. ‘
डॉ सिंह कहते हैं,
डॉक्टर सलाह के साथ ही चेतावनी भी देते हैं कि ऐसे में शुगर ड्रिंक्स से बचें.
हीट स्ट्रोक से ब्लड की ऑस्मोलेलिटी बढ़ जाती है, खून गाढ़ा हो जाता है. इसके बाद कन्सनट्रेट जूस भी खून को पतला करने में मददगार नहीं हो पाते हैं. पानी या इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर तरल चीजें आपके लिए बेहतर हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 15 Apr 2019,11:36 AM IST