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कितना खतरनाक है नदियों में अमोनिया का स्तर बढ़ना?

यमुना में अमोनिया का लेवल बढ़ने से बंद करने पड़े थे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट.

सुरभि गुप्ता
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Updated:
यमुना में अमोनिया का लेवल बढ़ने से बंद करने पड़े थे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट.
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यमुना में अमोनिया का लेवल बढ़ने से बंद करने पड़े थे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट.
(फोटो: iStock)

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यमुना के पानी में अमोनिया का स्तर बढ़ा और दिल्ली में जल संकट का खतरा मंडराने लगा. ऐसा हर साल होता है, यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ते ही दिल्ली जल बोर्ड को कई वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद करने पड़ते हैं.

इस बार भी यही हुआ, यमुना में अमोनिया की मात्रा बढ़ने के कारण दिल्ली जल बोर्ड को अपने तीन बड़े वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला) बंद करने पड़े थे.

यमुना में अमोनिया के स्तर में गिरावट के बाद ही बंद किए गए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट अपनी पूरी क्षमता के साथ साफ पानी का उत्पादन करने लगे.

लेकिन पानी में अमोनिया लेवल बढ़ने से पर्यावरण पर क्या असर पड़ सकता है, ऐसा क्यों होता है और इसका हमारी सेहत से क्या संबंध है?

किस लेवल तक सुरक्षित होता है पानी में अमोनिया?

शुद्ध पानी के तय मानकों के मुताबिक पानी में अमोनिया की मात्रा 0.3 से 0.5 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. ये मात्रा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होती. हालांकि अपोलो हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट डॉ सुरनजीत चटर्जी बताते हैं कि पानी में अमोनिया का सेफ्टी लेवल अब तक स्पष्ट तौर पर नहीं निकाला गया है.

अमोनिया का स्तर बढ़ने पर क्यों बंद करने पड़ते हैं ट्रीटमेंट प्लांट?

विशेषज्ञ बताते हैं कि अमोनिया का लेवल बढ़ने पर ट्रीटमेंट के लिए क्लोरीन की डिमांड बढ़ जाती है और ज्यादा क्लोरीन इस्तेमाल किए जाने पर उस पानी को पीया नहीं जा सकता. इसलिए एक तय सीमा से अमोनिया का स्तर ज्यादा होने पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स को बंद करना पड़ता है.

दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक यमुना के पानी में अमोनिया की मात्रा बीते रविवार को सुबह 1.70 पीपीएम पाई गई थी, जो दोपहर में घटकर 1.40 हुई.

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पानी में अमोनिया की 0.8 पीपीएम मात्रा शोधित कर सकते हैं और बेहद मुश्किल हालात में ट्रीटमेंट प्लांट को 1 पीपीएम मात्रा पर भी चलाया जा सकता है.
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अमोनिया का सेहत पर असर

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक इंसानों पर अमोनिया का टॉक्सिक इफेक्ट तब पड़ता है, जब अमोनिया इनटेक डिटॉक्सिफाई करने की क्षमता से ज्यादा हो.

डॉ चटर्जी कहते हैं कि पानी में अमोनिया का लेवल हाई नहीं होना चाहिए. अगर अमोनिया का स्तर बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि पानी दूषित हो रहा है. ये सीवेज से हो सकता है, औद्योगिक वेस्ट से हो सकता है.

हाई अमोनिया का असर दिमाग और लिवर पड़ता है. ये सुस्ती (drowsiness), मिर्गी और अमोनिया का बहुत हाई लेवल कोमा की वजह भी बन सकता है.
डॉ सुरनजीत चटर्जी, सीनियर कंसल्टेंट, अपोलो हॉस्पिटल

जलीय जीवन के लिए खतरनाक

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के वाटर यूनिट में प्रोग्राम मैनेजर डॉ सुष्मिता सेन गुप्ता बताती हैं कि नदियों में ज्यादा अमोनिया टॉक्सिक होता है. इससे मछलियां मर जाती है, जलीय जीवन डिस्टर्ब होता है.

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Published: 04 Dec 2018,06:16 PM IST

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