दावा

सोशल मीडिया पर एक मैसेज शेयर किया जा रहा है जिसमें दावा किया गया है कि टेंपरेचर चेक करने के लिए माथे पर बार-बार इंफ्रारेड थर्मल गन का इस्तेमाल नुकसान करता है क्योंकि थर्मल सक्रीनिंग के दौरान थर्मल गन माथे के जिस हिस्से पर प्वॉइंट किया जाता है, वहां पीयूष ग्रंथि और पीनियल ग्रंथि मौजूद होती हैं और थर्मामीटर से निकले इंफ्रारेड रेडिएशन स्किन के अंदर जाते हैं, जिससे इन ग्रंथियों को नुकसान हो सकता है, जो हमारे शरीर की कई गतिविधियों को कंट्रोल करती हैं.

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इंफ्रारेड थर्मामीटर को लेकर सोशल मीडिया पर इसी तरह के दावे अलग-अलग भाषाओं में किए गए हैं.

सही या गलत?

मुंबई में जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के जनरल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ रोहन सीक्वेरिया ने इस तरह के दावे को बिल्कुल गलत बताया, "सबसे पहली बात इंफ्रारेड थर्मामीटर इंफ्रारेड रेडिएशन को भेजते नहीं हैं, उसे बॉडी के इंफ्रारेड रेडिएशन को रिसीव करते हैं. दुनिया में हर चीज से इंफ्रारेड रेडिएशन निकलता है."

इंफ्रारेड थर्मामीटर के अंदर एक डिवाइस होता है, जिसे थर्मोपाइल कहते हैं. ये थर्मोपाइल शरीर के इंफ्रारेड रेडिएशन को पकड़ता है और कन्वर्ट करके नंबर में दिखाता है.
डॉ रोहन सीक्वेरिया, कंसल्टेंट, जनरल मेडिसिन, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई

सोशल मीडिया पर इस तरह के वायरल दावों पर मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी प्रेस बयान जारी कर साफ किया है कि ये इंफ्रारेड थर्मामीटर से दिमाग खासकर पीनियल ग्रंथि को नुकसान का दावा गलत है.

मिनिस्ट्री ने कहा है,

नॉन-कॉन्टैक्ट इंफ्रारेड थर्मामीटर रेडिएशन उत्सर्जित करने वाला शूटिंग डिवाइस नहीं है. यह इंफ्रारेड किरणों के रूप में मानव शरीर से निकलने वाली गर्मी का पता लगा कर उसे अवशोषित करता है और इलेक्ट्रिसिटी में बदलता है.

थर्मामीटर के अंदर मौजूद इलेक्ट्रॉनिक सर्किट इलेक्ट्रिकल सिग्नल को प्रोसेस कर स्क्रीन पर रीडिंग देता है.

थर्मामीटर के सेंसर जिसका तापमान लिया जा रहा है, उसके शरीर से निकले रेडिएशन को मेजर करते हैं न कि खुद कोई नुकसान पहुंचाने वाले रेडिएशन निकालते हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल सुरक्षित है.

डॉ सीक्वेरिया बताते हैं कि टीवी का रिमोट इंफ्रारेड रेडिएशन जनरेट करता है, लेकिन ये इतना हल्का होता है कि उससे कोई नुकसान नहीं होता और जो पीनियल ग्लैंड पर असर की बात होती है, उतना पेनिट्रेट भी नहीं होता है. डॉक्टर बताते हैं कि बॉडी के अंदर रेडिएशन का पेनिट्रेशन एक्सरे, सीटी स्कैन और MRI से होता है.

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क्या कलाई पर थर्मल गन के इस्तेमाल से ज्यादा बेहतर रीडिंग मिलेगी?

इंफ्रारेड थर्मामीटर का इस्तेमाल हम माथे पर क्यों करते हैं, डॉ सीक्वेरिया इसकी वजह बताते हैं कि इन थर्मामीटर को जितना ज्यादा सर्फेस एरिया मिलता है, रीडिंग उतनी एक्यूरेट होती है.

कलाई पर से टेंपरेंचर लेने के बारे में मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया है कि तापमान मापने के लिए कलाई पर थर्मामीटर लगाने की बात कुछ स्टडीज में हैं, लेकिन जितने सबूत सामने आए हैं, उनसे इसकी सटीकता निश्चित नहीं हो पाई है.

वहीं थर्मल गन से लिए गए इंसान के शरीर के तापमान की सटीकता इस पर निर्भर करती है कि इसका इस्तेमाल कैसे और कहां किया जा रहा है, जिसका असर रीडिंग पर पड़ सकता है. जैसे- अगर ये एक व्यक्ति के माथे के करीब नहीं रखा गया, तो ये बहुत कम रीडिंग दे सकता है. वहीं अगर गर्मी ज्यादा हो और आप बाहर धूप से आ रहे हैं, तो ये ज्यादा रीडिंग दिखा सकता है.

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Published: 02 Sep 2020,04:54 PM IST

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