डायबिटीज मैनेजमेंट में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की ओर से तैयार आयुर्वेदिक दवा प्रभावी साबित हो रही है.

कई शोध में आयुर्वेदिक दवाओं को टाइप 2 डायबिटीज रोगियों के लिए काफी कारगर पाया गया है.

सरकार देश भर में डायबिटीज मैनेजमेंट को लेकर कार्यक्रम चला रही है. इसके तहत गुजरात के सुरेंद्र नगर, राजस्थान के भीलवाड़ा और बिहार के गया जिले में डायबिटीज की रोकथाम और नियंत्रण पर काम चल रहा है.

अभी तक इन तीनों जिलों के 59 स्वास्थ्य केंद्रों पर सरकार काफी बेहतर ढंग से कार्यक्रम चला रही है. इनमें 49 सीएचसी और 3 जिला अस्पताल शामिल हैं. यहां आयुर्वेदिक दवाओं और योग के जरिए मरीजों का उपचार किया जा रहा है.

हाल ही में लोकसभा में केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद येसो नाईक ने कहा था कि देश में डायबिटीज के रोगी काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. अनुमान है कि 2025 तक इन मरीजों की संख्या 6.99 करोड़ तक पहुंच सकती है.

इसी के साथ उन्होंने कहा था कि CSIR ने रिसर्च के बाद आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 को तैयार किया है.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के वैज्ञानिकों ने स्वतंत्र परीक्षणों के जरिए डायबिटिज की इस दवा को कारगर बताया है.

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दरअसल सरकार के तय नियमों के तहत दवाओं को बाजार में उतारने के बाद भी उसके प्रभाव का स्वतंत्र रूप से मरीजों पर परीक्षण करना पड़ता है. इसी के तहत वैज्ञानिकों ने डायबिटीज मैनेजमेंट में इस दवा को बहुत प्रभावी पाया है.

आयुष मंत्रालय के अनुसार यूपी के लखनऊ स्थित सीमैप और एनबीआरआई प्रयोगशालाओं में आयुर्वेद के प्राचीन फार्मूले पर शोध करने के बाद बीजीआर-34 को आधुनिक पैमानों पर भी मापने का प्रयास किया गया. इसमें साबित हुआ है कि टाइप 2 मधुमेह रोगियों के लिए ये काफी कारगर है.

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