हेपेटाइटिस संक्रमण लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने और इसके फंक्शन बिगाड़ने के लिए जाना जाता है.
यह लिवर सिरोसिस का कारण बन सकता है, जिसमें लिवर टिशू स्कार टिशू में बदल जाता है, जो कुछ समय में प्राइमरी लिवर कैंसर या हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (HCC) में बदल सकता है.
हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा होता है और इससे मौत की दर भी अधिक है.
जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि उत्तर भारत में क्रोनिक हेपेटाइटिस B वायरस संक्रमण, जिसमें नॉन-सिरोटिक लिवर की तुलना में सिरोटिक (76%) में ट्यूमर्स अधिक होते हैं, हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (HCC) के विकास का एक प्रमुख कारण है.
हेपेटाइटिस B और हेपेटाइटिस C का उपचार नहीं होने पर यह संक्रमण कैंसर और लिवर फेलियर (लिवर की निष्क्रियता) जैसी गंभीर बीमारियों में बदल सकता है, जिसमें सर्जरी और लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है.
कैंसर से होने वाली मृत्यु के शीर्ष कारणों में लिवर कैंसर भी एक है.
अचानक वजन कम होना
भूख की कमी
मिचली या उल्टी
पेट में दर्द
पेट में सूजन या तरल पदार्थ का निर्माण
खुजली
त्वचा और आंखों का पीला पड़ना
हेपेटाइटिस B वायरस (HBV) या हेपेटाइटिस C वायरस (HCV) का क्रोनिक इन्फेक्शन
ज्यादा शराब पीना
मोटापा
डायबिटीज
जेनेटिक मेटाबॉलिक सिंड्रोम
धूम्रपान
नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज
समय पर लिवर सिरोसिस/कैंसर के डायग्नोसिस से रोगी की स्थिति का बेहतर प्रबंधन हो सकता है और उसके जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है.
इसलिए, वायरल हेपेटाइटिस, लिवर पर इसके प्रभाव, लक्षण और उपचार के विकल्पों के बारे में जागरुकता लाना महत्वपूर्ण है.
किसी भी बीमारी के सही इलाज और प्रबंधन के लिए सटीक डायग्नोसिस महत्वपूर्ण है.
HCC जैसे लिवर कैंसर के संभावित उपचार हैं- सर्जिकल विभाजन, पर्क्युटेनिअस ऐब्लेशन और लिवर ट्रांसप्लांट.
गंभीर मामलों में या लिवर सिरोसिस संबंधित मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है.
हालांकि पारंपरिक डायग्नोस्टिक तकनीक लंबे समय से ट्यूमर का पता लगाने में सर्जनों की सफलतापूर्वक मदद कर रही है, फिर भी इंडोसायनिन ग्रीन (ICG) के साथ फ्लोरोसेंस इमेजिंग (FI) जैसे तकनीकी नवाचार के कारण रीयल-टाइम में ट्यूमर के चित्र और छोटे और सतही ट्यूमर का पता लगाने से लिवर सर्जरी में क्रांति आ गई है.
इस प्रक्रिया में, रोगी को इंडोसायनिन ग्रीन (आईसीजी) का इंजेक्शन लगाया जाता है, जो दुनिया भर के चिकित्सकों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली एक सुरक्षित और सस्ती हरी डाई है.
कैंसर कोशिकाएं रक्त से ICG अणु लेती हैं. ये कोशिकाएं इंफ्रारेड रोशनी मोड में फ्लोरोसेंट हरे रंग का उत्सर्जन करती हैं.
लिवर सेगमेंटेक्टॉमी HCC उपचार में देखभाल का एक तरीका है, जो लिवर को बेहतर कार्यक्षमता देता है.
सटीक सर्जरी के साथ, ट्यूमर की पुनरावृत्ति के अवसर भी कम हो जाते हैं क्योंकि हमारा लिवर दोबारा बनने की शक्ति से लैस है, यह कुछ ही हफ्तों में अपने असली आकार और वजन में आ जाता है.
हालांकि, जैसा कि कहा जाता है कि ‘रोकथाम इलाज से बेहतर है’ - स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर जिम्मेदार, समझदारीपूर्ण निर्णय करने, जोखिम मुक्त जीवन जीने और एंटीवायरल ड्रग्स से वायरल हेपेटाइटिस का समय पर उपचार कराना चाहिए.
हेपेटाइटिस A और E का मुकाबला करने के लिए बेहतर स्वच्छता, सुरक्षा और टीकाकरण सबसे प्रभाकारी तरीके हैं. सुरक्षित और प्रभावकारी वैक्सीन उपलब्ध हैं, जो हेपेटाइटिस A से आपकी रक्षा कर सकते हैं.
(डॉ. अभिदीप चौधरी बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली में एचपीबी सर्जरी और लिवर ट्रांसप्लांटेशन डिपार्टमेंट के हेड और सीनियर डायरेक्टर हैं.)
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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Published: 28 Jul 2021,03:11 PM IST