मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) में व्हाइट सेल्स और विशेष अंग होते हैं, जो शरीर को नुकसानदेह वायरस, संक्रमण और बीमारियों से बचाते हैं. प्रतिरक्षा प्रणाली को शरीर में मौजूद सभी तत्वों की जानकारी होती है और यह शरीर में प्रवेश करने वाली किसी भी बाहरी चीज से लड़ने में सहायता करती है. इसका मुख्य काम बीमारियों को खत्म करना और शरीर को स्वस्थ रखना है.
लेकिन प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर सेल्स से लड़ने में सफल नहीं होती है, इसे स्वस्थ सेल्स और कैंसर सेल्स को पहचान कर अलग करने में कठिनाई होती है. यही नहीं, प्रतिरक्षा प्रणाली अगर कैंसर सेल्स को पहचान भी ले, तो इसकी प्रतिक्रिया इतनी मजबूत नहीं होती है कि उन्हें खत्म कर सके.
ऐसे मामलों में, कैंसर के मरीजों के लिए इम्यूनोथेरपी से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद मिलती है. यह सिस्टम को सामान्य, स्वस्थ और कैंसर वाली कोशिकाओं में अंतर करने में मदद करती है.
कैंसर ट्रीटमेंट की दूसरी थेरपी से अलग, इम्यूनोथेरपी शरीर को लंबे समय तक बने रहने के लिए आवश्यक सुरक्षा से युक्त करती है.
इम्यूनोथेरपी में कीमोथेरपी जैसी अन्य थेरपी के परिणामों को कुछ कैंसर के लिए बेहतर करने की भी संभावना होती है. इसके अलावा, इम्यूनोथेरपी के साइड इफेक्ट अन्य कैंसर विरोधी उपचार के मुकाबले कम हैं और कुछ मरीजों में इसका असर लंबे समय तक चलने वाला हो सकता है.
इस तरह, इम्यूनोथेरपी कैंसर की स्थिति में उपचार का एक आकर्षक विकल्प है, अकेले या दूसरे उपचारों जैसे कीमोथेरपी और रेडियोथेरपी के साथ.
वैसे तो कैंसर की अन्य थेरपी के मुकाबले इम्यूनोथेरपी के साइड इफेक्ट कम होते हैं, पर मरीजों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि अपने उपचार के संबंध में पूरी जानकारी के साथ निर्णय लें.
इम्यूनोथेरपी का शरीर पर सेल्यूलर स्तर पर प्रभाव होता है. शरीर की आधार सुरक्षा व्यवस्था कैंसर वाले सेल के खिलाफ लड़ने के लिए संशोधित हो जाती है, जबकि उपचार का लक्ष्य म्यूटेट हो चुके कैंसर सेल को लक्ष्य करना होता है. कई बार यह शरीर के स्वस्थ सेल्स पर भी हमला शुरू कर देता है.
इम्यूनोथेरपी के कुछ साइड इफेक्ट इस प्रकार हैं –
त्वचा में जलन
सिरदर्द
पानी रुकना (Water retention)
मांसपेशियों में दर्द
फ्लू जैसे लक्षण
सांस फूलना
एक ऑन्कोलॉजिस्ट उपचार को रोक या संशोधित कर सकता है और उपचार के साइड इफेक्ट को रोकने के लिए दवाइयां लिख सकता है. यह साइड इफेक्ट पर निर्भर करता है.
कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरपी और रेडियोथेरपी सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले उपचार हैं. आइए इनमें और इम्यूनोथेरपी के बीच के अंतर को समझें:
कीमो-रेडियो थेरपी कैंसर कोशिकाओं को मारने लिए दवाइयों और रेडिएशन के मेल का उपयोग करता है, जबकि इम्यूनोथेरपी मरीज की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली की सहायता करता है ताकि कैंसर सेल्स को खत्म किया जा सके
कीमोथेरपी कोशिकाओं पर सीधे हमला करता है. इनमें कैंसर वाले और बिना कैंसर वाले (स्वस्थ) सेल्स दोनों शामिल हैं. दूसरी ओर, इम्यूनोथेरपी में प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं को संशोधित कर दिया जाता है ताकि कैंसर वाली कोशिकाओं (सेल्स) को अलग और उस पर हमला किया जा सके.
कीमोथेरपी अक्सर ऐसे बदलाव लाता है. जो कैंसर वाली कोशिकाओं के विकास में तुरंत दिखाई देते हैं. इसके उलट, इम्यूनोथेरपी के प्रभाव धीरे-धीरे दिखाई देते हैं और मुमकिन है, कीमोथेरपी के प्रभाव के मुकाबले अक्सर ज्यादा चलने वाले हों.
कीमोथेरपी के कुछ ज्ञात साइड इफेक्ट हैं, जैसे उबकाई आना, मुंह में छाले और बाल झड़ना. दूसरी ओर, इम्यूनोथेरपी के साइड इफेक्ट ऐसे हैं जो कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होते हैं जैसे ठंड लगना, थकान.
कैंसर के ट्रीटमेंट का चुनाव कई चीजों पर निर्भर करता है. इनमें कैंसर की किस्म, उसका चरण, कैंसर के उपचार का पिछला इतिहास और मरीज का संपूर्ण स्वास्थ्य.
इम्यूनोथेरपी कैंसर के उपचार की अपेक्षाकृत नई विधि है. इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग कैंसर वाले सेल्स (कोशिकाओं) से लड़ने के लिए किया जाता है. उपचार के मौजूदा विकल्पों के साथ इम्यूनोथेरपी की उपलब्धता कैंसर के उपचार के परिणाम को बेहतर करने की दिशा में एक और सकारात्मक कदम है.
कैंसर का कोई भी उपचार मरीज के शरीर के लिए मुश्किल होता है. लक्षण और ठीक से देखभाल को अक्सर पैलिएटिव केयर कहा जाता है, जिसे उपचार के शुरू से ही शामिल किया जाना चाहिए ताकि बीमारी के साथ थेरेपी से जुड़े साइड इफेक्ट को भी मैनेज किया जा सके.
(डॉ. भावना अवस्थी गुरुग्राम के सीके बिड़ला हॉस्पिटल में ऑन्कोलॉजिस्ट हैं.)
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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