कोरोना महामारी के बीच भारत में बर्ड फ्लू से पहली मौत दर्ज की गई है. 20 जुलाई 2021 को हरियाणा के 11 साल के एक बच्चे की एम्स दिल्ली में मौत की खबर आई.
ये बच्चा H5N1 से संक्रमित पाया गया था. भारत में इससे पहले इंसानों में एवियन इन्फ्लूएंजा यानी बर्ड फ्लू का मामला दर्ज नहीं किया गया था.
एवियन इन्फ्लूएंजा, जिसे आमतौर पर बर्ड फ्लू कहा जाता है, ये पक्षियों में होने वाली एक संक्रामक वायरल बीमारी है, इसके कारण पक्षियों में गंभीर रेस्पिरेटरी बीमारी हो जाती है.
आमतौर पर इंसान बर्ड फ्लू वायरस से संक्रमित नहीं होते, हालांकि इसके कुछ सबटाइप जैसे A(H5N1), A(H7N9) लोगों में गंभीर संक्रमण का कारण बने हैं. H7N3, H7N7 और H9N2 सहित अन्य एवियन इन्फ्लूएंजा सबटाइप से भी लोगों में संक्रमण के मामले देखे गए हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में 17 देशों से जनवरी 2003 से लेकर 8 जुलाई 2021 तक इंसानों में एवियन इन्फ्लूएंजा A(H5N1) के 862 मामले दर्ज किए गए हैं. इन 862 मामलों में से 455 की मौत हो गई.
अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में रेस्पिरेटरी मेडिसिन के क्लीनिकल असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अखिलेश के कहते हैं कि बर्ड फ्लू वायरस से संक्रमित शख्स को गंभीर निमोनिया और हाइपोक्सिया हो सकता है, जिससे मौत हो सकती है.
PSRI हॉस्पिटल, नई दिल्ली में इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. विनीता सिंह टंडन कहती हैं कि इंसानों में वायरस का ट्रांसमिशन यानी इंसानों का इससे संक्रमित होना चिंता का विषय रहता है.
बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. अतुल भसीन भी कहते हैं कि वायरस में बदलाव हो सकता है और ये इंसानों में आसानी से फैलने की क्षमता हासिल कर सकता है.
एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने PTI से कहा है कि हरियाणा के जिस बच्चे की बर्ड फ्लू से मौत हुई है, उसके संपर्क में आने वालों की ट्रेसिंग और जिस इलाके में वो रह रहा था, वहां से सैंपल लिए जाने और वहां पक्षियों की मौत का पता लगाने की जरूरत है.
WHO के मुताबिक एवियन इन्फ्लूएंजा के मामले में एनिमल और पब्लिक हेल्थ सेक्टर में सतर्क रहने की आवश्यकता होती है. इंसानों में इसके संक्रमण के मामलों का पता लगाने, वायरस की संक्रामकता और संक्रामकता में संभावित प्रारंभिक परिवर्तन पर निगरानी जारी रखी जानी चाहिए.
इंसानों से इंसानों में इसका ट्रांसमिशन दुर्लभ है, लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक जो लोग पक्षी पालने का काम करते हैं, वो बर्ड फ्लू के रिस्क पर हो सकते हैं. इसलिए हमें सावधान रहने की जरूरत है न कि घबराने की.
नानावती मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, मुंबई में इंटरनल मेडिसिन और इन्फेक्शियस डिजीज के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. राहुल तांबे कहते हैं कि H5N1 या बर्ड-फ्लू के कारण हरियाणा के 11 साल के बच्चे की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है.
मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक H5N1 से मौत चिंताजनक है और इसकी उत्पत्ति की पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए.
मानव स्वास्थ्य के लिए संभावित खतरों के बारे में सामुदायिक जागरुकता इंसानों में संक्रमण रोकने के लिए जरूरी है. PSRI हॉस्पिटल, नई दिल्ली में इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. विनीता सिंह टंडन कुछ बातों का ख्याल रखने की सलाह देती हैं:
जंगली पक्षियों के निकट संपर्क से बचें और उन्हें केवल दूर से ही देखा जाना चाहिए.
पक्षियों के बीमार होने या मृत होने पर उनके संपर्क से बचें.
अगर आप कोई मृत पक्षी पाते हैं, तो लोकल अथॉरिटी को रिपोर्ट करें और अगर आप मृत पक्षी को हटा रहे हैं, तो तो दस्ताने, प्लास्टिक बैग का उपयोग करें, जिन्हें ठीक से निपटाया जा सकता है.
जंगली या घरेलू पक्षियों के मल, लार और म्यूकस से दूषित होने वाली सतहों के संपर्क से बचें.
कच्चे पोल्ट्री को सफाई से इस्तेमाल करें.
अंडे सहित सभी पोल्ट्री प्रोडक्ट्स को खाने से पहले अच्छी तरह से पकाया जाना चाहिए.
पोल्ट्री वर्कर्स को हाथ की स्वच्छता और पीपीई सहित अनुशंसित जैव सुरक्षा और इन्फेक्शन कंट्रोल प्रैक्टिस का पालन करना चाहिए.
पोल्ट्री वर्कर्स को हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा का टीका लगवाना चाहिए.
अगर आपके इलाके में बर्ड फ्लू की रिपोर्ट है, तो पोल्ट्री फार्मों, पक्षी बाजारों और ऐसी जगहों पर जाने से बचें, जहां पक्षियों को पाला या बेचा जाता है.
पिछले साल से हम कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं, ऐसे में बर्ड फ्लू और COVID-19 के लक्षणों की पहचान कैसे की जा सकती है.
डॉ. टंडन कहती हैं कि दोनों ही बीमारियों के लक्षण एक दूसरे से मिलते-जुलते हैं, लेकिन कुछ ऐसे लक्षण हैं जो एक में दूसरे से अधिक सामान्य होते हैं. फ्लू के लक्षण आने में लगभग 1-5 दिन लग सकते हैं जबकि कोविड के लक्षण 2-14 दिनों में प्रकट हो सकते हैं.
फ्लू और COVID-19 दोनों में बुखार, गले में खराश, शरीर में दर्द और खांसी हो सकती है, लेकिन कोरोना के लक्षण धीरे-धीरे शुरू हैं और फ्लू की शुरुआत में लक्षण अधिक अचानक होते हैं.
कोविड के लक्षण शुरू में हल्के होते हैं, लेकिन तेजी से बढ़ सकते हैं और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है, जबकि फ्लू के लक्षण ज्यादातर हल्के होते हैं और आमतौर पर एक हफ्ते में दूर हो जाते हैं, हालांकि कुछ मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की भी आवश्यकता हो सकती है.
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Published: 21 Jul 2021,05:42 PM IST