भारत में वुहान कोरोनावायरस के कई संदिग्ध मामले सामने आने के बाद हर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में अलग वॉर्ड बनाने के निर्देश दिए गए हैं.
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल, एम्स के साथ-साथ मुंबई, कोचीन, अमृतसर के अस्पतालों में कोरोनावायरस के संदिग्ध मामलों को रोकने के लिए आइसोलेशन वॉर्ड बनाए गए हैं.
डॉक्टरों को निर्देश दिया गया है कि वुहान कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीजों को आइसोलेशन वॉर्ड में रखा जाए.
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आइसोलेशन वॉर्ड स्थापित किए गए हैं.
वहीं मुंबई में, बृहन्मुंबई नगर निगम ने दक्षिण मुंबई के चिंचपोकली में कस्तूरबा अस्पताल में एक आइसोलेशन वॉर्ड स्थापित किया है.
राम मनोहर लोहिया अस्पताल की मेडिकल सुप्रीडेंटेंट डॉ मीनाक्षी भारद्वाज के मुताबिक कोरोनावायरस के 3 संदिग्ध मामले सामने आए हैं और मरीजों को आइसोलेशन वॉर्ड में रखा गया है.
सबसे पहली बात ये है कि आइसोलेशन वॉर्ड का मतलब जेल या अकेले कैद करना नहीं है. ये हॉस्पिटल या एयरपोर्ट की ओर से तैयार की गई ऐसी जगह होती है, जिससे ये सुनिश्चित हो पाए कि किसी भी तरह का संक्रमण बाहर न फैल सके.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार एक आइसोलेशन वॉर्ड ऐसा होना चाहिए:
संक्रामक कचरे को इकट्ठा करने के लिए एक कंटेनर, जो अंततः जला दिया जाता है.
रोगी के उत्सर्जन को कीटाणुरहित करने के लिए 1:10 ब्लीच सॉल्यूशन की पर्याप्त आपूर्ति.
रोगी के बिस्तर को कवर करने के लिए एक प्लास्टिक शीट.
रोगी पर उपयोग की जाने वाली गैर-उपयोग योग्य सुइयों और सीरिंज को इकट्ठा करने के लिए एक 'पंचर-प्रतिरोधी कंटेनर'.
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