वैक्सीन शरीर में पहले से इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में मदद करते हैं, जिससे बीमारी नहीं होती है. जबकि आमतौर पर शरीर बीमारी से जूझने के बाद प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है ताकि ये सीख सके कि आगे बीमारी से कैसे लड़ा जाए.
वैक्सीन शरीर को प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए पहले बीमारी से जूझने और लड़ने से बचाता है.
अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल(CDC) के मुताबिक: "वैक्सीन आपके इम्यून सिस्टम के साथ काम करता है ताकि वायरस के संपर्क में आने पर आपका शरीर वायरस से लड़ने के लिए तैयार हो जाए."
ये जानने के लिए कि वैक्सीन कैसे काम करता है, ये समझना जरूरी है कि हमारा शरीर बीमारियों से कैसे लड़ता है. CDC कहता है: "जब रोगाणु, जैसे कि वायरस जो COVID-19 का कारण बनता है, हमारे शरीर पर हमला करते हैं, तो वे मल्टीप्लाई करते हैं. ये हमला, जिसे संक्रमण कहा जाता है, बीमारी का कारण बनता है. हमारा इम्यून सिस्टम संक्रमण से लड़ने के लिए कई टूल्स का इस्तेमाल करता है.”
अधिकतर COVID-19 वैक्सीन के प्रभावी होने के लिए एक से ज्यादा डोज में दिए जाने की जरूरत होगी.
हमारे खून में व्हाइट या इम्यून सेल्स (immune cells) होते हैं, जो संक्रमण से लड़ते हैं. नीचे कई तरह के व्हाइट सेल्स के बारे में बताया जा रहा है जो अलग-अलग तरीकों से संक्रमण से लड़ते हैं:
टी-लिम्फोसाइट्स को मेमोरी सेल्स के तौर पर भी जाना जाता है. अगर शरीर एक ही वायरस का दोबारा सामना करता है, तो ये जल्दी से कार्रवाई करता है. वहीं शरीर में जाने-पहचाने एंटीजेन का पता लगने पर बी-लिम्फोसाइट्स उन पर हमला करने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं.
विशेषज्ञ अभी भी पता लगा रहे हैं कि ये मेमोरी सेल्स कितने समय तक COVID -19 वायरस के खिलाफ शरीर की रक्षा कर सकती हैं.
CDC के मुताबिक "वैक्सीनेशन के बाद कभी-कभी, इम्यूनिटी निर्माण की प्रक्रिया बुखार जैसे लक्षणों का कारण बन सकती है. ये लक्षण सामान्य हैं और एक संकेत है कि शरीर प्रतिरक्षा का निर्माण कर रहा है."
COVID-19 के लिए 3 मुख्य प्रकार के वैक्सीन का ट्रायल जारी है.
इस वैक्सीन में कोविड-19 वायरस के हिस्से का इस्तेमाल किया जाता है जो हमारे सेल्स को गैरहानिकारक प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है. ये प्रोटीन वायरस के लिए यूनिक होता है. हमारे सेल्स प्रोटीन की कई कॉपियां बनाने के बाद, वैक्सीन के जेनेटिक मटीरियल को खत्म कर देते हैं. हमारा शरीर मानता है कि शरीर में उस प्रोटीन को नहीं होना चाहिए और टी-लिम्फोसाइट्स और बी-लिम्फोसाइट्स का निर्माण करता है जो भविष्य में संक्रमित होने पर वायरस से लड़ने के तरीके को याद रखता है.
इस वैक्सीन में वायरस के गैरहानिकारक हिस्से (प्रोटीन) शामिल होते हैं. एक बार वैक्सीन लगने के बाद, हमारा इम्यून सिस्टम इसकी पहचान शरीर के बाहरी तत्व को तौर पर करता है और टी-लिम्फोसाइट्स और एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देता है.अगर हम भविष्य में कभी भी संक्रमित होते हैं, तो मेमोरी सेल्स वायरस को पहचानेंगी और उससे लड़ेंगी.
इस वैक्सीन में जीवित वायरस का एक कमजोर संस्करण है - जो COVID-19 वायरस से अलग वायरस होता है. इस वायरस में COVID-19 वायरस का जेनेटिक मटीरियल इंसर्ट किया जाता है(इसे वायरल वेक्टर कहा जाता है).
"वायरल वेक्टर के जेनेटिक मटीरियल हमारे सेल्स के अंदर जाने के बाद सेल्स को प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है जो वायरस के लिए यूनिक होता है. इन निर्देशों के जरिये सेल्स प्रोटीन की कॉपियां तैयार करता है. ये हमारे शरीर को टी-लिम्फोसाइट्स और बी-लिम्फोसाइट्स के निर्माण के लिए संकेत देता है. टी-लिम्फोसाइट्स और बी-लिम्फोसाइट्स ये याद रखते हैं कि भविष्य में संक्रमित होने पर हम उस वायरस से कैसे लड़ें.
बता दें, कोविड-19 वायरस के हिस्सों के इस्तेमाल के बावजूद इन वैक्सीन से कोरोना नहीं होगा.
वैक्सीन कई माध्यमों जैसे कि इंजेक्शन, मुंह के जरिये या फिर सांस के जरिए इनहेल कराकर दिया जाता है. इसके अलावा नोजल स्प्रे यानी कि नाक से डालकर भी दिया जाता है.
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