कोविड-19 के खिलाफ भारत में वैक्सीनेशन 16 जनवरी से शुरू हो रहा है. लोगों में वैक्सीन से सुरक्षा को लेकर चिंता है और लोगों की चिंताओं को कम करने के लिए सरकार काम कर रही है. लेकिन इन सब से अलग कुछ लोगों को एक और डर सता रहा है, वो है सुई का- इंजेक्शन फोबिया(Injection Phobia). वैक्सीन के डोज इंजेक्शन के जरिये दिए जाएंगे.
इंजेक्शन का डर असामान्य नहीं है. कई बार इसका नाम सुनते ही कुछ लोगों को पसीना आना, धड़कन तेज होना, कंपकंपाहट जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं. कई बार ये डर काफी गहरा होता है, और इसे ट्राइपैनोफोबिया (Trypanophobia) के रूप में जाना जाता है.
मायो क्लीनिक के मुताबिक किसी खास चीज या स्थिति से जुड़ा गहरा और लगातार पैदा होने वाला डर जो वास्तविक जोखिम से कई गुना ज्यादा होता है, फोबिया कहलाता है.
लेकिन सवाल है कि कुछ लोगों को फोबिया क्यों होता है और बाकियों को क्यों नहीं होता- इसे लेकर डॉक्टर्स के पास कुछ ठोस कारण मौजूद नहीं है.
फोबिया के कारकों में शामिल हैं:
बच्चे विशेष रूप से सुइयों से डरते हैं क्योंकि उनकी त्वचा किसी तेज चुभने वाली चीज से पैदा होने वाली सेंसेशन के लिए प्रयुक्त नहीं होती है. अधिकांश लोग जब वयस्क अवस्था तक पहुंचते हैं, तब वे सुइयों को ज्यादा आसानी से सह सकते हैं.
लेकिन कुछ के लिए, सुइयों का डर उनके साथ वयस्क होने के बाद भी रहता है. कभी-कभी ये डर काफी गहरा हो सकता है.
ट्राइपैनोफोबिया के लक्षण किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को बाधित कर सकते हैं. ये लक्षण इतने तीव्र हो सकते हैं कि वे आप में कमजोरी पैदा कर सकते हैं. लक्षण तब दिखते हैं जब कोई व्यक्ति इंजेक्शन देखता है या उन्हें बताया जाता है कि उन्हें एक प्रक्रिया से गुजरना होगा जिसमें इंजेक्शन या नीडल शामिल हैं.
फोबिया से डील करने का तरीका एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग हो सकता है. हो सकता है आप इस डर से न निकल पाएं, लेकिन इसके साथ जीना सीख जाएं.
लेकिन कई बार डॉक्टर की मदद की जरूरत पड़ती है. कॉग्नीटिव बिहेवियोरल थेरेपी, क्लीनिकल हीप्नोथेरेपी और सेल्फ-हेल्प मेथड के जरिये ट्राइपैनोफोबिया को मैनेज किया जा सकता है.
BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्राइपैनोफोबिया पर की गई एक स्टडी बताती है कि इस तरह का डर, आशंका बच्चों में सबसे ज्यादा होती है और उम्र के साथ कम होती जाती है. ब्रिटेन की कुल आबादी का 10% हिस्सा इससे प्रभावित है.
लेकिन कई वैक्सीन शॉट्स इंजेक्शन के जरिये ही लिए जा सकते हैं और डर के बावजूद आपके पास इसे न लेने का विकल्प नहीं होता क्योंकि वैक्सीन के बिना आपको ज्यादा गंभीर बीमारियां हो सकती है.
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Published: 15 Jan 2021,06:05 PM IST