दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर 11 नवंबर से लगातार बढ़ता ही जा रहा है. शुक्रवार 15 नवंबर की सुबह दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 700 के पार पहुंच गया. खतरनाक माने जाने वाले पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है.
बढ़ते एयर पॉल्यूशन के कारण ही एनसीआर के स्कूलों को 15 नवंबर तक बंद कर दिया गया था. वहीं औद्योगिक गतिविधियों पर भी 15 नवंबर तक के लिए प्रतिबंध बढ़ा दिया गया है.
दिल्ली और एनसीआर के कई इलाकों में शुक्रवार की सुबह काली धुंध छाई रही. पिछले दिनों के मुकाबले धुंध और भी ज्यादा बढ़ रही है.
देश के कई इलाकों में वायु प्रदूषण ‘बेहद खतरनाक’ से ‘गंभीर +’ कैटेगरी में देखा जा रहा है.
Air Visual के आंकड़ों के मुताबिक 15 नवंबर की दोपहर भारत के 10 सबसे प्रदूषित इलाके:
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 0-50 के बीच ‘अच्छा’, 51-100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101-200 के बीच ‘मध्यम’, 201-300 के बीच ‘खराब’, 301-400 के बीच ‘अत्यंत खराब’, 401-500 के बीच ‘गंभीर’ और 500 के पार ‘बेहद गंभीर एवं आपात’ माना जाता है.
हवा में फैले प्रदूषण के चलते लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है.
मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशएलिटी हॉस्पिटल, साकेत में पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ प्रशांत सक्सेना ने बताया कि सीओपीडी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियों के मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है.
इसके अलावा प्रदूषण के कारण हार्ट अटैक और सीने में दर्द जैसी कार्डियक समस्याएं भी बढ़ रही हैं.
डॉ सक्सेना के मुताबिक ओपीडी और इमरजेंसी में सांस की बीमारियों के मामले 15-20% तक बढ़ गए हैं. कई मरीज जिन्हें स्टेबल कंडिशन में डिस्चार्ज किया गया था, वो फिर बीमार पड़ रहे हैं.
प्रदूषण के प्रकोप से बचने के लिए डॉ प्रशांत सक्सेना कुछ बातों का ख्याल रखने को कहते हैं:
पारस हेल्थकेयर के एमडी डॉ धरमिंदर नागर बढ़ते पॉल्यूशन के सॉल्यूशन पर कहते हैं, "इस इमरजेंसी से निपटने के लिए सरकार के साथ-साथ हरेक नागरिक के कोशिशों की जरूरत है. ये स्पष्ट है कि वायु प्रदूषण भारतीयों के स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है."
डॉ नागर के मुताबिक बाहर ना निकलना और फेस मास्क का इस्तेमाल ही काफी नहीं है. भी को अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और सामूहिक व्यवहार में बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए.
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Published: 15 Nov 2019,01:02 PM IST