वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक दुनिया भर में 30 करोड़ लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं, आने वाले समय में ये तादाद और बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है. कई लोगों में डिप्रेशन इस हद तक बढ़ जाता है कि वे आत्महत्या तक कर लेते हैं.
डिप्रेशन से उबरा जा सकता है, ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं, लेकिन उसके लिए सबसे पहले इसकी पहचान जरूरी है. डिप्रेशन के इलाज के कई विकल्प हैं, उनमें से एक है आयुर्वेद. जी हां, आयुर्वेद में डिप्रेशन जैसे मानसिक विकारों के उपचार के बारे में बताया गया है.
निरोग स्ट्रीट के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ अभिषेक गुप्ता बताते हैं कि आयुर्वेद में डिप्रेशन यानी अवसाद को चित्तोदवेग या मनोअवसाद के रूप में जानते हैं.
जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ प्रताप चौहान समझाते हैं कि जब हमारा मन तमोगुण और रजोगुण से भर जाता है, तो मन में स्पष्टता नहीं रह जाती है. मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं और साथ ही मन दुःखी भी होता है.
वैद्य, आयुर्वेद में एमडी और ईस्टर्न साइंटिस्ट जर्नल के चीफ एडिटर डॉ आर अचल के मुताबिक आयुर्वेद में चित्त विच्छेद या अवसाद जैसे मानसिक रोगों का मूल कारण मोह माना गया है.
डॉ अभिषेक बताते हैं कि डिप्रेशन एक ऐसा मानसिक विकार है, जो आम तौर पर जीवन में घटित किसी अनचाही दुर्घटना से शुरू हो सकता है, किसी कारण से हीन भावना, सही ढंग से नींद का पूरा ना हो पाना, अनियमित खानपान, लंबे समय से कोई लाइलाज बीमारी बने रहना जैसे डायबिटीज, कैंसर, थायराइड से होता है, कई बार ये बुजुर्ग लोगों में या शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों में भी होता है.
आयुर्वेद में एक व्यवस्थित तरीके से डिप्रेशन का उपचार होता है, भोजन से लेकर विचार, व्यवहार जैसे हर पहलू पर ध्यान दिया जाता है. डॉ अचल कहते हैं कि डिप्रेशन के इलाज में मरीजों को मानसिक रूप से संतुष्ट करना, उनके माइंड को डायवर्ट करना जरूरी होता है.
सबसे जरूरी डिप्रेशन के मरीजों में वो विश्वास पैदा करना होता है कि वो ठीक हो सकते हैं. अगर पेशेंट खुद को मोटिवेट नहीं कर पा रहा है, तो उसकी काउंसलिंग कराएं. ऐसे लोगों से बातचीत जरूरी है, जो उसे प्रेरित कर सकें.
डॉ चौहान बताते हैं कि डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों को जीवन में नियमितता और अनुशासन लाने को कहा जाता है.
पेशेंट के लिए लाइफस्टाइल को नियमित करना जरूरी होता है. जैसे कितने बजे उठना है, उठकर क्या और कब करना है. किस तरह का भोजन लेना है. सात्विक भोजन, सात्विक आचार-विचार से पॉजिटिविटी आती है.
डिप्रेशन से निपटने में एक्सरसाइज और प्राणायाम का बहुत बड़ा रोल है. एक्सरसाइज से फील गुड हार्मोन बढ़ते हैं, तो प्राणायाम से पूरे शरीर में सकारात्मकता आती है.
शारीरिक लेवल पर किस तरह ब्रेन के केमिकल डिस्टर्ब हुए हैं, उसके लिए ब्राह्मी, आंवला, अश्वगंधा बहुत अच्छा काम करती है, इसका चूर्ण बना कर दिया जाता है.
डॉ अचल के मुताबिक शंखपुष्पी, ब्राह्मी, मद्येष्टी, वच, गिलोय जैसी औषधियों, जिसे हम ब्रेन टॉनिक कह सकते हैं, इनका प्रयोग उचित मात्रा में कराके मस्तिष्क में अंसतुलन और कुपोषण से निपटा जाता है.
डिप्रेशन के रोगियों में पंचकर्म अच्छा काम करता है, कुछ इंटरनल मेडिसिन बहुत अच्छा काम करती हैं.
डिप्रेशन से बचने के लिए क्या किया जा सकता है, इस सवाल पर डॉ अचल भगत कहते हैं इसके लिए हमें अपनी लाइफस्टाइल में डायवर्सिटी लानी होगी.
डॉ अभिषेक बताते हैं कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 तक डिप्रेशन दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी बीमारी होगी.
इसलिए हमें कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है:
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