डायबिटिक लोगों को खाने में कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों का चुनाव सावधानी से करना होता है क्योंकि कार्बोहाइड्रेट वाली अलग-अलग चीजें ब्लड शुगर लेवल को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती हैं और इसका एक पैमाना ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycemic Index) और ग्लाइसेमिक लोड (Glycemic Load) है.
लेकिन ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लाइसेमिक लोड- इन नंबरों का असल में क्या मतलब होता है और ये कितने उपयोगी हैं? ब्लड शुगर कंट्रोल करने में ये नंबर कितने काम आते हैं? यहां समझते हैं.
ग्लाइसेमिक इंडेक्स कार्बोहाइड्रेट वाली खाने की चीजों की रैंकिंग का एक सिस्टम है, जो कि इस पर आधारित है कि खाने की कोई चीज सेवन के बाद कितनी तेजी से ब्लड शुगर लेवल बढ़ाती है और गिराती है.
ग्लाइसेमिक इंडेक्स का सिद्धांत डायबिटिक लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे ब्लड शुगर तेजी से बढ़ाने वाली खाने की चीजों की पहचान कर सकें.
खाने की चीजों को 0 से 100 के पैमाने पर रैंक किया जाता है, जिसमें शुद्ध ग्लूकोज (चीनी) को 100 का मान दिया गया है. भोजन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स जितना कम होता है, उस भोजन को खाने के बाद ब्लड शुगर धीमी गति से बढ़ता है.
ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) को तीन कैटेगरी में रखा गया है:
लो GI: 1 से 55- हरी सब्जियां, कई फल, राजमा, छोला, दाल
मीडियम GI: 56 से 69- स्वीट कॉर्न (मीठी मकई), केला, अनन्नास, किशमिश, ओट, मल्टीग्रेन ब्रेड
हाई GI: 70 और इससे ज्यादा- सफेद चावल, व्हाइट ब्रेड और आलू
फोर्टिस हॉस्पिटल, कल्याण में क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट श्वेता महादिक बताती हैं कि 55 या उससे कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला आहार ब्लड शुगर को धीरे-धीरे बढ़ाएगा और धीरे-धीरे गिराएगा.
किसी भी खाद्य पदार्थ की GI वैल्यू कई चीजों से प्रभावित होता है, जिसमें भोजन कैसे तैयार किया जाता है, इसे कैसे संसाधित किया जाता है और उसके साथ क्या खाया जाता है.
श्वेता महादिक बताती हैं कि फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स आमतौर पर कम होता है, हालांकि ये जरूरी नहीं है कि कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली सभी चीजें फाइबर से भरपूर हों.
खाने की किसी चीज का ब्लड शुगर पर पूरा असर उसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट की प्रकृति (ग्लाइसेमिक इंडेक्स) और खाई जाने वाली मात्रा (यानी कार्ब्स के ग्राम) दोनों पर निर्भर करता है.
ग्लाइसेमिक लोड नाम का एक अलग पैमाना इन दोनों कारकों को ध्यान में रखता है- जो ब्लड शुगर पर भोजन के असल प्रभाव की अधिक सटीक तस्वीर देता है.
उदाहरण के लिए, तरबूज का ग्लाइसेमिक इंडेक्स हाई (80) होता है. लेकिन तरबूज की एक सामान्य सर्विंग में पचने वाले कार्बोहाइड्रेट अपेक्षाकृत कम होते हैं और इसका ग्लाइसेमिक लोड कम (केवल 5) होता है.
ग्लाइसेमिक लोड (GL) भी तीन कैटेगरी में होता है:
लो GL: 1 से 10
मिडियम GL: 11 से 19
हाई GL: 20 या इससे ज्यादा
श्वेता महादिक कहती हैं कि अगर डायबिटीज है, तो लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स डाइट लिपिड और ग्लूकोज लेवल दोनों में सुधार कर सकती है, इंसुलिन लेवल स्थिर बनाए रख सकती है और इंसुलिन प्रतिरोध को कम कर सकती है, जो आगे डायबिटीज से जुड़ी जटिलताओं के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण है.
लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजें डायबिटिक लोगों को ब्लड ग्लूकोज लेवल कंट्रोल करने में मददगार हो सकती हैं, लेकिन इसका संबंध लो-कैलोरी, हाई फाइबर डाइट से भी है.
श्वेता महादिक कहती हैं, "कई अध्ययनों से पता चलता है कि कम जीआई, हाई फाइबर वाले कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों पर आधारित आहार मधुमेह या हृदय रोग से बचाने में मददगार हो सकता है."
कुछ स्टडीज से पता चला है कि लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) वाली चीजें वजन घटाने और उसे मेंटेन करने में मददगार हो सकती हैं.
एक स्टडी के नतीजे में बताया गया कि हाई ग्लाइसेमिक लोड वाली चीजों जैसे परिष्कृत अनाज, स्टार्च और शुगर का संबंध वजन बढ़ने से रहा.
पोषण विशेषज्ञों का मानना है कि डायबिटीज वाले लोगों को ब्लड शुगर में अचानक वृद्धि से बचने के लिए ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लाइसेमिक लोड दोनों पर ध्यान देना चाहिए.
आमतौर पर हाई कार्बोहाइड्रेट और हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजों का ग्लाइसेमिक लोड भी हाई होता है.
हालांकि कुछ आहार विशेषज्ञ यह भी महसूस करते हैं कि ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लाइसेमिक लोड जैसे पैमाने खाना चुनने को जटिल बनाते हैं.
इसी जटिलता के चलते बुनियादी बातों पर वापस जाना सबसे अच्छा बताया जाता है जैसे कि भोजन को उसके प्राकृतिक रूप में खाना, गुड फैट लेना, पौधे-आधारित प्रोटीन और हेल्दी कार्बोहाइड्रेट खाना.
(इनपुट- मेयो क्लीनिक, हार्वर्ड हेल्थ)
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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Published: 07 Aug 2021,02:45 PM IST