भारत में किसी भी मिठाई को, खासकर ऐसी मिठाई जो दूध से तैयार होती है, एक खास महक से पहचाना जा सकता है- इलायची की तीखी लेकिन लुभावनी महक. भारत और मध्य पूर्वी देशों के व्यंजनों का एक पसंदीदा हिस्सा रही इलायची दूध की मिठाइयों और पुलाव में जरूर डाला जाता है.
इलायची का वानस्पतिक नाम एलेट्टारिया कारडामोमम है और इसे हिंदी में इलाइची, कन्नड़ में एलाक्कि, मलयालम में एलक्काई, तेलुगु में येलाकुलु और सिंधी में फोटा के नाम से जाना जाता है.
क्या आप जानते हैं कि ग्वाटेमाला दुनिया में इलायची का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, हालांकि इसे वहां का स्थानीय नहीं माना जाता है? भारत दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश के रूप में इसके ठीक पीछे है.
मैं उन खुशकिस्मत लोगों में से एक हूं, जिनको खेत से ताजी तोड़ी गई इलायची मिल जाती है, जो मेरे पास लगभग तुरंत भेजी जाती है. मैं इसके लिए एक दोस्त की शुक्रगुजार हूं, जिसके खेत में इलायची उगाई जाती है.
हम जिस इलायची का इस्तेमाल करते हैं, वह वास्तव में बीज की फली है. हर बीज की फली में एक सख्त सूखा बाहरी आवरण होता है जिसमें छोटे खुरदुरे बीज होते हैं. बीज का रंग गहरा भूरा या काला हो सकता है. बीज इलायची की सुगंध का मुख्य स्रोत हैं. इलायची की दो मुख्य किस्में हैं- हरी और काली.
केसर और वनीला के बाद इलायची दुनिया का सबसे महंगा मसाला है, जिसमें हरी इलायची काली की तुलना में थोड़ी अधिक महंगी होती है.
खाना पकाने के अलावा इलायची का इस्तेमाल क्रीम, साबुन और इत्र जैसे पर्सनल केयर उत्पादों को बनाने में भी किया जाता है.
इलायची के बीजों से निकाले गए चिकित्सीय तेल का इस्तेमाल उन दवाओं को बनाने के लिए किया जाता है, जिनका इस्तेमाल आयुर्वेद, कोरियाई और चीनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में होता है.
इलायची के सबसे मशहूर स्वास्थ्य लाभों में से एक यह है कि यह पाचन में मदद करती है. हमारी पाचन ग्रंथियों को सक्रिय करने, पाचन एंजाइमों को सक्रिय करने के लिए इसकी अकेली सुगंध ही काफी प्रभावी है. इलायची में ऐसे केमिकल होते हैं, जो भोजन को पाचन तंत्र में धकेलने में मदद करते हैं, पाचन की रासायनिक प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं और वजन कम करने में मदद करते हैं.
धीमे पाचन में सुधार के अलावा, इलायची पेट की अन्य परेशानियों जैसे मितली और छालों को ठीक करने में भी मदद कर सकती है. इलायची व अन्य मसालों का मिश्रण बीमारों में दवा से होने वाली मितली को कम करने में काफी मददगार पाया गया है. इलायची का अर्क पेट के छालों को ठीक करता है और वह भी दवाओं से बेहतर तरीके से.
इलायची न केवल खुद बहुत अच्छी महकती है, बल्कि मुंह की दुर्गंध को भी ठीक करती है. इलायची में एंटीमाइक्रोबायल गुणों वाला एक यौगिक सिनेओल होता है, जो सांसों की बदबू पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ता है. इसी वजह से अक्सर मीठे पान में इलायची डाली जाती है, जिसे खाना हजम करने के लिए खाया जाता है. यहां तक कि विश्व प्रसिद्ध च्यूइंग गम कंपनी राइगले भी अपने उत्पादों में इलायची का इस्तेमाल करती है.
इलायची सिर्फ सांस की बदबू ही दूर नहीं करती बल्कि यह संपूर्ण दंत स्वास्थ्य में भी सुधार ला सकती है. इसका एंटीमाइक्रोबायल गुण कैविटी के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया से लड़कर मुंह को साफ रखने में मदद करता है. अध्ययन बताते हैं कि इलायची का अर्क मुंह के बैक्टीरिया को 54% तक कम कर सकता है.
ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने की अपनी क्षमता के चलते, इलायची को दिल को सेहतमंद रखने वाले मसाले के रूप में जाना जाता है. अध्ययनों से पता चला है कि एक दिन में सिर्फ 1.5 ग्राम पिसी हुई इलायची का सेवन हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को फायदा दे सकता है. माना जाता है कि इसके लिए इलायची में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट जिम्मेदार होते हैं.
क्रॉनिक इनफ्लेमेशन (लगातार बनी रहने वाली सूजन और जलन) शरीर पर कई तरह के प्रतिकूल असर डाल सकती है, खासकर उम्र बढ़ने के साथ. इलायची में ऐसे यौगिक होते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने से बचाकर सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं.
अगर आप अनिद्रा के शिकार हैं, तो इसमें आधा चम्मच पिसा हुआ जायफल मिलाएं और रात को सोने से पहले इसे पीएं.
(प्रतिभा पाल ने अपना बचपन ऐसी शानदार जगहों पर बिताया है, जिनके बारे में सिर्फ फौजियों के बच्चों ने ही सुना होगा. वह तरह-तरह की किताबों को पढ़ते हुए बड़ी हुई हैं. प्रतिभा जब अपने पाठकों के साथ शेयर करने के लिए कोई DIY रेसिपी तैयार करने का काम नहीं कर रही होती हैं, तब वह सोशल मीडिया पर अपनी लेखन कला का जादू बिखेर रही होती हैं. आप उनके ब्लॉग www.pratsmusings.com पर पढ़ सकते हैं या उनसे @myepica पर ट्विटर पर संपर्क कर सकते हैं.)
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Published: 12 Sep 2020,06:09 PM IST