पूर्वी उत्तर प्रदेश में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) ने कई सालों तक सैकड़ों लोगों की जान ली. मुख्यमंत्री के मुताबिक, अब ये बीमारी पूरी तरह खत्म होने की कगार पर है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि पिछले 40 साल से कहर बरपा रही इंसेफेलाइटिस को अगले दो सालों में पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा.
गोरखपुर की अपनी हालिया यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि राज्य के पूर्वी हिस्से में इंसेफेलाइटिस की मृत्यु दर 2016 के बाद 95 प्रतिशत तक गिर गई है.
गौरतलब है कि अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में तीन दिनों में 60 बच्चों की मौत हो गई थी. इसके पीछे कथित तौर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति में व्यवधान होने के कारण बताया गया था और इसे लेकर बड़े पैमाने पर विवाद हुआ था. इसके बाद से इस क्षेत्र में स्वच्छता और जागरूकता अभियान चलाया गया, जिससे इंसेफेलाइटिस मामलों की संख्या में भारी कमी आई है.
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) इंडिया में एक सीरियस पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम है. हर साल देश के किसी न किसी हिस्से में ये कभी जापानी इंसेफेलाइटिस, कभी चमकी बुखार, कभी दिमागी बुखार तो कभी इंसेफेलोपैथी के रूप में कहर बरपाता है.
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम में बुखार होने के साथ पेशेंट के मेंटल स्टेटस में बदलाव देखा जाता है, जिसमें कन्फ्यूजन, बेहोशी, कोमा या मरीज को दौरा पड़ना शामिल है.
इंसेफेलाइटिस में:
कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं.
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कारण हो सकता है कि पेशेंट को कुछ समझ में न आए, वो बेहोश हो जाए, उसे दौरा पड़ने लगे या लकवा मार दे.
बुखार के साथ अगर पेशेंट को बहुत ज्यादा सुस्ती या बेहोशी या अकड़न हो, तो ये खतरनाक हो सकता है.
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कई कारण हो सकते हैं और ज्यादातर मामलों में इसके वजह की पहचान तक नहीं हो पाती.
इसलिए इन्हें दो कैटेगरी में बांटा गया है:
Known Acute Encephalitis Syndrome भी दो तरह का हो सकता है:
वायरल इंसेफेलाइटिस: जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (JEV), एंटरोवायरस, चांदीपुरा वायरस (CHPV), निपाह वायरस (NiV), हर्पीस वायरस और मीजल्स, मम्प्स, या डेंगू के वायरस से हो सकता है.
नॉन वायरल इंसेफेलाइटिस: बैक्टीरियल, ट्यूबरक्यूलर,पैरासिटिक, स्क्रब टाइफस, प्रोटोजोअल या फंगल इंफेक्शन से हो सकता है. केमिकल, कुछ फलों और कीटनाशकों के टॉक्सिन इसकी वजह हो सकते हैं. गैर-संक्रामक इंफ्लेमेटरी कंडिशन से भी इंसेफेलाइटिस हो सकता है.
इसमें हीट स्ट्रोक, हाइपोग्लाइसीमिया यानी बहुत लो ब्लड शुगर और कुपोषण को जान जाने की वजह बताया जाता है.
इसीलिए सबसे पहले इसके कारण का पता लगाने की जरूरत है, तभी इसका पूरी तरह से खात्मा किया जा सकता है.
(-आईएएनएस इनपुट के साथ)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined