खाना पकाते समय सही तापमान पर तेलों का इस्तेमाल करने के बारे में बातचीत नियमित चर्चा का विषय रही है, भले ही यह अभी भी स्वास्थ्य की परिचर्चा के केंद्र में नहीं है. हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि अगर तेल सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जिस पर आपने अब तक ध्यान नहीं दिया है तो तेल आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. दूसरी ओर, तेलों को नुकसान पहुंचाने वाली बुराई के रूप में पेश नहीं किया जाना चाहिए, जैसा कि अभी किया जाता है. इसे और गहराई से जानते हैं.
अगर आप इसकी बारीकियों को जानना चाहते हैं, तो इस बारे में मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल साकेत, नई दिल्ली में साउथ जोन में डाइटेटिक्स की रीजनल हेड रितिका समादर कहती हैं, “ऐसा तेल जिसमें सैचुरेटेड, पॉलीअनसैचुरेटेड और मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड 1: 1: 1 के अनुपात में होता है, भोजन के लिए आदर्श माने जाते हैं. बदकिस्मती से किसी भी उपलब्ध तेल में यह अनुपात आमतौर पर नहीं होता है. इसकी बजाए हमें इस आदर्श अनुपात के निकट के किसी तेल की तलाश करनी चाहिए. यह रोटेशन/ सही कॉम्बिनेशन या ब्लेंडेड ऑयल के इस्तेमाल से मुमकिन हो सकता है.”
सीमा सिंह का कहना है कि सीड ऑयल बेहतर होता है, इसी तरह घी भी है, बशर्ते कि इसे सीमित मात्रा में इस्तेमाल किया जाए. इसके साथ ही रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए नारियल, सरसों और मूंगफली का तेल सामान्य विकल्प हैं. बात जब धीमी आंच पर कुछ भूनने की बात आती है तो वह जैतून, मूंगफली, तिल और कैनोला ऑयल (सफेद सरसों का तेल) की सलाह देती हैं. हल्का पकाने के लिए उपयुक्त तेलों की इस लिस्ट में, रितिका समादर कुछ और नाम जोड़ते हुए हमें हमारे आहार में उनके महत्व के बारे में भी बताती हैं.
हालांकि, जब बात ऊंचे तापमान की आती है, तो कुछ चीजें हैं जो खाने के दौरान ध्यान में रखी जानी चाहिए.
सिंह कहती हैं, “भारतीय खाना तेज आंच पर पकाया जाता है. सब्जियों का तेल (वेजिटेबल ऑयल) गर्म होने पर संभावित रूप से हानिकारक कंपाउंड्स रिलीज कर सकता है और इन कंपाउंड्स का संबंध कैंसर से जोड़ा गया है.”
रितिका समादर इसके विज्ञान के बारे में और गहराई से बताती हैं:
रितिका समादर तेल को दोबारा गर्म करने और ज्यादा गर्म करने के नुकसान पर जोर देते हुए याद दिलाते हुए कहती हैं कि ज्यादा गर्म करने से तेल के कंपाउंड टूट सकते हैं, जिसके नतीजे में फ्री रैडिकल्स बनते हैं जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. “तेल को तेज गर्म करने और बार-बार गर्म करना इसे ट्रांस फैट में बदल सकता है जो न केवल बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को बढ़ाता है, बल्कि गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) के स्तर को कम भी करता है. इसके अलावा, यह इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाता है और इस तरह कार्सिनोजेनिक होने के साथ-साथ डायबिटीज की आशंका बढ़ जाती है.”
रितिका समादर गर्मी, धूप और हवा को “तीन खलनायक” के रूप में दर्ज करती हैं जो आपके तेल के स्वास्थ्य लाभ के खिलाफ काम कर रहे हैं. यह कैसे होता है, वह समझाती हैं:
(रोशीना ज़ेहरा एक लेखिका और मीडिया प्रोफेशनल हैं. आप यहां उनके काम के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.)
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Published: 27 Nov 2020,07:14 PM IST