बालों का रंग बदलना किसी का शौक हो सकता है या जरूरत, कई लोग सफेद हुए बालों को रंगीन बनाते हैं या तो कोई फैशन ट्रेंड को फॉलो कर रहा होता है. इन सबके बीच हेयर कलर को लेकर कई तरह की भ्रांतियां और सवाल भी मौजूद हैं, वहीं हेयर कलर को सही तरीके से इस्तेमाल करने की जानकारी की भी कमी है.
आज समझते हैं कि हेयर कलर के बारे में कही जाने वाली तमाम बातें कितनी सही या गलत हैं, ये मिथक हैं या सच्चाई और हेयर कलरिंग को लेकर हमें क्या कुछ पता होना चाहिए.
फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग में डर्माटोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ मंजुल अग्रवाल बताते हैं कि हेयर डाई मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं- परमानेंट और डेमी-परमानेंट.
परमानेंट हेयर डाई जैसा कि नाम से पता चलता है, अधिक स्थाई कलरिंग प्रभाव देने के लिए बालों के गहरे लेयर तक पहुंचते हैं. दूसरी ओर डेमी परमानेंट डाई सिर्फ बालों के बाहरी लेयर को कलर करते हैं और ये कलर 15-20 धुलाई में छूट जाता है.
इसका मतलब है कि बालों को कलर करने का मतलब ये नहीं होता कि उसका नैचुरल कलर फिर कभी वापस नहीं आएगा. बालों को दोबारा कलर करना है या नहीं, ये पूरी तरह से आपकी च्वॉइस है.
डॉ अग्रवाल बताते हैं कि यह एक मिथ है, बालों को कलर या डाई करने का बाल सफेद होने जैसी प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं होता है. यह एक आनुवांशिक प्रक्रिया है और यह अपनी गति से होता है.
हमारे स्किन और बालों का रंग एक सेल की वजह से बनता है, जिसका नाम मेलानोसाइट है.
बालों का समय से पहले सफेद होने की जेनेटिक वजह हो सकती है. जेनेटिक वजहों के अलावा हार्मोनल दिक्कतें जैसे थॉयराइड, स्ट्रेस, स्मोकिंग की आदत, प्रोटीन, कॉपर और आयरन की कमी भी इसकी वजह बन सकती है.
डॉ मंजुल अग्रवाल के मुताबिक परमानेंट डाई से क्यूटिकल (बाल की सबसे बाहरी परत) खुल जाते हैं, इसी से ये बाल की गहराई में पहुंचते हैं. इससे हो सकता है कि हेयर स्ट्रैंड पतले और कमजोर हो जाएं.
हालांकि विटामिन और मिनरल्स की कमी भी इसका एक कारण हो सकती है, जिससे बाल पतले होने लगते हैं.
हां, कलरिंग से बालों को नुकसान पहुंच सकता है क्योंकि बालों के अंदर गहराई तक पहुंचने के लिए डाई क्यूटिकल्स को खोलते हैं.
इसके अलावा डाई से जुड़े एलर्जिक रिएक्शन भी हो सकते हैं.
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है.)
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Published: 23 Feb 2021,03:12 PM IST