अक्सर हम लिवर से जुड़ी परेशानियों को पहचान नहीं पाते और छोटी-छोटी बीमारियों को नजरअंदाज कर देते हैं, जो बड़ा रूप ले लेती हैं. हमें ये गलतफहमी रहती है कि लिवर की बीमारी सिर्फ एल्कोहल से होती है. लेकिन ये गलत है, हमारे खराब लाइफस्टाइल और जंक फूड भी लिवर से जुड़ी बीमारी का कारण हो सकते हैं.
लिवर की बीमारियों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 19 अप्रैल को वर्ल्ड लिवर डे मनाया जाता है. आइए जानते हैं, क्या हैं लिवर से जुड़ी बीमारियां, लक्षण और इनसे निपटने के उपाय.
लिवर से जुड़ी समस्याएं 5 तरह की होती हैं, जिन्हें ए, बी, सी, डी, ई कहते हैं. ए और ई को आम भाषा में जॉन्डिस या पीलिया के नाम से जाना जाता है. अधिकतर पीलिया खराब पानी पीने की वजह से होता है. बी, सी और डी इंफेक्शन से होने वाली बीमारी है, जिसका लिवर पर गहरा असर पड़ता है. इसे क्रॉनिक हेपेटाइटिस कहते हैं. इसके अलावा ऑटोइम्यून डिसॉर्डर है, जो आमतौर पर महिलाओं को होता है. इसमें शरीर का नर्वस सिस्टम ही शरीर की सेल्स को नुकसान पहुंचाने लगता है.
जॉन्डिस, जिसे पीलिया भी कहा जाता है, इस बीमारी के होने की सबसे बड़ी वजह गंदगी होती है. हेपेटाइटिस ए और ई खराब खाने और खराब पानी की वजह से होती है. हेपेटाइटिस बी, सी और डी अनसेफ सेक्स और ब्लड में इंफेक्शन की वजह से हो सकती है. ज्यादा शराब पीने से लिवर और पेन्क्रियाज पर बुरा असर पड़ता है. लिवर के रोगों से जुड़ी समस्याओं में लिवर सिरोसिस अहम है. बीमारी ज्यादा बढ़ने पर लिवर ट्रांसप्लांट की नौबत तक आ सकती है.
लिवर सिरोसिस, कैंसर के बाद सबसे गंभीर बीमारी होती है. लिवर सिरोसिस होने पर बड़े पैमाने पर लिवर के सेल्स खत्म होने लगते हैं और उनकी जगह एक जाल बनने लगता है. इस बीमारी से लिवर की बनावट भी चेंज होने लगती है और इसका आखरी इलाज लिवर ट्रांसप्लांट होता है.
स्किन, नाखून,आंखों और यूरिन का पीला पड़ना
मुंह का बार-बार कड़वा होना
हर वक्त घबराहट और उल्टी की शिकायत रहना
पेट में सूजन और भारीपन का एहसास होना.
आलस, चिड़चिड़ापन और हर वक्त नींद आना
याददाश्त कमजोर होना या भूलने की बीमारी होना
यह जरूरी है कि किस समय क्या खाना है, जिससे लिवर की बीमारी ठीक हो सकती है.
खाना आप तभी खाएं, जब आपको भूख लगती हो और खाना भूख से ज्यादा न खाएं.
रात के खाने में सब्जियां, प्रोटीन और स्टार्च वाली चीजों को शामिल करें.
शहद और गुड़ डाइट में शामिल करें.
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