(हर साल मार्च के दूसरे गुरुवार को वर्ल्ड किडनी डे मनाया जाता है. इस मौके पर ये स्टोरी दोबारा पब्लिश की जा रही है.)
कई महीनों तक घर में रहने के बाद अब लोग जिम जाकर अपनी एक्सरसाइज रूटीन फिर शुरू कर रहे हैं. लेकिन पिछले कई महीनों की कसर पूरी करने की कोशिश में आप अपने शरीर पर इतना दबाव न डाल दीजिएगा, जिससे आपकी सेहत को नुकसान पहुंचे.
जी हां, हम ओवर-एक्सरसाइज की बात कर रहे हैं. एक गैप के बाद अचानक जिम जाकर खूब सारा पसीना बहाने से पहले कुछ बातें जान लीजिए.
जिमिंग के शौकीन 18 साल के लक्ष्य बिंद्रा जब जिम पहुंचे, तो करीब 1 घंटे से अधिक एक्सरसाइज की और उसी शाम उन्हें उल्टी के साथ मांसपेशियों में बहुत ज्यादा थकान, अकड़न और दर्द शुरू हो गया.
लक्ष्य की मां पूजा बिंद्रा बताती हैं कि घर आकर उसने हाथ में दर्द की शिकायत की. उसे इतनी तकलीफ थी कि वो खाना खाने के लिए भी अपने हाथ नहीं उठा पा रहा था.
लक्ष्य को तीन दिनों तक ये दिक्कतें रहीं और आराम न मिलने पर दिल्ली के पटपड़गंज में मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ले जाया गया.
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के रीनल एंड किडनी ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. दिलीप भल्ला ने बताया, "जब पेशेंट को हॉस्पिटल लाया गया, तब उसे पेट में तेज दर्द हो रहा था. यूरीन कम हो रहा था और यूरीन का रंग काला था. किडनी और लिवर फंक्शन में गड़बड़ी थी. पैर बहुत टाइट हो गए थे. वो rhabdomyolysis से जूझ रहा था."
लक्ष्य को तुरंत आईसीयू में ले जाया गया और हाइड्रेशन बनाए रखने और उसकी मांसपेशियों को पोषक तत्व देने के लिए IV फ्लूइड शुरू किया गया.
उसकी मांसपेशियों को आराम देने के लिए कई दिनों तक फिजियोथेरेपी दी गई. इसके अलावा दो बार डायलिसिस की गई क्योंकि किडनी का फंक्शन रुक गया था.
धीरे-धीरे लक्ष्य की हालत में सुधार होने लगा. मांसपेशियों में अकड़न और दर्द धीरे-धीरे कम होने लगा और उसने मांसपेशियों की शक्ति भी हासिल कर ली.
लक्ष्य की मां बताती हैं,
डॉ दिलीप भल्ला कहते हैं, "हमें नहीं पता कि पेशेंट की किडनी पर असर कब से पड़ा. वो जिम में एक्सरसाइज करने के तीन दिनों बाद हॉस्पिटल पहुंचा. किडनी इस दौरान किसी भी समय डैमेज हुई हो सकती है. मसल इंजरी से रिलीज होने वाली myoglobin से भी किडनी का फंक्शन बिगड़ता है. अगर इसका समय पर पता न चलता तो हालत ज्यादा खराब हो सकती थी."
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के ही इमरजेंसी मेडिसिन के अटेंडेंट कंसल्टेंट डॉ. अब्बास अली खताई ने बताया, “ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी से मसल ब्रेकडाउन हो सकता है. ये rhabdomyolysis का एक सामान्य कारण है."
डॉ भल्ला समझाते हैं,
Rhabdomyolysis को लेकर डॉ अली इन लक्षणों पर ध्यान देने की बात कहते हैं:
सीवियर मसल वीकनेस यानी मांसपेशियों में गंभीर रूप से कमजोरी
सीवियर मसल पेन यानी मांसपेशियों में बहुत दर्द
मूवमेंट में दिक्कत जैसे हाथ या पैर हिलाने में तकलीफ होना
मांसपेशियों में सूजन- किसी एक हिस्से में सूजन हो सकती है
काले रंग का पेशाब होना
इस तरह के कोई लक्षण नजर आए तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं ताकि कंडिशन का पता लग सके.
डॉ अली कहते हैं, "हर इंसान का शरीर अलग होता है और हर एक्सरसाइज के प्रति अलग प्रतिक्रिया करता है. एक्सरसाइज करते समय जरूरी है कि हम अपने शरीर की सीमाओं को जानें, हाइड्रेटेड रहें और प्रोफेशनल गाइडेंस में एक्सरसाइज करें."
डॉ भल्ला की सलाह है कि चार महीने बाद एक्सरसाइज वगैरह शुरू कर रहे हैं, तो धीरे-धीरे मांसपेशियों की क्षमता बढ़ाएं. जैसे अगर आप टहलना या जॉगिंग करने जा रहे हैं, तो ये अचानक से शुरू न कर दें क्योंकि इसका असर दिल पर पड़ सकता है.
एक्सरसाइज के दौरान ऐसे क्या संकेत हैं, जिनके महसूस होने पर हमें एक्सरसाइज रोक देनी चाहिए?
एक्सरसाइज करते हुए अगर आपको
- ज्यादा थकान महसूस होने लगे
- मांसपेशियों में दर्द होने लगे
- चक्कर या उल्टी महसूस हो
मुमकिन है कि इतने दिनों बाद एक्सरसाइज रूटीन शुरू करने से आपको मांसपेशियों में दर्द की शिकायत हो, लेकिन दर्द से राहत पाने के लिए आमतौर पर हम जो दवा अक्सर ले लेते हैं, डॉ भल्ला ऐसी दवाओं के इस्तेमाल से चेताते हुए कहते हैं, "अगर आपको दर्द होता है तो ऐसी दवा न लें, जो किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं."
डॉ भल्ला मांसपेशियों में दर्द से राहत के लिए सलाह देते हैं:
किसी को दर्द हो रहा है, तो रेस्ट कराइए
मूव या वॉलिनी जेल लगा दीजिए
थोड़ा मसाज कर दीजिए
अगर पेनकिलर लेना ही हो, तो किडनी सेफ पेन किलर दीजिए ताकि पेनकिलर देने से समस्या बढ़े नहीं
जिम जाने वाले युवा अक्सर मसल बनाने के प्रोडक्ट भी लेते हैं ताकि बॉडी बिल्डिंग में मदद मिल सके, लेकिन इन प्रोडक्ट्स को लेकर भी सावधान रहने की जरूरत है.
सबसे पहले तो आप जो प्रोडक्ट ले रहे हैं, वो अप्रूव्ड होने चाहिए
प्रोफेशनल ट्रेनर और एक्सपर्ट की सलाह व निगरानी में ऐसे प्रोडक्ट्स लें
इस तरह के प्रोडक्ट ले रहे हैं, तो हर तीन महीने पर बेसिक टेस्ट जरूर कराएं क्योंकि इनका असर किडनी और लिवर पर पड़ता है
डॉ भल्ला बताते हैं कि हम जो भी खाते हैं, वो ब्लड में जाकर किडनी के जरिए निकलता है, इसलिए निगरानी करनी होगी कि कहीं किडनी और शरीर पर इनका बुरा असर तो नहीं पड़ रहा.
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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Published: 14 Aug 2020,10:53 AM IST