हम अपने कामकाज, मनोरंजन, सूचना और अध्ययन और दूसरे तमाम कामों के लिए गैजेट्स और स्क्रीन पर घंटों समय बिताते हैं. हमारा प्राकृतिक या बाहरी वातावरण में समय बिताना बहुत सीमित हो गया है.
इस जीवनशैली का खामियाजा हमारी आंखों या नजर को उठाना पड़ता है. स्क्रीन पर बहुत ज्यादा वक्त गुजारने के नतीजे हर उम्र के लोग भुगत रहे हैं.
यहां पेश हैं कुछ रोजमर्रा की तकनीकें, जिनको अपनाकर आप आंखों की सेहत को कायम रख सकने के साथ बेहतर बना सकते हैं.
भोर में उठें और अपनी आंखों को आहिस्ता से धो लें. इस तरह आप भोर के सूरज की किरणों के लिए खुद को तैयार करते हैं.
समस्थिति में खड़े होने या सुखासन में बैठने के लिए एक आरामदायक जगह खोजें जहां से आप सूरज की ओर लगाकर देख सकें.
10 सेकंड टकटकी लगाकर देखें और फिर नजर हटाकर आंखें बंद कर लें.
इसे फिर से दोहराएं और ऐसा 5 बार करें.
याद रखें कि आप यह उगते सूरज के साथ करें, जब इसकी किरणें हल्की होती हैं. लालिमा लिए धुंधले सूरज की शुरुआती किरणें आंखों के लिए फायदेमंद हैं.
बेहतर हो कि आप यह अभ्यास बाहर खुले में करें.
यह एक योगिक हीलिंग तकनीक है, जो न सिर्फ आंखों को फायदा पहुंचाती है, बल्कि सूरज की सुबह की किरणों का पूरे शरीर को सेहतमंद रखने में भी काफी योगदान है.
सुखासन में बैठें
आंखों की सीध में अपने दाहिने हाथ को दूर ले जाएं.
अपनी सभी उंगलियों की मुट्ठी बनाएं और अंगूठे को ऊपर की ओर उठाएं.
अपने अंगूठे की तरफ ध्यान केंद्रित करें और ख्याल रखें कि आपका चेहरा और गर्दन सीधे आगे देख रहे हैं.
अपनी बांह को धीरे-धीरे दाहिनी ओर घुमाएं और अपनी नजरों से अंगूठे का पीछा करें.
आपकी नजर अंगूठे पर रहे और ध्यान रखें कि आपका चेहरा और गर्दन स्थिर रहे. सिर्फ आपकी नजर अंगूठे के रास्ते का अनुसरण करे.
एक बार जब आप अपने अंगूठे और नजर से उसका पीछा करते हुए दाहिनी ओर इसकी हद पहुंच जाते हैं, तो फिर धीरे-धीरे उसी रास्ते पर लौट आएं और अपने अंगूठे को वापस बीच में लाएं.
अपनी आंखों के फोकस के साथ अंगूठे के इस रास्ते का पीछा करें.
एक बार जब आप बीच में पहुंच जाएं, तो कुछ सेकंड के लिए अपनी आंखें बंद कर लें.
अब इसी क्रिया को अपने बाएं अंगूठे से बाईं तरफ दोहराएं.
ध्यान रखें कि आप अपने अंगूठे को बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ाएं ताकि आपकी आंखें फोकस बनाए रख सकें.
सूर्य नमस्कार और चंद्र नमस्कार रोजाना करना जरूरी है. शरीर के संतुलित विकास के लिए इन नमस्कारों का एक साथ अभ्यास जरूरी है. इसके अननिगत फायदे हैं और इनके साथ ही इससे इंसान की नजर भी हेल्दी रहती है.
भोर में सूर्य नमस्कार और शाम को चंद्र नमस्कार करना इंसानी शरीर के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है. सूरज की सुबह की किरणों और चांद की शाम की किरणों का हर इंसानी शरीर के विकास में खास आध्यात्मिक महत्व है.
“कपाल” शब्द चेहरे के लिए संस्कृत का समानार्थी है और “भाति” का मतलब है दमकना. यह ऐसा प्राणायाम है, जिसका इंसानी शरीर पर फायदा इतना साफ है कि इससे चेहरे पर चमक आ जाती है. यह एक शुद्धिकरण तकनीक है और आंखों की सेहत के साथ-साथ शरीर के दूसरे अंगों पर भी बहुत असर डालती है.
सुखासन जैसी किसी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं.
अपनी हथेलियों को ऊपर की ओर घुटनों पर रखें.
ध्यान रखें कि आपकी पीठ सीधी हो.
गहरी सांस लें जिससे पेट में हवा भर जाएगी.
जब आप सांस छोड़ते हैं, तो जोर के साथ ऐसा करें मानो आप हवा को लयबद्ध तरीके से बाहर फेंक रहे हैं.
ऐसा धीमी से लेकर मध्यम रफ्तार में करें और 5 मिनट तक जारी रखें.
इसका मतलब है “हिस्सों में.” जैसा कि नाम से जाहिर है, सांस को हिस्सों में बांट लिया जाता है.
सुखासन जैसी किसी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं.
अपनी हथेलियों को ऊपर की ओर घुटनों पर रखें.
ध्यान रखें कि आपकी पीठ सीधी हो.
जब आप सांस लेते हैं, तो दो हिस्सों में सांस लें.
अब दो हिस्सों में सांस छोड़ें.
यह 5 मिनट तक दोहराएं.
अगर आपका काम ऐसा है कि आपके लिए देर तक स्क्रीन का इस्तेमाल करना मजबूरी है, तो नियमित अंतराल पर उससे नजर हटाकर अपनी आंखों को फिर से तरोताजा करने के लिए किसी भी प्राणायाम या फोकस तकनीक का इस्तेमाल करें और आंखों को आराम दें, जो कि बहुत जरूरी है.
(अक्षर योग गुरु, आध्यात्मिक मार्गदर्शक और लाइफस्टाइल कोच हैं.)
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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