2021 का स्वागत खुली बांहों से किया गया इस उम्मीद के साथ कि ये साल हमें वापस 'पुराने सामान्य स्थिति' में ले जा सकता है.

रविवार 7 मार्च को, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में स्थिति नियंत्रण में है और फिलहाल किसी तरह के पैनिक की जरूरत नहीं है. मौजूदा स्थिति पर टिप्पणी करते हुए सत्येंद्र जैन ने कहा कि ऐसा लगता है कि कोरोना का पैंडेमिक फेज खत्म हो रहा है, लेकिन हम एंडेमिक फेज में जा रहे हैं.

मेडिसिन नेट के मुताबिक बीमारी जब जनसंख्या, क्षेत्र या पर्यावरण का एक नियमित और अपेक्षित हिस्सा बन जाए तो ये एंडेमिक कहलाती है. उदाहरण के लिए चिकेन पॉक्स जो “अनुमानित दर” पर होती है. 

भारत में वैक्सीनेशन ड्राइव फेज 2 में है और अधिकांश राज्यों में मामले नीचे की ओर जाते दिख रहे हैं, तो क्या ये सच हो सकता है?

वायरस आम तौर पर जिस तरह से काम करते हैं साथ ही हम SARS-CoV-2 के बारे में जितना जान पाए हैं, उससे पता चलता है कि कोरोनावायरस अभी यहां रहने वाला है. तो कोई बीमारी वास्तव में कब 'एंडेमिक' हो जाती है?

फिट आपको बता रहा है.

क्या दिल्ली एंडेमिक हो गई है?

सबसे पहले शब्दावली को अलग-अलग समझ लें. वायरोलॉजिस्ट डॉ. जमील समझाते हैं,

  • ज्यादा लोगों के संपर्क में आने से वायरस कम वायरल हो जाते हैं और कम संख्या में संक्रमित करते हैं और बार-बार ऐसा करते हैं. म्यूटेशन इस प्रक्रिया का हिस्सा है. इसे किसी आबादी में एंडेमिक(endemic)होना कहा जाता है. एंडेमिक का मतलब है कि हर समय मौजूद रहना, जैसे कि अंटार्कटिका में बर्फ.
  • बीमारी का प्रकोप (outbreak) उस स्थिति को कहते हैं जब एक सीमित समूह में कई लोग लगभग एक साथ बीमार हो जाते हैं.
  • महामारी (epidemic) तब होती है जब बड़ी संख्या में लोगों के साथ एक या एक से अधिक देशों में ऐसा होता है.
  • वैश्विक महामारी (pandemic) तब होती है जब महामारी सभी महाद्वीपों पर होती है.

सत्येंद्र जैन ने बताया था कि

“कोरोनावायरस दिल्ली में एंडेमिक फेज के करीब है. विशेषज्ञों का कहना है कि एंडेमिक फेज में कुछ मामले सामने आते रहते हैं. एंडेमिक फेज का मतलब है बीमारी का बने रहना, जैसे स्वाइन फ्लू आया था जिस समय शुरू हुआ था तेजी से आया था लेकिन उसके बाद हर साल कुछ केस आते हैं. कोरोनावायरस पूरी तरह खत्म नहीं होने जा रहा है... हमें इसके साथ जीना सीखना होगा.”
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, “एंडेमिक किसी भौगोलिक क्षेत्र के भीतर आबादी में किसी बीमारी या संक्रामक एजेंट की निरंतर उपस्थिति और/या आम प्रसार के बारे में बताता है.”

ये बीमारी का अंतिम स्तर नहीं हो सकता है- जो कि शून्य है- बल्कि ये अपेक्षित स्तर है.

वायरोलॉजिस्ट डॉ. शाहिद जमील आगे समझाते हैं,

“एक बार आबादी के प्रसार के दायरे में आने के बाद वायरस एंडेमिक हो जाएगा जैसा कि सर्दी की बीमारी वाले कई अन्य वायरस जैसे दूसरे कोरोना वायरस, एडिनोवायरस आदि.”
डॉ. शाहिद जमील, वायरोलॉजिस्ट

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 8 मार्च सोमवार को कोविड-19 बीमारी को लेकर राजनीतिक दायरे में इस सोच की निंदा की, जिसमें नेता पॉजिटिव मामलों के गिरती संख्या को ‘एंडेमिक’ की स्थिति से जोड़ रहे हैं.

“राजनीतिक दायरे में कोविड-19 पर पैंडेमिक बनाम एंडेमिक की स्थिति पर चर्चाओं को देखना तकलीफदेह है. हालांकि, इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) या ICMR द्वारा केवल वैज्ञानिक प्रमाण द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए.”
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(IMA)

दिल्ली में एक हफ्ते से ज्यादा समय से रोजाना नए मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है.

एसोसिएशन का कहना है कि, “अनधिकृत राजनीतिक बयान झूठी सुरक्षा की भावना पैदा करेंगे. IMA को लगता है कि दुनिया के देश अभी भी इस बीमारी की गिरफ्त में हैं, इस स्तर पर हमें इसे केवल महामारी के रूप में समझना चाहिए और हमें पूरी ताकत से रोकथाम, इलाज और पुनर्वास को लेकर मेहनत करनी चाहिए.”

IMA ने ध्यान दिलाया कि बीते एक हफ्ते में देश के अलग हिस्सों और यहां तक कि देश की राजधानी में संक्रमण के मरीजों की संख्या में 35 से 40% बढ़ोतरी देखी गई है, रोजाना का औसत 100 से 140 मरीजों तक बढ़ गया है.

“मौजूदा स्टेज को महामारी के खात्मे या एंडेमिक कहना ठीक नहीं है. हमारे देश में काफी प्रभावी और सुरक्षित कोरोना वैक्सीन का तैयार होना, हमारे लिए आत्मविश्वास के साथ इस कठिन लड़ाई का सामना करने का एक उपकरण है. ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील से म्यूटेशन वायरस का हमला अभी भी हमारे सिर पर मंडरा रहा है.”
डॉ. जे.ए. जयालाल, अध्यक्ष, IMA

डॉ. जमील बताते हैं कि जैन ने कहा है कि दिल्ली “एंडेमिक हो रही है” है, ना कि ऐसा कहा है कि ये हो चुकी है. “ये शब्दों का खेल है लेकिन फर्क बहुत महत्वपूर्ण है.”

क्या हम कह सकते हैं कि कोविड भारत में कब एंडेमिक होगा? क्या हम अभी उस स्थिति तक पहुंचे हैं?

“जी हां, ये वायरस सिर्फ दिल्ली या भारत में नहीं- दुनिया भर में एंडेमिक बनने की ओर बढ़ रहा है. लेकिन हमें अभी समय-सीमा का बिल्कुल पता नहीं है. डॉ. जमील कहते हैं, ‘'शायद कुछ सालों में.”

कोविड-19 एंडेमिक बनेगा, मगर फिलहाल नहीं

साइंस पत्रिका नेचर द्वारा किए एक सर्वे में 100 इम्यूनोलॉजिस्ट में 90% का मानना था कि वायरस एंडेमिक हो जाएगा, लेकिन आने वाले सालों में दुनिया के कई हिस्सों में मौजूद रहेगा, लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि हालात वैसे ही गंभीर रहेंगे जैसे शुरू में थे.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हमें महीनों पहले मई 2020 में चेतावनी दी थी कि नोवेल कोरोनावायरस ‘हो सकता है कभी खत्म न हो.’ WHO के आपात स्थितियों के निदेशक डॉ. माइकल रयान ने एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग में कहा था,

“इसे आधिकारिक तौर पर कहना जरूरी है: ये वायरस हमारे लोगों में बस एक और एंडेमिक वायरस बन सकता है, और हो सकता है कि ये वायरस कभी खत्म न हो.” 
डॉ. माइकल रयान

हालांकि कोविड-19 के खिलाफ इस समय दुनिया में 100 से अधिक वैक्सीन विकसित की जा रही हैं, इस बात की गारंटी नहीं दी जा सकती है कि वायरस का खात्मा हो जाएगा. डॉ. रयान ने ये भी कहा कि उन्हें नहीं लगता कि “कोई भी भविष्यवाणी कर सकता है कि ये बीमारी कब खत्म होगी.”

असल में, वैक्सीन के बावजूद मीजल्स (खसरा) जैसी बीमारियों का अभी भी खात्मा नहीं हुआ है.

साइंस पत्रिका नेचर के सर्वे के मुताबिक वायरस एंडेमिक हो जाएगा यानी आने वाले सालों में दुनिया के छिटपुट हिस्सों में मौजूद रहेगा, लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि हालात वैसे ही गंभीर रहेंगे जैसे शुरू में थे. ये बात माइकल ऑस्टरहोम, मिनियापोलिस में मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के एक एपिडेमियोलॉजिस्ट की रिपोर्ट में कोट करते हुए कही गई थी:

“ दुनिया से अभी इस वायरस के खात्मे की बात करना बहुत कुछ वैसा ही है जैसे चांद पर जाने के लिए सीढ़ियां बनाने की योजना तैयार करने की कोशिश. ये हकीकत से दूर है.”
माइकल ओस्टरहोम

म्यूटेशन से सतर्क रहें


भारत के ज्यादातर राज्यों में मामलों में कमी आई है और मरीजों की मृत्यु दर कम बनी है, लेकिन वायरस अभी भी पूरी तरह मौजूद है.

हम अभी भी अपने सुरक्षा प्रहरी (या मास्क) को हटा नहीं सकते हैं, लेकिन हालात उतने संवेदनशील नहीं हैं जितने कि कोविड-19 की लहर से जूझने के शुरुआती महीनों के दौरान दुनिया के अधिकांश देशों के लिए थे.

वायरस के बारे में पहले के मुकाबले अब हम काफी ज्यादा जानते हैं- और हमारी समझ हर बीतते दिन के साथ बड़ी होती जा रही है. बहुत से देशो में वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है, और प्राकृतिक संक्रमण और इम्यूनिटी (या आखिरकार हर्ड इम्यूनिटी पा जाने) के माध्यम से हासिल एंटीबॉडी, वायरस के फैलाव और संक्रमण को कम करने में मदद करेंगे.

इसके अलावा, अगर वायरस बना रहता है, लेकिन वैक्सीन या प्राकृतिक संक्रमण इम्यूनिटी के किसी स्तर का निर्माण करके बीमारी की गंभीरता को कम करना मुमकिन हुआ तो आगे चलकर ज्यादा फिक्र की बात नहीं होगी- तब तक ज्यादातर लोग या तो संक्रमित हो चुके होंगे या वैक्सीन लगवा चुके होंगे.


लेकिन यहां फिर से सावधानी की एक बात याद रखनी होगी. वायरस म्यूटेशन कर रहा है.

सावधानी की बात ये कि वायरस म्यूटेशन (रूप परिवर्तन) कर रहा है. म्यूटेशन वायरस के जीवन-चक्र का एक हिस्सा है और ऐसा होता ही है. लेकिन कई बार वे ज्यादा संक्रामक रूप ले सकते हैं जो आगे चलकर संक्रमण की नई लहरें पैदा कर सकते हैं- जैसा कि अन्य इलाकों के अलावा यूनाइटेड किंगडम और दक्षिण अफ्रीका में देखा गया है.


देश में पांच राज्यों- महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश- में कोविड मामलों की संख्या में बढ़ोत्तरी और नए संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. वायरोलॉजिस्ट जैकब जॉन कहते हैं, “हमें अभी तक मामलों में बढ़ोत्तरी की वजह नहीं पता है, लेकिन अगर ये एक नया वेरिएंट है तो हमें ध्यान रखना चाहिए और सतर्क रहना होगा.”


इसके अलावा, हम अभी तक नहीं जानते हैं कि क्या हमारी वैक्सीन- कोविशील्ड और कोवैक्सीन- किसी भी नए वेरिएंट के खिलाफ असरदार हैं या नहीं.


इसलिए हालांकि उम्मीद है, मगर भारत में अभी भी स्पष्टता नहीं है क्योंकि वैक्सीन के सभी तक पहुंचने में समय लगेगा. हम कुछ राज्यों में मामलों में बढ़ोत्तरी देख सकते हैं और फिलहाल तमाम म्यूटेशन हैं, जिनकी हमें चिंता करनी चाहिए.

“चिंता के कारण का अभी भी खात्मा नहीं हुआ.” ये कहना है मुंबई में इंटरनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट और: द कोरोनोवायरस: वाट यू नीड तो नो अबाउट ग्लोबल पैंडेमिक’ किताब के लेखक डॉ. स्वप्निल पारीख का.

अभी भी सावधानियों का पालन करना जरूरी है

  • अपने चेहरे पर मास्क पहनें
  • शारीरिक दूरी का पालन करें
  • हाथ और नाक की हाईजीन का ध्यान रखें
  • स्कूल और घर के अंदर हवा आने-जाने और एयरकंडिशनिंग के सिस्टम को दुरुस्त करें
  • गैरजरूरी घूमने-फिरने से बचें

2021 में हमें वायरस के साथ ही रहना होगा

फिट ने पहले भी एक्सपर्ट्स से बात की थी जिन्होंने बताया था कि वैक्सीन एक उम्मीद तो है लेकिन हम सावधानियों से दूर नहीं भाग सकते.

मेदांता लीवर इंस्टिट्यूट के चेयरमैन और चीफ सर्जन डॉक्टर एएस सॉइन कहते हैं-

“आम लोगों को वैक्सीन के लिए लंबा इंतजार करना होगा. उन्हें 2021 की शुरुआत के 6 महीने तक वैक्सीन मिलेगी ही नहीं. इसलिए जाहिर है कि महामारी की तरह हमें भी सावधानियों को लगातार जारी रखना है.”
एएस सॉइन

वैक्सीनेशन ड्राइव को जल्दी अंजाम देना होगा ताकि ये स्ट्रेन या कोरोना वायरस का कोई भी पुराना स्ट्रेन हावी न हो, क्योंकि जबतक 60-70% लोगों को वैक्सीन नहीं मिलती, हर्ड इम्यूनिटी नहीं होता तब तक आउटब्रेक देखने को मिल सकते हैं.

वहीं, डॉ जमील कहते हैं-


“वैक्सीन हमारी सभी मुश्किलों का जवाब नहीं है. अभी, हमें सतर्क रहना होगा. हमें 2021 में भी वायरस के साथ रहना है और अगले 5 सालों तक रहना होगा. लेकिन हम उम्मीद कर सकते हैं कि 2 सालों में, वैक्सीन इसे काफी हद तक कंट्रोल कर लेगी.”

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