क्या आपने किसी ऑनलाइन हेल्थ टेस्ट में हिस्सा लिया है? जिनमें आपको कुछ सवालों के जवाब देने होते हैं और फिर रिजल्ट सामने आता है कि आप कितने हेल्दी या अनहेल्दी हैं. इस तरह के कई हेल्थ ऐप भी हैं, जो आपको होने वाली दिक्कतों और लक्षणों के इनपुट से किसी बीमारी के बारे में बताते हों. लेकिन हम इन पर कितना भरोसा कर सकते हैं?
हाल ही में हमारी ऑफिस की कुछ महिलाओं ने पीरियड से जुड़ी बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज देने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म Gynoveda के पीरियड टेस्ट में हिस्सा लिया, जिसके नतीजे उन्हें कई तरह के पीरियड डिसऑर्डर की आशंका जता रहे थे- पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज (PCOD), फाइब्रॉयड, एंडोमेट्रोसिस.
Gynoveda के जुटाए आंकड़े बताते हैं कि उनके पीरियड टेस्ट में अब तक 58 हजार लड़कियों या महिलाओं ने हिस्सा लिया, जिनमें से 70% लड़कियों को पीरियड के दौरान दर्द से लेकर PCOD, PMS, वजाइनल इंफेक्शन, एंडोमेट्रोसिस, फाइब्रॉयड और कई दिक्कतें रिजल्ट में सामने आईं.
हालांकि इस टेस्ट में शामिल हमारी टीम की कई महिलाओं ने बताया कि उन्होंने अपना बकायदे चेकअप करा रखा है और उन्हें कोई पीरियड डिसऑर्डर नहीं है. फिर इन नतीजों का क्या?
Flo और Clue नाम के दो बेहद मशहूर पीरियड ट्रैकर ऐप की ओर से जब महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) होने के रिस्क का पता करने वाला टूल लाया गया था, तब भी ये सवाल उठा था कि बीमारी की पहचान में इस तरह के ऐप कितने विश्वसनीय हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि ऐसे ऐप के बारे में कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये अक्सर गलत हो सकते हैं क्योंकि हेल्थ ऐप बीमारी की पहचान के लिए हाई लेवल के क्लिनिकल एप्रोच पर आधारित नहीं होते और बिना वजह चिंता का कारण बन सकते हैं.
Gynoveda की कोफाउंडर रचना गुप्ता बताती हैं, "हमारे प्लेटफॉर्म पर जो पीरियड टेस्ट है, वो एक प्रॉग्नोसिस टूल है, ये डायग्नोसिस (बीमारी की पहचान) स्टेज के पहले आता है और इसे आयुर्वेद गाइनाकॉलजिस्ट की टीम के साथ मिलकर तैयार किया गया है."
पीरियड टेस्ट में हमारी टीम की लगभग सभी महिलाओं को कोई ना कोई पीरियड डिसऑर्डर सामने आने की बात पर वो साफ करती हैं, "अगर ऐसा कोई लक्षण सेलेक्ट किया गया, जो किसी समस्या की ओर संकेत करता है, तो रिजल्ट में वो सामने आता है. लेकिन हमारे रिजल्ट पेज पर उस डिसऑर्डर की पूरी जानकारी दी गई होती है."
हालांकि नेचर डिजिटल मेडिसिन की एक स्टडी के मुताबिक दुनिया भर में ऐप स्टोर पर मौजूद ज्यादातर हेल्थ ऐप के नतीजों के पुख्ता होने को लेकर सबूतों की कमी है.
भले ही कुछ हेल्थ ऐप कई चीजों के लिए मददगार हों, लेकिन ये तय करना कि वे कितने सटीक हैं, मुश्किल हो सकता है.
पंचशील पार्क स्थित मैक्स मल्टी स्पेशएलिटी सेंटर में इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ सुप्रिया बाली कहती हैं-
रचना गुप्ता बताती हैं कि Gynoveda का मकसद ये है कि महिलाएं जो अपनी मेंस्ट्रुएल हेल्थ को नजरअंदाज करती हैं या किसी से अपनी पीरियड से जुड़ी दिक्कतें बताने में हिचकती हैं, उन्हें संभावित स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी हो, वो इलाज के लिए जागरूक हों और किसी बात को शर्म या हिचक के कारण छिपाए नहीं.
वहीं कई लोगों का मानना है कि उनके लक्षणों के पीछे का संदर्भ समझे बिना ये बताना कि उन्हें कोई गंभीर रोग हो सकता है, ये सही नहीं है.
इस विषय पर मैक्स हेल्थकेयर में सीनियर ग्रैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ अश्विनी सेतिया कहते हैं कि हेल्थ ऐप ऐसे टूल की तरह काम करते हैं, जिनके नतीजे एक संकेत मात्र होते हैं, जो आपको आगे उपचार कराने की दिशा दे सकते हैं.
कोई भी हेल्थ वेबसाइट या ऐप डॉक्टर के पास जाकर जांच या इलाज कराने का विकल्प नहीं हैं.
डॉ सेतिया इसके कारण में उदाहरण देते हैं, "भारत में टेलीमेडिसिन को बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई, इसके पीछे एक कारण ये भी है कि टेलीमेडिसिन के जरिए सीधे रोगी से बात और उसका परीक्षण नहीं हो सकता, जो किसी भी रोग की पहचान और उपचार के लिए बहुत आवश्यक है."
डॉ सुप्रिया बाली भी इस बात के समर्थन में कहती हैं, "हमें नहीं पता कि किसी ऐप में कितनी सच्चाई है. डॉक्टर को दिखाने और जरूरी टेस्ट कराने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जाना चाहिए."
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