भले ही भारत ने कुछ दिनों के भीतर शुरू होने वाले वैक्सीनेशन अभियान की तैयारी कर ली हो, लेकिन बुधवार को सामने आए एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि कोविड-19 शॉट्स लेने में लगभग 69 प्रतिशत लोग अभी भी संकोच कर रहे हैं.

ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की ओर से दो वैक्सीन को मंजूरी देने की घोषणा हो चुकी है, जिसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दे दी गई है.

'वैक्सीन लेने में जल्दबाजी नहीं करेंगे'

'लोकलसर्कल्स' द्वारा जनवरी में किए गए सर्वे में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि कोविड-19 वैक्सीन को लेकर भारतीयों में झिझक में नवंबर और दिसंबर 2020 में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. भारत के 69 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वे इसे लेने में जल्दबाजी नहीं करेंगे.

इस सवाल पर कि क्या वे वैक्सीन लेंगे, इस पर 8,723 प्रतिक्रियाएं मिलीं, मात्र 26 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि वे इसे निजी या किसी भी स्वास्थ्य सेवा सोर्स के माध्यम से उपलब्ध होते ही ले लेंगे, जबकि पांच प्रतिशत ने कहा कि पहले स्वास्थ्य या फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए यह आवश्यक है और खुद को सरकारी चैनलों के माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगवाएंगे.

सर्वे के नतीजों से संकेत मिलता है कि वैक्सीनेशन के लिए दो वैक्सीन को नियामक की हरी झंडी मिलने के बाद भी 69 प्रतिशत नागरिकों में हिचकिचाहट बनी हुई है.

इस प्रतिशत में दिसंबर 2020 में प्रकाशित परिणाम के बाद से कोई परिवर्तन नहीं आया है. नवंबर और अक्टूबर 2020 में सर्वे में क्रमशः 59 प्रतिशत और 61 प्रतिशत नागरिकों में वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट थी.

भारत बायोटेक का दावा है कि उसकी कोवैक्सिन 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए भी सुरक्षित है.

जब लोकलसर्कल ने माता-पिता से पूछा, 'अगर स्कूली बच्चों के लिए कोविड -19 वैक्सीन उपलब्ध कराई जाती है, तो क्या आप इसे अपने बच्चे को देने पर विचार करेंगे?' केवल 26 प्रतिशत भारतीय माता-पिता ने अपने बच्चे को वैक्सीन दिए जाने पर सहमति जताई.

वहीं 56 फीसदी अभिभावकों ने कहा, "तीन महीने या उससे अधिक समय तक इंतजार करेंगे और फिर डेटा या निष्कर्षों के आधार पर विचार करेंगे", जबकि 12 फीसदी ने 'नहीं' कहा. इस सवाल पर सर्वे में 10,468 प्रतिक्रियाएं मिलीं.

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इससे पता चलता है कि एक बड़ा समुदाय अपने बच्चों को कोविड वैक्सीन देने में संकोच कर रहा है.

लोकलसर्कल सर्वे में 69 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि वे चाहते हैं कि स्कूल 2021 अप्रैल या उसके बाद खुलें, इससे यह स्पष्ट है कि मामलों में गिरावट के साथ माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अधिक सहज हो रहे हैं और सिर्फ 26 प्रतिशत अपने बच्चों के लिए वैक्सीन की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं.

भारत में वैक्सीनेशन शुरू करने की तैयारी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा था कि देश में बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन अभियान के लिए मार्ग प्रशस्त करते हुए 13 जनवरी तक कोरोना वायरस वैक्सीन रोल आउट करने की तैयारी है.

इस घोषणा से भारतवासियों को बड़ी राहत मिली.

सबसे पहले वैक्सीन एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ, दो करोड़ फ्रंटलाइन और आवश्यक वर्कर्स और 27 करोड़ बुजुर्गों को दी जाएगी, जो ज्यादातर अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं और जिनकी उम्र 50 साल से अधिक है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने घोषणा की थी कि दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स को मुफ्त में वैक्सीन मिलेगी.

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