केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय ने 6 अक्टूबर को COVID-19 के लक्षणों को पारंपरिक तरीकों से मैनेज करने के लिए आयुर्वेद और योग आधारित ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल जारी किया.
इसका उद्देश्य आयुष आधारित COVID-19 उपचार में एकरूपता लाना है.
कोरोना संक्रमण को रोकने और हल्के व एसिम्प्टोमैटिक मामलों के लिए गुडूची, अश्वगंधा, गिलोय और आयुष-64 जैसी औषधियों की सलाह दी गई है, जबकि इन पर क्लीनिकल ट्रायल अभी चल रहे हैं.
मंत्रालय की ओर से आहार संबंधी उपायों में अदरक, धनिया, तुलसी और जीरे के साथ गरम पानी पीने की सलाह दी गई है. इसके अलावा 150 मिलीलीटर दूध में आधा चम्मच हल्दी डालकर लेने और दिन में एक बार आयुष काढ़ा पीने की सलाह दी गई है. हालांकि इन उपायों के साथ हैंड हाइजीन, फिजिकल डिस्टेन्सिंग और मास्क पहनने में लापरवाही न करने की भी सलाह दी गई है.
मंत्रालय ने कोरोना से बचाव के लिए और कोरोना रोगियों के संपर्क में रहने वाले लोगों को 15 दिनों या एक महीने के लिए अश्वगंधा, गुडूची घनवटी और च्यवनप्राश की सलाह दी है.
जबकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ये चीजें कोरोना से बचा सकती हैं. आयुष उपायों का मकसद इम्युनिटी बूस्ट करना होता है ताकि संक्रमण से लड़ने में मदद मिले. साइंस जर्नलिस्ट संध्या रमेश यहां 'इम्युनिटी बूस्टर्स' के बारे में समझाती हैं कि क्यों हमारी इम्युनिटी एक जटिल प्रणाली है.
मिनिस्ट्री की सलाह है:
1. जिन कोरोना रोगियों में कोई लक्षण न हों: 15 दिनों के लिए गुडूची घनवटी, पीपली के साथ गुडूची और आयुष-64 टैबलेट्स
2. कोरोना के हल्के लक्षण वाले रोगियों, जिन्हें बुखार, सिर दर्द, थकान हो लेकिन सांस लेने में कोई तकलीफ न हो: गुडूची, पीपली और आयुष-64 टैबलेट्स
कोरोना से उबरने के बाद फेफड़े संबंधी दिक्कतों, थकान और मानसिक स्वास्थ की समस्या के प्रबंधन के लिए अश्वगंधा, च्यवनप्राश का इस्तेमाल किया जा सकता है.
मंत्रालय रेस्पिरेटरी और कार्डियक फंक्शन बढ़ाने, तनाव और चिंता घटाने और इम्युनिटी के लिए हल्के या मध्यम एक्सरसाइज और रोजाना विभिन्न आसनों का सुझाव देता है.
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Published: 07 Oct 2020,04:18 PM IST