भारत बायोटेक की COVID-19 वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) की सिम्प्टोमैटिक कोविड के खिलाफ एफिकेसी 77.8% है. कंपनी ने 3 जुलाई, 2021 को जारी अपनी प्रेस रिलीज में इसकी जानकारी दी है.

भारत बायोटेक की COVID-19 वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) की सिम्प्टोमैटिक कोविड के खिलाफ एफिकेसी 77.8% है. कंपनी ने 3 जुलाई, 2021 को वैक्सीन के फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल के फाइनल सेफ्टी (सुरक्षा) और एफिकेसी (प्रभावशीलता) एनालिसिस डेटा की जानकारी दी है.

प्रीप्रिंट डेटा medRxiv पर पब्लिश किया गया है यानी इसकी समीक्षा बाकी है.

Covaxin पहली स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन है, जिसे आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिली हुई है.

जानिए इस फेज 3 ट्रायल डेटा से जुड़ी 10 बड़ी बातें-

  1. फेज 3 ट्रायल एक डबल-ब्लाइंड प्लेसिबो टेस्ट था, जिसका मतलब है कि न तो शोधकर्ता और न ही प्रतिभागियों को पहले से ये नहीं पता था कि किसे वैक्सीन मिली और किसे प्लेसिबो.

  2. इसमें कुल 24,419 लोगों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 18 से 98 साल के बीच थी. इन्हें दो ग्रुप- वैक्सीन लेने वाले और प्लेसिबो में बांटा गया था.

  3. गंभीर कोविड से बचाव में कोवैक्सीन 93.4 फीसदी कारगर पाई गई.

  4. बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमण से बचाव में Covaxin 63.6% प्रभावी रही.

  5. ट्रायल रिजल्ट के मुताबिक वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) के खिलाफ 65.2% असरदार रही.

  6. ट्रायल में हिस्सा लेने वाले कुल लोगों में 130 प्रतिभागियों को लक्षण के साथ कोविड हुआ. वैक्सीन वाले ग्रुप में सिम्प्टोमैटिक कोविड के 24 मामले सामने आए और 1 केस गंभीर कोविड के लक्षण वाला रहा.

  7. वैक्सीन वाले ग्रुप में 12 प्रतिशत प्रतिभागियों ने पोस्ट-वैक्सीन साइड इफेक्ट अनुभव किए.

  8. 0.5 प्रतिशत से भी कम प्रतिभागियों ने टीकाकरण के बाद प्रतिकूल दुष्प्रभावों का अनुभव किया.

  9. मौत का कोई मामला सामने नहीं आया.

  10. अध्ययन को भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी, भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा संयुक्त रूप से फंड किया गया था.

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Covaxin के बारे में

COVAXIN इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है. इनएक्टिवेटेड वैक्सीन तैयार करने के लिए बीमारी करने वाले वायरस या बैक्टीरिया को केमिकल या फिजिकल प्रोसेस से इनएक्टिव (मारा) किया जाता है.

(क्रेडिट: भारत बायोटेक)

  • कोवैक्सीन तैयार करने के लिए भारत बायोटेक ने कोरोना वायरस का इस्तेमाल किया, जिसे भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), पुणे ने आइसोलेट किया था.

  • एक केमिकल के जरिए इन्हें निष्क्रिय किया गया यानी ये वायरस रेप्लिकेट (अपनी संख्या बढ़ाना) नहीं हो सकते, लेकिन स्पाइक सहित इनकी प्रोटीन बनी रहती है.

  • निष्क्रिय कोरोना वायरस को एक कंपाउड के साथ मिलाया गया, जिसे एक सहायक (adjuvant) कहा जाता है. ये वैक्सीन को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है.

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