अब तक दिल्ली, केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है.

केंद्रीय पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी मंत्रालय के मुताबिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जलाशयों, पक्षियों के बाजार, चिड़ियाखाना और पोल्ट्री फार्मों की निगरानी बढ़ाने और पोल्ट्री फार्मों की जैव-सुरक्षा कड़ी करने की अपील की गई है.

इसके अलावा राज्यों से पक्षियों के इन्फ्लूएंजा यानी बर्ड फ्लू के संबंध में भ्रामक सूचना से दूर रहने और लोगों में जागरुकता फैलाने का भी आग्रह किया गया है क्योंकि बर्ड फ्लू की खबरें आने के साथ ही चिकन और अंडे के सेवन को लेकर कन्फ्यूजन बढ़ गया है.

क्या चिकन या अंडा खाना सुरक्षित है? क्या मांस पकाने से वायरस का खात्मा हो जाएगा? अगर मीट वगैरह लेने या पकाने जा रहे हैं, तो किन बातों का ख्याल रखना चाहिए? जानिए कुछ जरूर सवालों के जवाब.

कई राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद क्या चिकन और अंडा खाना सुरक्षित है?

केंद्र सरकार में पशुपालन आयुक्त डॉ. प्रवीण मलिक इस संबंध में आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में कहते हैं, "अंडे और चिकन को अगर सही तरीके से पकाकर खाएं तो यह पूरी तरह सुरक्षित है."

एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऐसे कोई सबूत नहीं हैं जो मांस या अंडे खाने से बर्ड फ्लू होने की बात कहते हों.

इस संंबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन की हिदायत है कि एवियन इन्फ्लूएंजा के प्रकोप वाले क्षेत्रों से कच्चे या अधपके मांस और अंडे का सेवन करने से बचना चाहिए. इसी तरह, जो जानवर बीमार हैं या अप्रत्याशित रूप से मर चुके हैं, उन्हें नहीं खाना चाहिए.

पशुपालन आयुक्त डॉ. प्रवीण मलिक कहते हैं. "डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस दिशा में पहले से ही सतर्कता बरती जा रही है. पोल्ट्री बर्ड में जहां कहीं भी बर्ड फ्लू यानी एवियन इन्फ्लूएंजा (एआई) की रिपोर्ट मिलती है, वहां प्रभावित फार्म के सारे बर्ड और एक किलोमीटर के एरिया में लोगों ने जो भी बर्ड पाल रखा है सबको खत्म कर दिया जाता है और सरकार की ओर लोगों को उसका मुआवजा दिया जाता है. इसके बाद अगले 10 किलोमीटर तक निगरानी बढ़ा दी जाती है और उस क्षेत्र से सैंपल लेकर जांच करवाते हैं. इसके बाद पोस्ट सर्विलांस ऑपरेशन चलता है, इसमें दो-तीन महीने रिपोर्ट निगेटिव रहती है तो फिर उसे बर्ड फ्लू मुक्त एरिया घोषित कर दिया जाता है."

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क्या मांस को पकाने से वायरस का खात्मा हो जाता है?

भारत सरकार की ओर से एवियन इन्फ्लूएंजा से निपटने के लिए तैयार एक्शन प्लान 2021 में बताया गया है कि मांस को 30 मिनट के लिए 70 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर पकाने से वायरस निष्क्रिय हो जाता है.

इसलिए, पोल्ट्री प्रोडक्ट्स (अंडा, मुर्गी, मुर्गा) को अच्छी तरह से पका कर खाने में खतरा नहीं है.

चिकन, मीट या अंडा पकाते वक्त किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?

आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मांस को ठीक से हैंडल किया जाए और इसे खरीदते और पकाते समय सफाई का पूरा ख्याल रखा जाए.

  • मुर्गियों के सीधे संपर्क में आने से बचें

  • अगर मार्केट में जाने के दौरान इनके संपर्क में आना पड़े तो मास्क और ग्लब्स पहनें

  • हमेशा कच्चे मांस और अंडे को पके हुए या तैयार खाने से अलग रखें

  • कच्चे मांस और दूसरी चीजों के लिए एक ही चॉपिंग बोर्ड या एक ही चाकू का इस्तेमाल न करें

  • कच्चा मीट और अंडे को छूने से पहले और बाद में अपने हाथों को गर्म पानी और साबुन से धोएं

  • पकाया हुआ मांस वापस उसी प्लेट या सतह पर न रखें जो खाना पकाने से पहले था

  • कटिंग बोर्ड, बर्तन और मांस के संपर्क में आने वाली सभी सतहों को गर्म साबुन वाले पानी से साफ करें

  • अंडे के छिलके अक्सर पक्षी से निकली बूंदों से दूषित होते हैं, कच्चे या अधपके अंडे वाली चीजें खाने से बचें

ये याद रखें कि संक्रमित पक्षी के मल, नाक, मुंह या आंखों से निकलने वाले पदार्थ के संपर्क के जरिए मनुष्यों में ट्रांसमिट हो सकता है. यह वायरस इंसानों में आंख, नाक और मुंह के जरिए प्रवेश कर सकता है. इसलिए हैंड हाइजीन का पूरा ख्याल रखें.

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Published: 11 Jan 2021,11:49 AM IST

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