कोविड के तबाही भरे असर और इस वायरल इंफेक्शन का दूर-दूर तक कोई इलाज नहीं होने के चलते मेडिकल प्रोफेशनल्स कोई भी और कैसा भी इलाज ढूंढने के लिए भटकते फिर रहे हैं, जो इसका असर कम करने या हमेशा के लिए खत्म करने में मदद करे.
ऐसा करने का एक तरीका यह है कि दवाओं के पहले से मौजूद भंडार में से किसी का भी नया इस्तेमाल तलाश कर देखा जाए कि उनमें से कौन सी कोविड इंफेक्शन में इस्तेमाल की जा सकती है.
फिलहाल अभी तक तलाश अंतिम रूप से पूरी नहीं हुई है.
इलाज के इन तरीकों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine), रेमडेसिविर (Remdesivir) और प्लाज्मा थेरेपी (Plasma therapy) शामिल हैं.
इस लिस्ट में जगह बनाने वाली एक और दवा आइवरमेक्टिन (Ivermectin) है.
लेकिन बाकी दूसरी कथित ‘चमत्कारी दवाओं’ की तरह आइवरमेक्टिन भी जांच के घेरे में आ गई है और इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
आइवरमेक्टिन क्या है? इसका क्या इस्तेमाल है? क्या यह कोविड में मदद करती है? क्या इसे लेना सुरक्षित है? फिट ने इन सभी सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश की है.
आइवरमेक्टिन एक डीवर्मिंग ड्रग (कीड़े मारने की दवा) है, जिसका इस्तेमाल जानवरों, खासतौर से घोड़ों में पैरासाइट्स की रोकथाम और ट्रीटमेंट के लिए किया जाता है.
इंसानों में, इसका इस्तेमाल आंतों में और शरीर पर पैरासाइट वर्म्स को मारने और स्किन की बीमारी में ट्रीटमेंट के लिए किया जाता है.
लेकिन, किसी कीड़े मारने वाली दवा का कोविड के साथ क्या संबंध है?
दुनिया भर में डॉक्टरों द्वारा इस दवा को लिखा जाना कुछ सबूतों के आधार पर शुरू कर किया गया है, जो कि यह बताता है कि यह कोविड के गंभीर लक्षणों को कम करने में मदद करता है.
अध्ययन के मुताबिक, आइवरमेक्टिन होस्ट को न्यूक्लियर ट्रांसपोर्ट प्रोटीन ‘अल्फा/ बीटा-1 को इम्पोर्ट करने से रोकता है, जो एक खास इंट्रा-सेल्युलर ट्रांसपोर्ट प्रक्रिया का हिस्सा हैं, जिसका इस्तेमाल कोविड वायरस होस्ट के एंटीवायरल रिस्पॉन्स को दबाने के लिए हाईजैक कर इंफेक्शन को बढ़ाने में करता है.’
पिछले कुछ महीनों में दवा के प्रति जो रुचि बढ़ी है, उसके चलते कई अध्ययन किए गए हैं, जिनका मकसद इसके असर को गहराई से जांचना था, लेकिन इनमें से किसी की भी समीक्षा नहीं की गई या अभी तक मंजूरी नहीं मिली है. भारत में भी ट्रायल चल रहे हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अक्टूबर, 2020 में कहा कि कोविड-19 के लिए उनके क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में आइवरमेक्टिन को शामिल नहीं किया जाएगा. उस समय इसे उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ऑफ-लेबल ड्रग (अनुमोदित दवा का गैर-अनुमोदित प्रयोग) के रूप में रोग-निरोधक के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था. असल में उत्तर प्रदेश और कई दूसरे राज्यों में डॉक्टर अभी भी होम आइसोलेशन के मरीजों और उनके सेकेंडरी कॉन्टैक्ट्स के लिए यह दवा लिख रहे हैं.
मार्च 2021 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि कोविड-19 मरीजों के इलाज में आइवरमेक्टिन दवा के इस्तेमाल से फायदे के फिलहाल ठोस सबूत नहीं मिले हैं और अधिक डेटा हासिल होने तक सिफारिश की है कि दवा का केवल क्लीनिकल ट्रायल के मामलों में इस्तेमाल किया जाए.
खासतौर से जानवरों के लिए बनाई गई आइवरमेक्टिन लेना खतरनाक है.
खुद ही अपना इलाज करने वाले मरीज अंत में जानवरों के लिए बनाई दवा अपने ऊपर इस्तेमाल कर सकते हैं, और एफडीए खासतौर से इसी गंभीर नुकसान की चेतावनी देता है, जिसकी आशंका है.
एफडीए ने यह भी चेतावनी दी है कि आइवरमेक्टिन की ज्यादा खुराक लेना खतरनाक हो सकता है, जिससे मितली, चक्कर आना और एलर्जी से लेकर दौरे पड़ना, कोमा में जाना और यहां तक कि मौत भी हो सकती है.
एफडीए के अनुसार, “यहां तक कि अनुमोदित इस्तेमाल के लिए भी आइवरमेक्टिन खून-पतला करने जैसी दूसरी दवाओं के काम पर असर डाल सकती है.”
विश्व की शीर्ष मेडिकल संस्थाएं- जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूएस एफडीए, यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी (ईएमए) और यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ शामिल हैं- का कहना है कि जब तक इसका सही क्लीनिकल ट्रायल और समीक्षा न कर ली जाए और दवा आधिकारिक तौर पर इलाज या बचाव के लिए मंजूर न कर ली जाए, वो कोविड में आइवरमेक्टिन के इस्तेमाल की सिफारिश नहीं करती हैं.
भारत में कोविड की दूसरी लहर ने जैसी तबाही और डर पैदा किया है, वह सबके सामने है. हर रोज पिछले दिन के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए मरीज और जान गंवाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही हैं. हमारा स्वास्थ्य ढांचा टूटने के कगार पर है और राहत के कोई आसार नहीं हैं.
इसलिए आश्चर्य नहीं कि इस हताशा भरे दौर में लोग आइवरमेक्टिन और दूसरी कथित ‘चमत्कारी दवाएं’ व वैकल्पिक इलाज की तरफ भाग रहे हैं.
दिल्ली के क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. सुमित रे ने एक पहले के लेख में फिट से कहा था, “मुझे पता है कि इस समय लोग जो कुछ भी कर सकते हैं, करने का प्रयास कर रहे हैं- भले ही असर के सबूत बहुत मजबूत नहीं हैं.”
फिलहाल, कोविड को रोकने के लिए सबसे अच्छा उपाय अभी भी वही है जो हमेशा से रहा है— मास्क पहनें, अपने हाथों को बार-बार धोएं, भीड़-भाड़ वाली जगहों और गैरजरूरी सफर से बचें, शारीरिक दूरी का ध्यान रखें, और वैक्सीन लगवाने वालों के दायरे में आते हैं तो वैक्सीन लगवाएं.
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