सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द और खांसी- ये सुनकर आपके मन में सबसे पहले किस बीमारी का ख्याल आ रहा है? जाहिर है COVID-19. ये लक्षण नजर आने पर आपको राज्यों या केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी हेल्पलाइन नंबर पर इसकी सूचना देनी चाहिए और हर तरह की सावधानी बरतनी चाहिए.

हालांकि ये तकलीफें सिर्फ कोरोना वायरस से संक्रमण का संकेत नहीं हैं, अस्थमा और दूसरी कई बीमारियों या इन्फेक्शन में भी ऐसे लक्षण सामने आते हैं. ऐसे में क्या अस्थमा या सांस की तकलीफ वाले हर मरीज का COVID-19 टेस्ट जरूरी है?

इस बारे में शालीमार बाग के फोर्टिस हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ पल्मनोलॉजी एंड स्लीप डिसऑर्डर के डायरेक्टर और हेड डॉ विकास मौर्य कहते हैं, "जैसा कि हम जानते हैं कि COVID-19 के पेशेंट हर रोज बढ़ रहे हैं, लगातार बुखार, खांसी और सांस फूलना कोरोना के सामान्य लक्षणों में आता है, इसलिए सांस की तकलीफ वाले किसी भी मरीज के लिए अब सबसे पहले कोरोना संक्रमण की आशंका लगती है."

क्या सांस की तकलीफ वाले हर मरीज का होगा कोरोना टेस्ट?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के दिशानिर्देशों में सिफारिश की गई है कि सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी बीमारी (SARI) वाले रोगियों को कोरोना टेस्ट कराना चाहिए. इसलिए सांस में कठिनाई वाले सभी मरीजों का COVID-19 टेस्ट किया जा रहा है.
डॉ विकास मौर्य

अगर अस्थमा का कोई मरीज सांस लेने की गंभीर समस्या के साथ हॉस्पिटल पहुंचता है, तो कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल लिए जाएंगे. इसी के साथ ICMR ये भी स्पष्ट करता है कि टेस्टिंग के अभाव में कोई भी इमरजेंसी प्रक्रिया में देरी नहीं की जानी चाहिए.

क्या अस्थमा के मरीजों को SARS-CoV-2 से ज्यादा खतरा है?

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक नोवल कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) से कोई भी संक्रमित हो सकता है. उम्रदराज लोग और पहले से किसी बीमारी (अस्थमा, डायबिटीज, दिल की बीमारियां) से ग्रस्त लोगों को कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा होता है.

अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक मॉडरेट से लेकर गंभीर अस्थमा वाले लोगों को COVID-19 से ज्यादा बीमार होने का रिस्क हो सकता है.

COVID-19 का नाक, गले और फेफड़ों पर बुरा असर अस्थमा अटैक की वजह बन सकता है, जो आगे निमोनिया और एक्यूट रेस्पिरेटरी डिजीज तक पहुंच सकता है.
CDC, अमेरिका

हालांकि इस पर अब तक कोई डेटा मौजूद नहीं है. इस बात को लेकर भी अब तक कोई प्रमाण नहीं है कि अस्थमा के मरीजों को संक्रमण का ज्यादा खतरा हो, लेकिन इस वायरस के बारे में जानकारियां इकट्ठी की जा रही हैं और हो सकता है कि आने वाले समय में हमें इसके बारे में और कुछ नया पता चले.

डॉ विकास मौर्य कहते हैं कि अस्थमा क्रोनिक लंग डिजीज में आता है, इसलिए अस्थमा के मरीजों को हाई रिस्क पर माना जा रहा है.

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अस्थमा के मरीज किन बातों का रखें ख्याल?

डॉ विकास मौर्य कहते हैं कि आज जब कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है, ऐसे में अस्थमा के रोगियों के लिए जरूरी है कि वे अपनी दवाइयां नियम से लें और उसमें कोई लापरवाही न करें.

ये जरूरी है कि अस्थमा के मरीज अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें और अगर सांस से जुड़ी कोई तकलीफ होती है, तो डॉक्टर से टेलीकन्सल्ट कर सकते हैं.
डॉ विकास मौर्य

यूरोपियन रेस्पिरेटरी सोसाइटी के मुताबिक अस्थमा जैसी रेस्पिरेटरी बीमारी वाले लोग COVID-19 के बढ़ते प्रकोप से चिंतित हैं, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए कोरोना संक्रमण के डर से अस्थमा के मरीज तकलीफ होने पर भी डॉक्टर से संपर्क करने से बचें या अपनी दवाइयां लेने में कोई लापरवाही करें.

अगर हॉस्पिटल जाना पड़े तो क्या करें अस्थमा के पेशेंट?

अगर ऐसी कोई परेशानी हो, जिसे घर पर हैंडल न किया जा सके, तो पूरी सतर्कता के साथ हॉस्पिटल जाएं.

  • पहले से अप्वॉइंटमेंट लें

  • पुराना प्रिस्क्रिप्शन साथ रखें

  • मेडिकल मास्क या कपड़े का फेस कवर लगाएं

  • अपने साथ हैंड सैनिटाइजर भी ले जाएं और समय-समय पर हाथ साफ करते रहें

  • रेस्पिरेटरी हाइजीन का पालन करें

  • दूसरे मरीजों से कम से कम 3 फीट की दूरी बनाएं रखें

  • वापस आकर अपना हाथ और चेहरा धुलें

  • कपड़े का फेक कवर हो, तो उसे भी धुल लें या मास्क के बाहरी सतह को छुए बगैर हटा लें

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