महाराष्ट्र, और खासतौर से मुंबई, कोविड-19 के बढ़ते मामलों के दबाव से चरमरा रहा है.

हेल्थकेयर वर्करों पर काम का बोझ बढ़ता जा रहा है और अस्पताल अपनी क्षमता से ज्यादा काम कर रहे हैं.

सोमवार को, किंग एडवर्ड मेमोरियल (KEM) अस्पताल का एक वीडियो सामने आया, जिसे देख कर ऐसा लगता है कि कोविड-19 वार्ड में एक भी नर्स ड्यूटी पर नहीं है.

एक वायरल वीडियो, जो एक मरीज के रिश्तेदार द्वारा शूट किया गया है, में दिख रहा है कि वार्ड में करीब 33 मरीज हैं, लेकिन एक भी नर्स नहीं है. वहां सिर्फ तीन डॉक्टर हैं.

KEM के सूत्रों ने फिट से बातचीत में इस खबर की पुष्टि की है और अस्पताल के एक और सूत्र ने बताया,

50 फीसद से कम नर्सें अस्पताल आ रही हैं.

ऐसा क्यों हो रहा है? नर्सें उनके साथ भेदभाव किए जाने का आरोप लगा रही हैं, जबकि रेजिडेंट डॉक्टर अकेले ही क्रिटिकल वार्डों को संभालने के दबाव को झेल रहे हैं.

नर्सों की मांग

फिट ने KEM की एक नर्स श्रुति से बात की, जिन्होंने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था और उन्होंने हमें बताया कि आखिर में अच्छी उम्मीद बंधाने वाली बातें रहीं.

असल में यह हड़ताल नहीं थी, हमने बस कुछ मुद्दों को उठाया और शुक्र है कि डीन ने हमारी बात सुनी. हम उनसे मिले और वह हमारी बातों से सहमत हुए.
श्रुति, KEM अस्पताल की नर्स

फेसबुक पर पोस्ट किए गए वीडियो में नर्सों की मांगों के बारे में बताया गया है.

ऊपर के इस गए वीडियो में, नर्सों ने उन चार समस्याओं के बारे में बताया है जिनसे वे परेशान हैं:

  1. उनके लिए स्वैब टेस्ट कराने की सुविधा नहीं है

  2. कोरोना पॉजिटिव हो जाने वाली नर्सों के लिए अलग से बेड नहीं हैं

  3. बहुत लंबी शिफ्ट

  4. उन्हें केरल की नर्सों की जरूरत नहीं है

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एक नर्स का कहना था कि उनका स्वैब टेस्ट नहीं हो रहा है. वह कहती हैं, “ये टेस्ट कराए बिना, हम कैसे निश्चिंत हो सकते हैं कि हम संक्रमण को अपने घरों में नहीं ले जा रहे हैं?”

एक दूसरी नर्स का कहना है कि वह अगर कोरोना पॉजिटिव हो जाती हैं, तो उनके लिए कोई बेड नहीं है.

सभी जानते हैं कि 60 फीसद नर्सें कोरोना पॉजिटिव हो जाएंगी. अगर हम एक दिन में एक वार्ड को एक COVID-19 ICU में बदल सकते हैं, तो हम अपनी खुद की नर्सों के लिए बेड क्यों नहीं तय कर सकते हैं?

श्रुति के मुताबिक, फिलहाल जो नर्सें एसिम्टोमैटिक हैं, उनको महात्मा गांधी मेमोरियल (MGM) अस्पताल भेजा जा रहा है, और जो नर्सें सिम्टोमैटिक हैं उन्हें 7 हिल्स भेजा जा रहा है. इस प्रक्रिया में 8-9 घंटे लग जाते हैं और नर्सों का कहना है कि उन्हें उसी अस्पताल में बेड दिया जाए, जहां वे काम करती हैं.

हमने नर्सों के लिए एक अलग स्पेशल वार्ड रखने के बारे में 31 मई को डीन को पत्र लिखा था. हमें सकारात्मक जवाब नहीं मिला इसीलिए हम सर से पूछना चाहते थे कि हमें जवाब क्यों नहीं मिला. आज की बैठक में, डीन इस पर सहमत हुए.
श्रुति, KEM नर्स

वह कहती हैं, “डीन ने फिलहाल कोरोना वार्ड की एक नर्स को, जो कोविड-19 पॉजिटिव पाई गई, उसको एक रूम में एडमिट किया है. डीन ने कहा है कि KEM की नर्सों के लिए एक और वार्ड का इंतजाम किया जाएगा. यह अभी निर्माणाधीन है.”

वीडियो में एक और नर्स को दिखाया गया है, जो कहती हैं कि वो नहीं चाहतीं कि केरल की नर्सें यहां आएं. “ यह हमारा अपमान है.” वह पूछती है, “क्या हम उनके जितनी योग्य नहीं हैं?”

अंत में एक और नर्स कहती है कि उनका अंतिम मुद्दा लंबी शिफ्ट का है. “पीपीई पहनकर 8-11 घंटे काम करना नामुमकिन है. हम चाहते हैं कि पहले की तरह 6 घंटे की शिफ्ट कर दी जाए.”

श्रुति के मुताबिक, डीन के साथ मुलाकात में, उन्होंने इस बदलाव को मंजूरी दे दी है. अब इंतजार इस बात का है कि कहीं ये सिर्फ खोखले वादे तो नहीं हैं.

डॉक्टरों का क्या कहना है?

KEM के एक सीनियर डॉक्टर ने पुष्टि की है कि नर्स और वार्ड ब्वॉय नियमित रूप से ड्यूटी नहीं कर रहे हैं और इससे मरीजों की देखभाल प्रभावित हो रही है.

मरीजों के डायपर समय पर नहीं बदले जा रहे हैं और वार्ड में बदबू आ रही है. उनको समय पर ट्रांसफर नहीं किया जा रहा है.
KEM के एक डॉक्टर

डॉक्टरों का कहना है कि नर्सों की प्रभावशाली यूनियनें हैं.

रेजिडेंट डॉक्टर इस बात की पुष्टि करते हैं कि अक्सर आईवी बदलने जैसे काम का जिम्मा उन पर आ जाता है और ऐसी देरी से मरीज की देखभाल गंभीर रूप से प्रभावित होती है.

फिलहाल, ऐसा लगता है कि नर्सें अपनी कुछ मांगों को मनवाने में कामयाब रही हैं, लेकिन कोविड-19 संकट के दौरान हेल्थवर्कर्स के बीच तनाव बढ़ रहा है.

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