कोरोनावायरस डिजीज-2019 (COVID-19) से आज पूरी दुनिया जूझ रही है. SARS-CoV-2 ही वो वायरस है, जिससे संक्रमण के बाद COVID-19 की बीमारी हो रही है. कोई वैक्सीन नहीं, कोई दवा नहीं, ऐसे में हमारे लिए इससे बचने की हर मुमकिन कोशिश करना जरूरी है..
इस वायरस से बचाव के लिए खासतौर पर इन तीन बातों का सख्ती से पालन करना है:
एक-दूसरे से कम से कम 1 मीटर की दूरी, जिसे सोशल डिस्टेन्सिंग कहा जा रहा है
साबुन और पानी से हाथ धोना या एल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल
आंख, नाक और मुंह को छूने से बचना यानी चेहर पर हाथ न लगाना
इसका मतलब है कि अगर हम सोशल डिस्टेन्सिंग और हैंड हाइजीन का ख्याल रखने के साथ ही जाने-अनजाने अपना चेहरा (खासकर आंख, नाक और मुंह) छूते रहने की अपनी आदत पर काबू पा लें, तो COVID-19 से बहुत हद तक बच सकते हैं.
क्या आप बता सकते हैं कि आज अपने कितनी चीजें और किन-किन जगहों को अपने हाथ से छुआ है? साथ ही, क्या हर बार कुछ भी छूने के बाद अपने हाथ साबुन और पानी से साफ किया है?
दरअसल कोरोनावायरस का संक्रमण फैलने के दो तरीके बताए जा रहे हैं:
पहला सीधे इंसानों-से-इंसानों में जैसे संक्रमित शख्स अगर आपके नजदीक खांस या छींक रहा है और आप उन पार्टिकल्स को इनहेल कर ले रहे हैं, तो आपको भी संक्रमण का खतरा है.
इसीलिए एक-दूसरे से दूर रहने यानी सोशल डिस्टेन्सिंग की बात कही जा रही है.
दूसरा तरीका छूने से जुड़ा है और यहीं आंख मलने की हमारी सामान्य सी आदत भी समस्या बन सकती है. भले ही अभी इस बारे में कुछ भी बहुत पुख्ता न हो लेकिन कई स्टडीज के बाद ये माना जा रहा है कि ये वायरस किसी सतह या चीज पर कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है.
इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोनावायरस से बचने के बुनियादी उपायों में आंख, नाक, मुंह छूने से बचने की भी सलाह देता है क्योंकि हाथ से हम न जाने कितनी चीजें छूते हैं और किसी संक्रमित शख्स के ड्रॉपलेट अगर उन चीजों पर हों, तो उन्हें छूने के बाद हाथ पर वायरस आ सकते हैं और फिर आंख, नाक या मुंह के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर हमें बीमार कर सकते हैं.
वैसे चेहरा न छूने को कहना जितना आसान है, करना उतना ही मुश्किल है, उन लोगों के लिए भी जिनकी ओर से ये सलाह दी जा रही है. हाल ही में सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो सामने आए, जिसमें लोगों को चेहरा छूने से बचने की अपील के दौरान ही कितने अधिकारी खुद अपना चेहरा छूते नजर आए.
चेहरा न छूना ये हम सभी के लिए बेहद मुश्किल है क्योंकि हमें पता भी नहीं चलता कि हम कितनी बार बिना वजह अपने हाथ चेहरे की ओर ले जा रहे हैं. ये अपने आप होता रहता है.
अमेरिकन जर्नल ऑफ इन्फेक्शन कंट्रोल में साल 2015 में छपी एक स्टडी में पाया गया था कि 1 घंटे के लेक्चर में मेडिकल स्कूल के स्टूडेंट औसतन 23 बार अपने चेहरे को छूते रहे.
आखिर जाने-अनजाने हम अपना चेहरा इतना क्यों छूते हैं?
शालीमार बाग, दिल्ली स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलॉजी एंड स्लीप डिसऑर्डर के डायरेक्टर और हेड, डॉ विकास मौर्य कहते हैं, "हमारी ज्यादातर और मुख्य गतिविधियां हाथ और चेहरे से जुड़ी हैं. इसलिए हमें अपना चेहरा छूने की जरूरत पड़ती ही है, जैसे चेहरे पर कहीं खुजली महसूस हो, तो हाथ लगाना ही पड़ेगा."
केंटकी सेंटर फॉर एंग्जाइटी एंड रिलेटेड डिसऑर्डर के फाउंडर और डायरेक्टर मनोवैज्ञानिक केविन चैपमैन लाइवसाइंस को बताते हैं, "यह वास्तव में किसी भी इंसान की सबसे आम आदतों में से एक है. हमारी डेली रूटीन में चेहरा छूना खुद ब खुद शामिल है."
कई बार चेहरा छूकर हम ये तसल्ली करते हैं कि हम किसी के सामने (कैसे दिख रहे हैं) ठीक-ठाक दिख रहे हैं या नहीं.
कभी गौर किया है किसी से बात करते वक्त या किसी मीटिंग/कॉन्फ्रेंस में आप कितनी बार अपनी नाक, आंख या मुंह छूते हैं?
जो लोग एंग्जाइटी से ग्रस्त हैं, उनके लिए यह बदतर हो सकता है. जैसे स्ट्रेस में नाखून चबाना. ब्रेन रिसर्च नाम के जर्नल में साल 2014 की एक स्टडी बताती है कि तनाव या घबराहट में खुद को शांत करने के लिए भी लोग अपने चेहरे को छूते हैं.
डॉ मौर्य कहते हैं कि बहुत मुश्किल होता है कि हम अपनी इस आदत को खत्म कर पाएं, हम इसे कम कर सकते हैं, लेकिन बिल्कुल जीरो तो हो नहीं सकता है.
सबसे पहली बात ये है कि हम इसे लेकर खुद को सतर्क करें. जैसे जितनी बार आपका हाथ चेहरे तक जा रहा है उसे नोट करें, ऐसे में जब अगली बार आपके हाथ चेहरे की ओर जाएंगे, आपको खुद एहसास हो जाएगा, ये कितनी बार हो रहा है.
इस आदत से छुटकारा पाने के लिए आपको ध्यान देना होगा, जब भी हाथ चेहरे की तरफ जाए, ये सोचें कि क्या ऐसा करना जरूरी है और आपने हाथ धुले हैं या नहीं.
लगातार चेहरे को हाथ न लगाने की प्रैक्टिस से बहुत हद तक मदद मिल सकती है.
और सबसे जरूरी बात, चेहरे को छूने की जरूरत हो, तो साबुन-पानी से हाथ को धोना या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना न भूलें. वहीं हाथ की बजाए टिश्यू के इस्तेमाल से भी काफी मदद मिल सकती है.
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