अखिल भारत हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने कोरोनावायरस से निपटने के लिए गोमूत्र पीने और मांस न खाने की सलाह दी है. सिर्फ सलाह ही नहीं बल्कि अखिल भारत हिन्दू महासभा की ओर से गोमूत्र पार्टी तक दी गई.
इससे पहले असम में एक बीजेपी विधायक ने भी गोमूत्र और गोबर से इलाज की बात कही थी.
असम की हाजो विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक सुमन हरिप्रिया ने राज्य विधानसभा में कहा था, "मेरा मानना है कि कोरोनावायरस को ठीक करने के लिए गोमूत्र और गोबर का इस्तेमाल किया जा सकता है."
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि चीन की हवा को साफ करने के लिए वहां गाय के गोबर से हवन किया जा सकता है.
गाय, गोबर और गोमूत्र को लेकर ये कोई नया बयान नहीं है. अक्सर इस तरह के बयान आते रहते हैं, कभी गोबर और गोमूत्र को कैंसर के इलाज में कारगर बताया जाता है, तो कभी टीबी जैसे संक्रमण से निपटने के लिए गाय के पास रहने की सलाह दी जाती है.
कोरोनावायरस से निपटने के लिए गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल वाले बयानों पर आर्टेमिस हॉस्पिटल में मेडिकल सर्विसेज के चीफ और चेयरपर्सन डॉ सुमित रे ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियों पर कुछ नहीं कहा जा सकता है.
वहीं आयुर्वेद ग्रोथ, निरोगस्ट्रीट की वाइस प्रेसिडेंट डॉ पूजा कोहली ने बताया कि आयुर्वेदिक ग्रंथों में गोमूत्र समेत आठ जानवरों के मूत्र का जिक्र जरूर है. लेकिन कोरोनावायरस के प्रकोप के मामले में ये उपयोगी होगा ये कहना मुश्किल है क्योंकि कोविड-19 नई बीमारी है और इस बीमारी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है.
चीन के वुहान शहर में जब पहली बार कोविड-19 के मामले सामने आए, तभी से ये बात कही जा रही है कि ये बिल्कुल नए तरह का कोरोनावायरस है, इंसान इससे पहले इस वायरस से संक्रमित नहीं हुए.
इसलिए फिलहाल इसके इलाज के लिए कोई खास एंटीवायरल दवा या इसकी कोई वैक्सीन मौजूद नहीं है. इसलिए नोवल कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों में सामने आ रहे लक्षणों का इलाज किया जा रहा है. दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी दवा और वैक्सीन के विकास में लगे हुए हैं.
कोरोनावायरस डिजीज 2019 से बचने के लिए हाथ और रेस्पिरेटरी हाइजीन बनाए रखने, खांसी, छींक और सांस से जुड़ी दूसरी बीमारियों के लक्षण वाले मरीजों के निकट संपर्क से बचने और जिन जगहों पर इसके मामले सामने आ रहे हैं, वहां की यात्रा न करने की सलाह दी जा रही है.
वहीं बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई होने पर आपको चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए ताकि किसी गंभीर संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके.
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Published: 03 Mar 2020,04:26 PM IST