डॉ. मनीष को पिछले साल सितंबर में COVID-19 हुआ था और उन्हें निमोनिया हो गया था.

हालांकि उनके लक्षण गंभीर थे, लेकिन ये लक्षण 15 दिनों तक ही रहे, जिसके बाद वह पूरी तरह से ठीक हो गए.

लेकिन, डॉ. मनीष को केवल डेढ़ महीने की राहत मिली. वो कहते हैं,

"डेढ़ महीने के बाद, मुझे अपने बाएं कूल्हे के जोड़ों में दर्द होने लगा."

महीनों के लगातार और बढ़ते दर्द के बाद उन्हें कूल्हे के AVN (एवस्कुलर नेक्रोसिस) यानी बोन डेथ, स्टेज 2 का पता चला.

हालांकि, इस तरह का ये कोई पहला मामला नहीं है. देश भर में कोरोना ​​​​से ठीक होने वालों की बढ़ती संख्या के साथ दुर्लभ पोस्ट-कोविड जटिलताएं भी रिपोर्ट की जा रही हैं. हालांकि, अभी तक कोरोना के बाद एवस्कुलर नेक्रोसिस का कोई आधिकारिक डेटा मौजूद नहीं है.

एवस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular Necrosis यानी AVN) क्या है? COVID-19 से इसका क्या लिंक है? ये समझने के लिए फिट ने पी.डी. हिंदुजा नेशनल हॉस्पिटल, मुंबई में ऑर्थोपेडिक हेड डॉ. संजय अग्रवाला से बात की, जिन्होंने इस पर काफी रिसर्च किया है.

Avascular Necrosis यानी बोन डेथ क्या है?

सीधे शब्दों में कहें, एवस्कुलर नेक्रोसिस हड्डी के ऊतकों की मृत्यु है, जो विशेष रूप से कूल्हे की हड्डियों को प्रभावित करता है.

"अगर हड्डी (कूल्हे) के हिस्से में रक्त की आपूर्ति में रुकावट है, तो आपको दर्द होता है, और क्योंकि यह हड्डी जो सामान्य रूप से लकड़ी की तरह सख्त होती है, इस स्थिति में सख्त नहीं रह जाती है, यह ढहने लगती है."
डॉ. संजय अग्रवाला, ऑर्थोपेडिक हेड, पी.डी. हिंदुजा नेशनल हॉस्पिटल, मुंबई

वे कहते हैं, "आमतौर पर 15 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में होता है और बच्चों में दुर्लभ होता है. मैंने बच्चों में एवीएन को केवल तभी देखा है, जब वे ल्यूकेमिया से पीड़ित होते हैं."

आम तौर पर AVN का क्या कारण होता है?

डॉ अग्रवाल बताते हैं कि आमतौर पर यह रक्त वाहिकाओं पर बल पड़ने या इनमें क्लॉटिंग के कारण होता है. हमारे शरीर में कूल्हे वाले हिस्से पर ज्यादा बल पड़ता है. ये बल या क्लॉटिंग उस हिस्से में बोन डेथ का कारण बन सकती है.

COVID-19 और बोन डेथ

"इस COVID संकट के दौरान मुझे जनवरी से फरवरी के बीच AVN के 3 मरीज मिले, जो डॉक्टर थे और मैंने महसूस किया कि इन तीनों में एक समानता यह थी कि उन्हें COVID हुआ था, जिसके इलाज के लिए स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया गया था."
डॉ. संजय अग्रवाला, ऑर्थोपेडिक हेड, पी.डी. हिंदुजा नेशनल हॉस्पिटल, मुंबई

क्या COVID सीधे तौर पर AVN का कारण बन सकता है, यह अभी तय नहीं है. लेकिन डॉ. अग्रवाला कहते हैं कि यह एक संभावित कारण हो सकता है.

"पिछले साल हमने देखा है कि कैसे COVID रक्त वाहिकाओं को प्रभावित कर सकता है." दूसरी ओर, वो कहते हैं, "स्टेरॉयड के उपयोग से AVN हो सकता है, ये बात वर्षों से स्थापित है."

स्टेरॉयड ट्रीटमेंट और बोन डेथ के बीच लिंक

स्टेरॉयड के बारे में बहुत कुछ कहा गया है और यह कैसे अन्य पोस्ट COVID जटिलताओं को जन्म दे सकता है, जिसमें कई फंगल संक्रमण शामिल हैं.

हालांकि डॉ. अग्रवाला स्पष्ट करते हैं, "यह जीवन रक्षक है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आपको स्टेरॉयड का उपयोग नहीं करना चाहिए. लेकिन अगर आपको COVID हो गया है और आप स्टेरॉयड पर हैं, तो आपको AVN का रिस्क हो सकता है."

डॉ. अग्रवाला के नेतृत्व में की गई एक स्टडी में पाया गया है कि स्टेरॉयड की छोटी डोज लेने वालों में भी AVN का पता चला रहा है. AVN होने में स्टेरॉयड लेने के 6 महीने से लेकर 1 साल तक वक्त लगता है.

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एवस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular Necrosis) का इलाज

कंडिशन की स्टेज के मुताबिक मेडिकल सपोर्ट या हिप रिप्लेसमेंट की जरूरत हो सकती है.

डॉ. अग्रवाला से संपर्क करने से पहले डॉ. मनीष को आर्थोपेडिक सर्जनों ने सर्जरी कराने की सलाह दी थी.

डॉ. मनीष बताते हैं, "डॉ. अग्रवाला को विश्वास था कि स्टेज दो, AVN का बिना सर्जरी के इलाज किया जा सकता है. उन्होंने मुझे कुछ दवाइयां दी और अब 6 महीने के बाद, मेरा दर्द लगभग 40 प्रतिशत कम हो गया है."

'शुरुआत में ही पता चल जाने से मदद मिलती है'

"मेरे बीस वर्षों के शोध में, मैंने महसूस किया है कि ऐसी दवाएं हैं जो इसे ठीक कर सकती हैं और इसे नियंत्रित कर सकती हैं, अगर जल्द दवाई शुरू कर दी जाए."
डॉ. संजय अग्रवाला, ऑर्थोपेडिक हेड, पी.डी. हिंदुजा नेशनल हॉस्पिटल, मुंबई

शुरुआती चरणों में इसे पकड़ना मुश्किल हो सकता है, हालांकि, एवीएन के कई शुरुआती लक्षण नहीं हैं, सिवाय कमर दर्द और कूल्हों में परेशानी के.

इसके अलावा, प्रारंभिक अवस्था में एक्स-रे से इसका पता नहीं चल पाता है.

"शुरुआत में मुझे लगा कि यह सिर्फ नियमित दर्द है, इसलिए मैंने एक हफ्ते के लिए दर्द निवारक दवाएं लीं. जब दर्द शांत नहीं हुआ, तो मैं एक आर्थोपेडिक सर्जन के पास गया, जिसने मुझे एक्स-रे कराने की सलाह दी, जो सामान्य दिखा."
डॉ. मनीष

तब डॉ. मनीष को एहसास हुआ कि ये कोई सामान्य दर्द नहीं है और उन्होंने MRI कराया.

इस बीमारी के चार स्टेज होते हैं. डॉ. अग्रवाला समझाते हैं:

  • स्टेज 1 का एक्स-रे से पता नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन एमआरआई स्कैन से पता चल सकता है.

  • स्टेज 2 का एक्स-रे संकेत मिल सकता है, लेकिन एमआरआई इसकी पुष्टि करता है. इस स्तर पर, डॉ. अग्रवाला के अनुसार, दवाइयों इस कंडिशन को उलटना संभव है.

  • स्टेज 3 पर हड्डी ढह जाती है और इसे एक्स-रे पर देखा जा सकता है.

  • स्टेज 4 पर हिप रिप्लेसमेंट की जरूरत होती है.

इस कारण से, डॉ. अग्रवाला लगातार कमर या कूल्हे में दर्द का अनुभव होने पर एक MRI स्कैन (और सिर्फ एक एक्स रे नहीं) कराने की सलाह देते हैं.

उन्होंने कहा, "एक डॉक्टर के तौर पर मुझे COVID-19 ​से AVN होने की दुर्लभ संभावना के बारे में पता था, लेकिन एक सामान्य व्यक्ति के लिए, वे कूल्हे के दर्द या हड्डी के दर्द को कोरोना ​​से संबंधित नहीं कर सकते हैं."

वे कहते हैं, "हमें लगता है कि COVID फेफड़ों की एक बीमारी है. कोई भी यह नहीं सोचता है कि यह हमारी हड्डियों और जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है."

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