सिर्फ कोरोना वायरस डिजीज-2019 ही नहीं दुनिया पर सीजनल फ्लू का खतरा भी गहराने की आशंका है. वैज्ञानिकों और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स ने आने वाली सर्दियों में 'डबल महामारी' (Twindemic) की चेतावनी दी है.

इन्फ्लूएंजा या फ्लू एक संक्रामक रेस्पिरेटरी बीमारी है, जो इन्फ्लूएंजा वायरस से होती है.

हालांकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) का मानना है कि इन्फ्लूएंजा महामारी का खतरा हमेशा बना रहता है. इन्फ्लूएंजा दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है.

सर्दियों में सीजनल फ्लू काफी आम बीमारी है, वहीं इस साल पहले ही COVID-19 महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है. ऐसे में इस साल हालात कितने बदतर हो सकते हैं, इसे लेकर एक्सपर्ट्स चिंता जता रहे हैं.

डॉक्टरों की मानें तो फ्लू के साथ कोरोना संक्रमण ज्यादा घातक हो सकता है, एक साथ दोनों वायरस कहीं ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीसेज के डायरेक्टर डॉ एंथनी फाउची लोगों को फ्लू की वैक्सीन लेने को कह रहे हैं ताकि कोरोना काल में कम से कम सीजनल फ्लू से सुरक्षित रहा जा सके.

COVID-19 और फ्लू

कारण

COVID-19 का कारण नोवल कोरोना वायरस है, जिसे सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 (SARS-CoV-2) नाम दिया गया है.

फ्लू कई तरह के इन्फ्लूएंजा वायरस से होता है.

लक्षण

  • COVID-19 और इन्फ्लूएंजा इन दोनों ही बीमारियों में बुखार, खांसी, शरीर में दर्द, थकान, बंद नाक या नाक बहना; कभी-कभी उल्टी और दस्त जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं

  • ये दोनों बीमारियां माइल्ड, सीवियर और यहां तक कि जानलेवा हो सकती हैं

  • दोनों में ही निमोनिया (रेस्पिरेटरी बीमारियां) हो सकता है

ट्रांसमिशन

दोनों ही वायरस संक्रमित शख्स के संपर्क, ड्रॉपलेट और उसके द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों से फैल सकते हैं.

लक्षण सामने आने के पहले ही संक्रमित शख्स वायरस फैला सकता है.

बचाव

कोरोना और फ्लू दोनों ही बीमारियों से बचाव के लिए हैंड और रेस्पिरेटरी हाइजीन का ख्याल रखने की जरूरत है.(फोटो: फिट/अरूप मिश्रा)

इन दोनों बीमारियों से बचने के लिए हैंड हाइजीन, रेस्पिरेटरी हाइजीन, बीमारी हो तो घर पर रहना और लोगों के संपर्क में आने से बचना जरूरी है.

COVID-19 और फ्लू में अंतर की बात करें, तो अब तक हम ये जानते हैं:

  • कोरोना वायरस फ्लू वायरस के मुकाबले दो गुना ज्यादा संक्रामक है

  • सीजनल फ्लू की वैक्सीन है, लेकिन कोरोना की अब तक कोई वैक्सीन नहीं है और कई फेज में ट्रायल चल रहे हैं

  • ज्यादातर आबादी में सीजनल फ्लू के खिलाफ इम्यूनिटी हो सकती है, लेकिन फिलहाल कोरोना के खिलाफ ऐसा नहीं है

  • इन्फ्लूएंजा कोरोना के मुकाबले ज्यादा तेजी से फैल सकता है

  • इन्फ्लूएंजा में गंभीर संक्रमण की आशंका COVID-19 से कम होती है

  • बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं, बुजुर्गों, क्रोनिक मेडिकल कंडिशन, इम्यूनोसप्रेस्ड लोगों में सीवियर इन्फ्लूएंजा का रिस्क ज्यादा होता है. वहीं कोरोना के मामले में अब तक की जानकारी के मुताबिक बुजुर्गों और पहले से बीमार (खासकर दिल, बीपी, किडनी की बीमारियां) लोगों को सीवियर इन्फेक्शन का रिस्क ज्यादा पाया गया है

  • COVID-19 में मौत की दर सीजनल इन्फ्लूएंजा की तुलना में ज्यादा देखी जा रही है

COVID-19 या फ्लू: किस बीमारी से मौत की आशंका ज्यादा?

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक अब तक के डेटा बताते हैं कि COVID-19 को लेकर क्रूड मॉरटैलिटी रेशियो (रिपोर्टेड डेथ की संख्या को रिपोर्टेड केस से डिवाइड करने पर) 3-4% के बीच है, जबकि सीजनल इन्फ्लूएंजा में मौत की दर 0.1% से कम रहती है.

हालांकि ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक वहां 19 जून से 31 जुलाई के बीच COVID-19 के मुकाबले इन्फ्लूएंजा से ज्यादा मौतें हुईं.

इस दौरान फ्लू या निमोनिया से 6,626 लोगों की जान गई जबकि कोरोना के कारण 2,992 मौतें दर्ज की गईं.

जुलाई के आखिर में ब्रिटेन में COVID-19 की तुलना में इन्फ्लूएंजा से पांच गुना ज्यादा मरीजों की जान गई. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई के आखिर में फ्लू से 928 मौतें जबकि कोरोना से 193 मौतें रिकॉर्ड की गईं.

फ्लू और COVID-19: क्या कहते हैं अमेरिका के आंकड़े?

अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक अमेरिका में साल 2019-20 में फ्लू का सीजन माइल्ड था.

1 अक्टूबर, 2019 से 4 अप्रैल, 2020 तक अमेरिका में फ्लू बीमारियों को लेकर CDC का अनुमान:

  • कुल मामले- 3 करोड़ 90 लाख से लेकर 5 करोड़ 60 लाख की रेंज (39,000,000 – 56,000,000) में दर्ज किए गए

  • डॉक्टर के पास जाने की जरूरत- 1 करोड़ 80 लाख से लेकर 2 करोड़ 60 लाख (18,000,000 – 26,000,000) मामलों में

  • हॉस्पिटल में भर्ती- 4 लाख 10 हजार से लेकर 7 लाख 40 हजार (410,000 – 740,000) मामलों में संक्रमितों को भर्ती होना पड़ा

  • मौत- 24 हजार से लेकर 62 हजार (24,000 – 62,000) के बीच मौत हुई

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वहीं अमेरिका में कोरोना के कहर को लेकर जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (CSSE) के 20 अगस्त के आंकड़ों के मुताबिक यहां COVID-19 के 55,27,306 मामले सामने आ चुके हैं, वहीं इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 1,73,114 हो गई है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार यह संख्या दुनिया में अब तक हुई मौतों की संख्या की 20 फीसदी से अधिक है.

फ्लू और COVID-19: भारत के आंकड़े

सीजनल इन्फ्लूएंजा की वैक्सीन जरूर मौजूद है, लेकिन भारत में फ्लू वैक्सीनेशन के बारे में ज्यादा बातें नहीं होतीं क्योंकि सीजनल फ्लू के ज्यादातर मामले हल्के होते हैं. हालांकि सीजनल इन्फ्लूएंजा A H1N1 गंभीर बीमारी पैदा करने के लिए जाना जाता है.

भारत के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक साल 2019 में H1N1 के 28,798 मामले रिपोर्ट किए गए थे, जिनमें से 1,218 (4.2 प्रतिशत) मरीजों की मौत हुई.

जुलाई तक देश में इसके 2721 मामले रिपोर्ट किए गए हैं और 44 लोगों की मौत हुई.

20 अगस्त तक भारत में कोरोना वायरस के कुल मामले 28 लाख के पार हो गए. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कुल 28,36,925 मामलों में से 20,96,664 लोग ठीक हो चुके हैं. वहीं 53 हजार से अधिक मरीजों (लगभग 1.89%) की मौत हो चुकी है.

दुनिया भर में कोरोना और फ्लू

दुनिया भर में COVID-19 मामलों की कुल संख्या 2.23 करोड़ के पार हो गई है, जबकि 7.86 लाख से अधिक मौतें हुई हैं.

वहीं WHO के अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में इन्फ्लूएंजा के हर साल करीब 1 अरब मामले होते हैं, जिनमें से 30 से 50 लाख मामलों में गंभीर बीमारी होती है. इसके कारण इन्फ्लूएंजा से जुड़ी रेस्पिरेटरी मौतें 2,90,000 से लेकर 6,50,000 के बीच होती हैं.

हालांकि इन्फ्लूएंजा हो या COVID-19 दोनों ही बीमारियों में बिल्कुल सटीक मौत की दर निकालना आसान नहीं है क्योंकि फ्लू कई तरह के होते हैं और फ्लू के हर मामले रिपोर्ट भी नहीं किए जाते. ऐसा ही COVID-19 के साथ भी हो सकता है कि बिना लक्षण वाले लोगों का पता ही न चले.

वहीं किसी बीमारी से मौत बहुत हद तक मौजूदा हेल्थकेयर सुविधाओं (समय पर बीमारी की पहचान और इलाज) पर भी निर्भर करती है.

कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, ऐसे में सीजनल फ्लू को लेकर वैज्ञानिकों की चेतावनी पर हमें समय से एहतियात उपायों को मजबूत करने और कोरोना के साथ-साथ दूसरी संक्रामक बीमारियों व गैर-संक्रामक बीमारियों पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

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