पूरी दुनिया एक साथ कोरोनावायरस डिजीज-2019 (COVID-19) की महामारी से जूझ रही है, लेकिन इस चर्चा में अमेरिका अब एक अलग मुकाम पर पहुंच गया है- दुनिया भर में सबसे ज्यादा कन्फर्म मामलों के साथ.
चीन के वुहान में अपने असली एपिसेंटर (तबाही का केंद्र) के अलावा, वायरस ने अब तक दो और जगहों पर गहरी चोट की है- इटली, और अब अमेरिका का न्यूयॉर्क शहर.
6 अप्रैल की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में अब तक 9500 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि 3,35000 से ज्यादा लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हुए हैं. न्यूयॉर्क सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां अब तक 2200 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं.
सरकारी कार्रवाई में आलस, नेतृत्व की नाकामियां, धीमी रफ्तार से टेस्टिंग और सोशल डिस्टेन्सिंग को लेकर कोई कड़ी व्यवस्था लागू नहीं किया जाना, इन सबके मेल ने आपदा को दावत दी- इन सबमें सबसे प्रमुख वजह, कम टेस्टिंग और मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए PPE (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) की आपूर्ति में कमी से दुनिया भी जूझ रही है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने जिसको कभी ‘चीनी वायरस’ कहा था, अब वह ‘अमेरिकी वायरस’ में बदल चुका है.
लेकिन इसके बारे में जानने के बावजूद दुनिया की सर्वशक्तिमान महाशक्ति एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति से क्यों जूझ रही है?
जिस फुर्ती से यह वायरस फैलता है, उसने कइयों को चौंका दिया है- लेकिन अमेरिका का ढुलमुल रवैया उसके पतन का मुख्य कारण हो सकता है. द न्यू यॉर्क टाइम्स का एक लेख, जिसमें वैज्ञानिकों, सरकारी स्वास्थ्य सेवा और प्रशासन के अधिकारियों से बात की गई है, शुरुआत में बडे़ पैमाने पर टेस्टिंग की कमी, तकनीकी खामियों और राजनीतिक नेतृत्व की नाकामियों की ओर इशारा करता है.
इस वायरस से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण सबक यह है कि इसे शुरुआत से गंभीरता से लिया जाए. इससे पहले कि यह आगे बढ़े, मूलमंत्र है कि इसे रोक लिया जाए. सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाले NYT के लेख के मुताबिक, अमेरिका ने एक महीने का कीमती समय बर्बाद कर दिया और मुकाबले के लिए अपने लोगों को निहत्था छोड़ दिया.
ट्रंप प्रशासन ने संभावित COVID-19 मामलों की स्क्रीनिंग बहुत देर से शुरू की, और फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की पूर्व कमिश्नर डॉ मार्गरेट हैंबर्ग ने NYT को बताया कि उनकी देरी ने “मरीजों की संख्या में घातक बढ़ोतरी” का मौका दिया.
कीमती समय-सीमा में, ट्रंप ने खुद वायरस पर कई भ्रामक सार्वजनिक वक्तव्य दिए- “यह गायब हो जाएगा. एक दिन यह जादू की तरह है- गायब हो जाएगा,” 22 फरवरी को कहा, “हमने टेस्ट किए हैं, और वे शानदार हैं,” 6 मार्च को कहा, जबकि असल में हालाक काबू में नहीं थे या पर्याप्त टेस्ट नहीं किए गए थे.
आमतौर पर, सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों की योजना बनाने में व्हाइट हाउस कार्रवाई की अगुवाई करता है, जैसा कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इबोला संकट के समय किया था. लेकिन इसके बजाए, राष्ट्रपति ट्रंप ने टेस्ट पर कई दावे किए- जो कि पूरे देश के स्वास्थ्य प्रशासकों द्वारा गलत साबित किए गए- और उन्होंने सक्रियता दिखाते हुए एक निर्दिष्ट योजना आयोग नहीं बनाया.
बाद में, ट्रंप ने ज्यादा टेस्टिंग के बारे में दक्षिण कोरिया से पूछा (यह दावा करने के बाद कि उन्होंने 8 दिनों में उससे ज्यादा टेस्टिंग की है, जितने दक्षिण कोरिया ने 8 हफ्तों में की थी). लेकिन कई हेल्थकेयर वर्कर्स और बीमार नागरिकों के लिए, यह बहुत देर से उठाया गया बहुत छोटा कदम था.
पूरी दुनिया में सम्मान प्राप्त यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) एक प्रमुख संस्थान है- लेकिन फिर भी, यह समय पर एक सटीक टेस्ट देने में नाकाम रहे.
एक तरफ चीन ने अपना खुद का टेस्ट विकसित किया और दूसरे देशों ने डब्ल्यूएचओ के टेस्टिंग प्रोटोकोल को अपनाया, CDC ने अपना खुद का टेस्ट तैयार करने पर जोर दिया. सिर्फ एक समस्या हुई. इसे बहुत लंबा समय लगा- वाशिंगटन में पहला मामला सामने आने के 3 दिन बाद 24 जनवरी को इसकी सार्वजनिक घोषणा की गई.
शुरुआत में देरी, साथ ही टेस्टिंग किट बनाने में तकनीकी दिक्कतें अमेरिका को महंगी पड़ीं. इससे भी बड़ी बात यह कि जबकि CDC पांव घसीट रहा था, सरकार या निजी कंपनियां साथ-साथ कोई कदम नहीं उठा रही थीं.
कम्युनिटी ट्रांसमिशन का पता लगाने के लिए पर्याप्त शोध करने में भी अमेरिका नाकाम रहा.
एक और गलत कदम? NYT के अनुसार, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के कमिश्नर डॉ स्टीफन हैन ने कठोर नियम बनाए, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का गला घोंटने वाला साबित हुआ. द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक यूएस में “आपातकालीन नीतियों” के कारण टेस्ट विकसित करने में CDC को प्राथमिकता हासिल है, और अस्पताल की लैब खुद अपने टेस्ट विकसित नहीं कर सकती हैं क्योंकि उन्हें FDA की मंजूरी की जरूरत होती है. नतीजतन, अस्पताल- सरकारी और निजी दोनों- पर्याप्त डायग्नोस्टिक टेस्ट मुहैया कराने में असमर्थ थे और इस तरह अमेरिका रोजाना औसतन 100 से भी कम टेस्ट कर रहा था!
जैसा कि कई एक्सपर्ट बता चुके हैं कि ज्यादा टेस्टिंग से ही ज्यादा मामले उजागर होते हैं.
धीमी शुरुआत और लालफीताशाही, सुस्त नौकरशाही ने अमेरिका को उसके स्वास्थ्य विनाश के मुहाने पर पहुंचा दिया है.
COVID -19 का मुकाबला करने के लिए, दुनिया भर के देशों को खासतौर से तीन काम करने होंगे:
चूंकि अमेरिका पहले ही टेस्टिंग में पिछड़ चुका है, इसलिए सोशल डिस्टेन्सिंग संक्रमण के फैलाव को रोकने में आंशिक रूप से ही काम करेगी. बदकिस्मती से, अभी तक की एक और गलत हरकत में अमेरिका सख्ती से लॉकडाउन को लागू करने में नाकाम रहा है.
अब तक 2,000 से अधिक मौतों के साथ सबसे बुरी हालत वाले न्यूयॉर्क राज्य के बारे में राष्ट्रपति ट्रंप ने शनिवार 28 मार्च को ट्विटर पर लिखा, “क्वॉरन्टीन जरूरी नहीं है.” उन्होंने कहा कि वह राज्य के लिए यात्रा पाबंदी लागू करेंगे- लेकिन कोई खास उपाय नहीं बताए.
अमेरिका ने 21 मार्च को कनाडा और मैक्सिको के साथ अपनी सरहदों को गैर-जरूरी यात्रा (व्यापार के लिए इजाजत है) के लिए बंद कर दिया. इसने अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर भी पाबंदी लगा दी है, खासकर उन देशों के लिए जो वायरस से प्रभावित हुए हैं, जिनमें चीन, इटली और यूनाइटेड किंगडम भी शामिल हैं.
आलोचकों ने अमेरिकी राष्ट्रपति पर “जिंदगी के मुकाबले अर्थव्यवस्था को ज्यादा तवज्जो देने” का आरोप लगाया. जैसा कि राष्ट्रपति ने पहले कहा था कि वह देश को खोलना चाहते हैं और ईस्टर, 12 अप्रैल के आसपास पाबंदियों में ढील देना चाहते हैं.
हालांकि, जब मशहूर इम्यूनोलॉजिस्ट और संक्रामक रोग विशेषज्ञ, डॉ एंथनी एस फौसी ने कहा कि अमेरिका में COVID-19 से 1,00,000 to 2,00,000 लोगों की मौत हो सकती है, तो CNN की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप प्रशासन की एडवाइजरी बदल कर ऐलान किया कि सोशल डिस्टेन्सिंग के उपाय 30 अप्रैल तक लागू रहेंगे.
फिलहाल, संघीय एडवाइजरी लोगों से घर में रहने, घर से काम करने, बार में जाने से बचने, समूह में बैठक न करने और गैर-जरूरी यात्रा न करने का आग्रह करती है.
ट्रम्प को वायरस पर सतही टिप्पणियां करने से परहेज करने के लिए सावधान किया गया है. उन्होंने पहले कहा था, “हमने फ्लू से भी हजारों-हजारों लोगों की जान गंवाई है. हम देश को बंद नहीं कर सकते हैं.” लेकिन डॉ फौसी द्वारा चेताया गया कि COVID-19 फ्लू से ज्यादा जानलेवा है.
भारत की ही तरह, संयुक्त राज्य अमेरिका भी अपने हेल्थकेयर वर्कर के लिए मास्क, दस्ताने और दूसरे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) की कमी से जूझ रहा है.
इस समय, दुनिया भर में, हेल्थकेयर वर्कर्स अग्रिम मोर्चे पर युद्ध लड़ने वाले सैनिक हैं. उन्हें निहत्था भेज देने से महामारी के हालात और खराब ही होंगे.
CBS की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉक्टर और नर्सों को संसाधनों की सख्त जरूरत है और वे eBay व सोशल मीडिया पर गुहार लगा रहे हैं.
सीडीसी गाइडलाइंस संकट में संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एन95 मास्क का दोबारा इस्तेमाल करने के लिए कहती है, लेकिन चूंकि नोवल कोरोनावायरस के बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए हेल्थ वर्कर्स को डर है कि दोबारा इस्तेमाल में मास्क बेअसर होगा. द न्यूयॉर्क नर्सेज एसोसिएशन ने भी इसके खिलाफ एक बयान जारी किया है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
CNN के मुताबिक शुक्रवार, 27 मार्च को जारी एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण बताता है कि 213 शहरों के मेयरों के पास पर्याप्त सुरक्षा उपकरण हासिल करने का कोई उपाय नहीं है.
इस बीच, ट्रंप ने हेल्थकेयर के बुनियादी ढांचे में सुधार के वास्ते वेंटिलेटर आपूर्ति के लिए रक्षा उत्पादन अधिनियम लागू कर दिया है.
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) ने शुक्रवार, 3 अप्रैल को नई गाइडलाइंस जारी की है, जिसमें लोगों को कपड़े के मास्क का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ने यहां तक कि इस पर भी एतराज करते हुए कहा कि वह इसे लागू नहीं करेंगे.
संयुक्त राज्य अमेरिका जब तक अपनी तैयारियों को संयोजित नहीं करता, नेतृत्व कड़े फैसले नहीं लेता और खामियों को दूर नहीं करता, लोगों को हालात ठीक होने की उम्मीद के साथ मुश्किल दिनों से दो-चार होने के लिए तैयार रहना होगा.
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Published: 06 Apr 2020,04:17 PM IST