ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कोरिया के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के हवाले से बताया गया है कि करीब 51 मरीज, जो इस संक्रमण से उबर चुके थे यानी जिनका टेस्ट रिजल्ट निगेटिव आया था और जिन्हें पूरी तरह से ठीक बताया गया था, वो फिर से नोवल कोरोनावायरस, जिसे SARS-CoV-2 नाम दिया गया है, से संक्रमित पाए गए हैं.
इसकी वजह वायरस से दोबारा संक्रमित होने (रिइन्फेक्शन) की बजाए वायरस के फिर से एक्टिव होने (रिएक्टिवेशन) बताई जा रही है.
कोरियन CDC के मुताबिक इन मामलों में शायद वायरस 'फिर से एक्टिव' हो गया क्योंकि क्वॉरन्टीन से रिलीज होने के बाद इनका टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव आया है.
दक्षिण कोरिया के स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने Financial Times को बताया, "हम किसी मरीज को पूरी तरह से ठीक तब बताते हैं, जब 24 घंटे में दो बार उसके टेस्ट निगेटिव हों. लेकिन अगर उनमें से कोई कुछ ही समय बाद दोबारा पॉजिटिव पाया जाता है, तो इसका मतलब है कि जितना हम सोच रहे हैं, वायरस उससे ज्यादा वक्त तक रह रहा है.
इस मामले में फिर से पॉजिटिव टेस्ट रिजल्ट आने को लेकर जांच की जाएगी.
चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से ऐसे मामले सामने आने के बाद रिइन्फेक्शन यानी ठीक होने के बाद फिर से संक्रमण की संभावना को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई.
उदाहरण के लिए, चीन में की गई एक स्टडी के मुताबिक वुहान में चार मेडिकल वर्कर्स, जो संक्रमण से उबर चुके थे. क्वॉरन्टीन से रिलीज होने के बाद वे लगातार तीन बार पॉजिटिव पाए गए.
दुनिया भर के विशेषज्ञों ने इस तरह के अपेक्षाकृत 'दुर्लभ' मामलों के लिए कई वैकल्पिक व्याख्याएं की हैं. इनमें टेस्टिंग और डायग्नोसिस में गलती, फॉल्स निगेटिव, वायरल लोड में कमी और जल्दी डिस्चार्ज करना शामिल है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 11 Apr 2020,04:35 PM IST