भारत में पिछले साल जब कोरोना अपने पांव पसार रहा था, इम्यूनिटी को दुरुस्त करने के तमाम उपायों की काफी चर्चा रही. कितने ही लोगों ने खुद से विटामिन C, जिंक और कई दूसरे सप्लीमेंट लेना शुरू कर दिया.

एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल विटामिन C की 185 करोड़ से ज्यादा गोलियां बेची गईं, साल 2019 के मुकाबले ये 100 प्रतिशत से ज्यादा की ग्रोथ रही. वहीं साल 2020 में जिंक सप्लीमेंट की बिक्री में 93 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

पिछले साल यानी 2020 में जिंक टैबलेट की कुल 54 करोड़ टैबलेट की बिक्री हुई, जबकि 2019 में यह ब्रिकी 28 करोड़ टैबलेट की थी.

ज्यादातर कोरोना रोगियों को डॉक्टर जिंक और विटामिन C की गोलियां प्रेस्क्राइब कर रहे हैं, लेकिन कितने ही लोगों ने इसे कोरोना से सुरक्षा का उपाय समझ लिया है, जो कि गलत है.

क्या विटामिन C और जिंक सप्लीमेंट COVID-19 की रोकथाम में कारगर हैं?

अगर आप COVID-19 से बचना चाहते हैं, तो ध्यान रखिए कि आप इसके वायरस SARS-CoV-2 से संक्रमित न हों, जिसके लिए मास्क पहनना, भीड़भाड़ में न जाना, हैंड हाइजीन का ख्याल रखना, फिजिकल डिस्टेन्सिंग और उपलब्ध होने पर वैक्सीन लगवाना जरूरी है.

कई दूसरे विटामिन और मिनरल की तरह हमारे शरीर को विटामिन C और जिंक की भी जरूरत होती है, लेकिन कोविड-19 के मामले में इनके बीमारी से बचाने वाले प्रभावों को साबित करने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.

विटामिन C और जिंक सप्लीमेंट COVID-19 से बचाव का उपाय नहीं हैं, इसके बारे में फिट ने पहले ही साफ किया था.

कोरोना संक्रमण में विटामिन C और जिंक सप्लीमेंट क्यों दिए जा रहे हैं?

फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग, दिल्ली में पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड और डायरेक्टर डॉ विकास मौर्य बताते हैं,

जिंक और विटामिन C को कोविड पॉजिटिव रोगियों को इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर इसलिए दिया गया क्योंकि ये शरीर की अति भड़काऊ प्रतिक्रिया (hyper inflammatory response) को कम करने में मदद कर सकते हैं, साइटोकाइनिक स्टॉर्म को बेहतर ढंग से मैनेज करने में मदद कर सकते हैं.

हैदराबाद के यशोदा हॉस्पिटल्स से कंसल्टेंट मेडिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट और हेपाटोलॉजिस्ट डॉ शारदा पासनगुलापति बताती हैं, "पहले हुए रिसर्च में पाया गया था कि जिंक से सामान्य सर्दी की अवधि कम हो सकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जिंक का बढ़ा हुआ लेवल कई RNA वायरस को अपनी कॉपी बनाने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है. जिंक एक मिनरल है, जो मानव शरीर के समुचित विकास और रखरखाव के लिए आवश्यक है."

एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में विटामिन C को हेल्दी इम्यूनिटी बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण एजेंट के तौर पर लंबे समय से प्रमोट किया गया है.

इसी के आधार पर COVID-19 में जिंक या विटामिन C के साथ जिंक को लेकर कई क्लीनिकल ट्रायल किए जा रहे हैं.

हल्के या गंभीर कोविड-19 में जिंक के उपयोग के पक्ष या इसके खिलाफ अब तक पर्याप्त डेटा नहीं है, जो इनके उपयोग से कोई महत्वपूर्ण फायदे या नुकसान का सुझाव नहीं देते हैं. आगे के ट्रायल चल रहे हैं और जब तक अगले नतीजे नहीं आ जाते, इन सप्लीमेंट पर विचार किया जा सकता है.
डॉ शारदा पासनगुलापति, कंसल्टेंट मेडिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट और हेपाटोलॉजिस्ट, यशोदा हॉस्पिटल्स, हैदराबाद

वहीं ये सप्लीमेंट उन लोगों के लिए उपयुक्त हो सकते हैं, जिनमें इनकी कमी हो.

दिल्ली के क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ सुमित रे के मुताबिक जिंक और विटामिन C अगर एक तय मात्रा में दिया जाता है, तो COVID-19 के मरीजों को आमतौर पर इससे कोई नुकसान नहीं होता है, लेकिन इनसे संक्रमण को रोकने या ठीक करने के पर्याप्त ठोस सबूत नहीं हैं.

विटामिन C और जिंक सप्लीमेंट्स पर स्टडीज क्या कहती हैं?

कुछ स्टडीज कहती हैं कि विटामिन C और जिंक सर्दी के लक्षणों की गंभीरता और अवधि को सीमित करने में मददगार हो सकते हैं.

लेकिन जैसा कि पहले बताया गया है COVID-19 से रिकवरी में इनके असरदार होने की बात साबित नहीं हुई है.

माइल्ड COVID-19 वाले 214 लोगों को लेकर की गई एक स्टडी में विटामिन C और जिंक सप्लीमेंट देने का लोगों में कोई फायदा नहीं पाया गया था.

दोनों सप्लीमेंट या दोनों में से सिर्फ एक सप्लीमेंट लेने वाले लोगों की कोई सप्लीमेंट न लेने वालों से तुलना की गई और इस स्टडी के मुताबिक सप्लीमेंट लेने से लक्षणों में जल्द सुधार या तेजी से रिकवरी नहीं देखी गई.

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क्या विटामिन C और जिंक सप्लीमेंट लेना सुरक्षित है?

जिनमें जिंक या विटामिन C की कमी हो, वो डॉक्टर की सलाह पर ये सप्लीमेंट्स बिल्कुल ले सकते हैं.

लेकिन बिना चिकित्सकीय देखरेख के सप्लीमेंट्स का लंबे समय तक इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है.

डॉ शारदा पासनगुलापति बताती हैं, "वैसे तो विटामिन C सप्लीमेंट सुरक्षित होते हैं. विटामिन C पानी में घुलने वाला विटामिन होता है, इसकी अतिरिक्त मात्रा पेशाब के जरिए बाहर निकल जाती है."

मोटे तौर पर यह एक सुरक्षित सप्लीमेंट होता है. हालांकि जिन्हें किडनी स्टोन हो, डायबिटीज और क्रोनिक किडनी डिजीज हो, ऐसे लोगों को इसके छोटे डोज की सलाह दी जाती है.
डॉ शारदा पासनगुलापति, कंसल्टेंट मेडिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट और हेपाटोलॉजिस्ट, यशोदा हॉस्पिटल्स, हैदराबाद

वहीं कई सप्लीमेंट की हाई डोज खतरनाक हो सकती है. इसलिए खुद से सप्लीमेंट लिए जाने से बचना चाहिए.

वो बताती हैं कि जिंक के सप्लीमेंट को भी छोटे समय के लिए दिया जाता है. लंबे समय तक जिंक का सेवन कॉपर के अवशोषण को कम करता है, कॉपर भी शरीर के लिए आवश्यक खनिज है. जिंक की डोज कभी-कभी मतली, उल्टी और दस्त के साथ पेट खराब कर सकती है.

सप्लीमेंट के साइड इफेक्ट, एलर्जिक रिएक्शन, दूसरी दवाइयों के साथ इनके असर को लेकर सचेत रहने की जरूरत होती है.

कोरोना संक्रमण के रिस्क को देखते हुए क्या हम विटामिन C और जिंक सप्लीमेंट ले सकते हैं?

डॉ विकास मौर्य कहते हैं कि अगर आप कोविड पॉजिटिव मरीज नहीं हैं, तो आपको जिंक या विटामिन सी सप्लीमेंट के तौर पर लेने की जरूरत नहीं है.

विटामिन C और जिंक सप्लीमेंट उन लोगों को नहीं लेना चाहिए, जो कोरोना पॉजिटिव नहीं हैं. यहां तक ​​कि एक सप्लीमेंट के तौर पर इनकी मेडिकल डोज होती है. इन्हें एक डॉक्टर की देखरेख में लिया जाना चाहिए.
डॉ विकास मौर्य, पल्मोनोलॉजी, डिपार्टमेंट हेड और डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग, दिल्ली

सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें, डॉक्टर को बताएं कि आप पहले से कौन सी दवाइयां लेते हैं, अपनी स्वास्थ्य स्थितियों की जानकारी दें. डॉक्टर से सप्लीमेंट की डोज और सप्लीमेंट कितने दिनों तक लेना है, ये जरूर निर्धारित करा लें.

क्या लंबे समय से जिंक का इस्तेमाल फंगल इन्फेक्शन का रिस्क बढ़ाता है?

जिंक के अंधाधुंध इस्तेमाल और फंगल इन्फेक्शन के बीच संभावित लिंक तलाशने को लेकर कई एक्सपर्ट्स स्टडी की जरूरत बता रहे हैं, हालांकि इस पर ज्यादा डेटा नहीं है.

डॉ शारदा पासनगुलापति कहती हैं कि COVID-19 के बाद फंगल संक्रमण के बढ़ते मामलों की व्याख्या करने के लिए कई परिकल्पनाएं की गई हैं. एक सवाल ये है कि भारत में यह अनुपात बहुत अधिक क्यों है.

फंगल इन्फेक्शन में जिंक की चर्चा इसलिए आई क्योंकि इससे पहले हुए रिसर्च बताते हैं कि फंगस को जिंदा रहने के लिए आयरन, कॉपर और जिंक जैसे मिनरल समृद्ध वातावरण की आवश्यकता होती है. जब जिंक का लेवल ज्यादा होता है, तो थ्योरी के मुताबिक फंगस के बढ़ने की अधिक संभावना होती है.
डॉ शारदा पासनगुलापति, कंसल्टेंट, मेडिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, यशोदा हॉस्पिटल्स, हैदराबाद

वो बताती हैं कि इस पहलू को स्पष्ट करने के लिए औपचारिक अध्ययन की योजना बनाई जा रही है.

कोरोना रोगियों में फंगल इन्फेक्शन का रिस्क अब तक डायबिटीज, स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक के अत्यधिक इस्तेमाल से जोड़ा गया है.

विटामिन C और जिंक के लिए खाने में क्या खाया जा सकता है?

न्यूट्रिशनिस्ट कविता देवगन के मुताबिक डाइट से विटामिन C पाना सबसे आसान है. इसके लिए आपको कई तरह के फल और सब्जियां खाना है, जिसमें खट्टे फल और जूस, नींबू, आंवला, कीवी, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, टमाटर वगैरह हो सकते हैं.

जिंक के लिए डाइट में सीफूड, चिकन, अंडा, मेवे, बीज, साबुत अनाज, टोफू और फलिया शामिल किया जा सकता है.

(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह देता है.)

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Published: 07 Jun 2021,01:45 PM IST

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