भारत में कोरोना के नए मामलों में अब गिरावट दर्ज की जा रही है. पिछले कई दिनों से लगातार एक लाख से कम नए मामले सामने आ रहे हैं. क्या ये गिरावट कोरोना की दूसरी लहर के थमने का संकेत है?

इस बीच देश में कोरोना के एक नए वेरिएंट के मामलों का पता चला है, जिसे डेल्टा प्लस (Delta Plus) वेरिएंट कहा जा रहा है. अभी डेल्टा वेरिएंट को ही अधिक संक्रामक बताया जा रहा था और इसे कोरोना की दूसरी लहर में तेजी और इसकी भयानकता से जोड़ा जा रहा था, अब इसमें म्यूटेशन (जिसे डेल्टा प्लस कहा जा रहा है) ने चिंता बढ़ा दी है.

वहीं कोरोना की तीसरी लहर भी अपेक्षित है. तो क्या कोरोना की तीसरी लहर में डेल्टा प्लस वेरिएंट का प्रकोप होगा? हम इस अपेक्षित तीसरी लहर का मुकाबला कैसे कर सकते हैं? एक्सपर्ट्स से समझते हैं.

क्या कोरोना के नए मामलों में गिरावट दूसरी लहर के थमने का संकेत है?

शिव नादर यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ लाइफ साइंसेज में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नागा सुरेश वीरापू कहते हैं, "फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगी कि देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर खत्म हो गई है."

अगले कुछ हफ्तों में मामलों के अनुपात में लगातार गिरावट का रुझान इस बात की स्पष्ट तस्वीर दे सकता है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर कितनी धीमी पड़ी है.
डॉ. नागा सुरेश वीरापू, एसोसिएट प्रोफेसर, शिव नादर यूनिवर्सिटी

25 जून 2021 को हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से प्रेस ब्रीफिंग में बताया गया कि अब नए मामलों में काफी कमी नोट की जा रही है.

पिछले एक हफ्ते में नए मामलों में 24% की कमी आई है.
लव अग्रवाल, संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय (25 जून 2021)

डॉ. वीरापू कहते हैं, "लेकिन जाहिर है कि भारत के लिए कोरोना वायरस महामारी अभी खत्म नहीं हुई है. हम केवल वायरस के प्रसार और ट्रांसमिशन के गतिशीलता की भविष्यवाणी कर सकते हैं."

एक तेज टीकाकरण अभियान, COVID-उपयुक्त व्यवहार और बीमारी की रोकथाम के दूसरे उपाय निश्चित तौर पर मामलों को बढ़ने से रोकने या बढ़त की रफ्तार धीमी कर सकते हैं.

क्या डेल्टा वेरिएंट भारत में कोरोना की दूसरी लहर का कारण बना?

डॉ. वीरापू के मुताबिक ऐसा माना गया है कि भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर में तेजी के पीछे डेल्टा वेरिएंट का योगदान है. दूसरे कम हावी हुए वेरिएंट भी कोरोना की पीक के लिए जिम्मेदार रहे हैं.

इसके लिए न सिर्फ डेल्टा वेरिएंट की ज्यादा संक्रामक प्रकृति जिम्मेदार है बल्कि पहली लहर के थमने के साथ लोगों में सुरक्षा उपायों को लेकर की गई लापरवाही ने भी दूसरी लहर में मुख्य योगदान दिया.
डॉ. नागा सुरेश वीरापू, एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ लाइफ साइंसेज, शिव नादर यूनिवर्सिटी

भारत में अपेक्षित कोरोना की तीसरी लहर के बारे में क्या कहा जा सकता है?

मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में डिपार्टमेंट ऑफ इन्फेक्शियस डिजीज में कंसल्टेंट डॉ. माला कनेरिया कहती हैं, "गणितीय भविष्यवाणियां बताती हैं कि तीसरी लहर 12-16 हफ्तों में देखी जा सकती है."

डॉ. वीरापू कहते हैं कि भारत में कोरोना वायरस की तीसरी लहर आना अभी होने वाली एक संभावना है. जर्मनी, स्पेन और इटली वो देश हैं, जहां हाल ही में कोरोना की तीसरी का सामना किया गया है, जो इसके पूर्वानुमान का आधार प्रदान करते हैं. दुनिया के सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक ब्राजील ने पहले ही तीसरी लहर का सामना किया, जबकि ब्रिटेन में अब कोरोना की चौथी लहर बढ़ने के संकेत देखे जा रहे हैं.

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क्या कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट तीसरी लहर की वजह बनेगा?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस बात का अभी कोई सबूत नहीं है.

डॉ. माला कनेरिया बताती हैं, "हालांकि म्यूटेशन चिंताजनक हो सकते हैं, लेकिन यह याद रखना चाहिए कि कोरोना वायरस में हर समय म्यूटेशन होता है और फिलहाल, यह अनुमान लगाने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है कि यह म्यूटेंट क्या करेगा और संभावित तीसरी लहर में इसकी क्या भूमिका होगी."

डेल्टा प्लस वेरिएंट अपेक्षित तीसरी लहर में योगदान देगा या ये अधिक खतरनाक होगा, अभी मुख्य रूप से इसकी अटकलें हैं. कोई सबूत नहीं है.
डॉ. नागा सुरेश वीरापू, एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ लाइफ साइंसेज, शिव नादर यूनिवर्सिटी

डॉ. माला कनेरिया कहती हैं, "डेल्टा प्लस भारत में पहली बार खोजे गए डेल्टा वेरिएंट का एक उप-वंश है (sub-lineage) जिसमें K417N नाम का स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन है. ये म्यूटेशन दक्षिण अफ्रीका में पहली बार पहचाने गए बीटा वेरिएंट में भी पाया गया, जिसके इम्यून रिस्पॉन्स से बचने की आशंका रही."

उनके मुताबिक यह आशंका है कि डेल्टा प्लस अधिक संक्रामक हो सकता है, फेफड़ों के रिसेप्टर्स के साथ मजबूती से अटैच होने की क्षमता रखता है और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल ट्रीटमेंट के प्रतिरोध सहित शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं से भी बच सकता है.

कोरोना की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में क्या कोई अंतर देखा गया है?

डॉ. कनेरिया बताती हैं कि संक्रामकता, बीमारी की गंभीरता के संबंध में कोरोना की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर ज्यादा भयानक रही.

पूरे परिवार में कोरोना संक्रमण देखने को मिला, कम उम्र के लोग भी प्रभावित हुए, फेफड़ों पर तेजी से असर पड़ा, पेट से जुड़ी समस्याएं भी देखी गईं, टेस्टिंग में वायरस की पहचान न हो पाने जैसे मामले भी देखे गए.
डॉ. माला कनेरिया, कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ इन्फेक्शियस डिजीज, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई

जहां तक इलाज की बात है, तो इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं आया, सिवाय इसके कि वेंटिलेटर की जरूरत कम पड़ी.

दूसरी लहर में एक और महत्वपूर्ण अंतर COVID से जुड़े म्यूकोरमाइकोसिस (CAM-COVID associated Mucormycosis ) के मामले रहे हैं, जो पहले से ही बोझिल सिस्टम पर बोझ बने और जीवन रक्षक एंटिफंगल एम्फोटेरिसिन बी की कमी का कारण बने.
डॉ. माला कनेरिया, कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ इन्फेक्शियस डिजीज, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई

कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए क्या कदम उठाने होंगे?

डॉ. कनेरिया बताती हैं कि अपेक्षित तीसरी लहर का मुकाबला करने, इसकी शुरुआत में देरी के लिए और इस पर कंट्रोल के लिए जीनोमिक सिक्वेंसिंग मुख्य है.

म्यूटेशन का जल्दी पता लगाना, माइक्रोकंटेनमेंट का सहारा लेकर और क्लस्टर नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है.
डॉ. माला कनेरिया, कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ इन्फेक्शियस डिजीज, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई

वो कहती हैं, "चूंकि भारत में अभी भी उन लोगों का एक बड़ा अनुपात है, जो अतिसंवेदनशील हैं (जो संक्रमित नहीं हुए हैं और जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है), इसलिए हम कोई लापरवाही नहीं कर सकते हैं."

अधिक वैक्सीन डोज खरीदकर, लोगों तक इनकी पहुंच निश्चित कर टीकाकरण में तेजी लाना समय की जरूरत है. अगर हम इस महामारी की किसी और लहर से निपटना चाहते हैं, तो निकट भविष्य में COVID उपयुक्त व्यवहार से समझौता नहीं किया जा सकता है.

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