एक स्टडी के मुताबिक बच्चों के गंभीर रूप से बीमार होने या COVID-19 से मौत का समग्र जोखिम बेहद कम है.

बीबीसी ने बताया कि यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन, यॉर्क, ब्रिस्टल और लिवरपूल विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए अध्ययन से पता चला है कि बच्चों में अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु का जोखिम कम है.

उन्होंने कहा कि हालांकि, कई क्रोनिक बीमारियों और न्यूरो-विकलांगता वाले लोगों को सबसे अधिक जोखिम है.

टीम ने इंग्लैंड के सार्वजनिक स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया और पाया कि कोविड -19 से मरने वाले युवाओं में से लगभग 15 में जीवन-सीमित या अंतर्निहित स्थितियां थीं, जिनमें 13 जटिल न्यूरो-विकलांगता के साथ थे, जबकि छह में कोई अंतर्निहित स्थिति दर्ज नहीं थी.

इसके अलावा, 36 बच्चों की मृत्यु के समय कोविड टेस्ट पॉजिटिव था, लेकिन विश्लेषण से पता चला कि उनकी मौत अन्य कारणों से हुई. बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर मरने वालों की उम्र 10 साल से अधिक और वे ब्लैक व एशियन एथनिसिटी के थे.

फिलहाल आमतौर पर 18 से कम उम्र वालों को कोरोना वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है, भले ही उन्हें पहले से कोई बीमारी हो.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यूके के वैक्सीन सलाहकार समूह द्वारा इन निष्कर्षों पर विचार किया जा रहा है.

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प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर रसेल विनर के हवाले से कहा गया है कि बच्चों के टीकाकरण से संबंधित जटिल निर्णयों के लिए गहन शोध की आवश्यकता होती है. अमेरिका और इजराइल में बच्चों में स्टडीज से अपेक्षित डेटा को भी निर्णय लेते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि अगर पर्याप्त वैक्सीन मौजूद हो, तो इस स्टडी में सुझाव दिया गया है कि बच्चों के कुछ समूहों को कोविड वैक्सीन मिलने से लाभ हो सकता है.

रॉयल कॉलेज ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ और इंपीरियल कॉलेज लंदन से एलिजाबेथ व्हिटेकर ने कहा, "यह डेटा फरवरी 2021 तक का है. हमें उम्मीद है कि यह डेटा बच्चों, युवाओं और उनके परिवारों के लिए आश्वस्त करने वाला होगा."

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Published: 09 Jul 2021,07:25 PM IST

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