दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार, 5 नवंबर को देश की राजधानी में COVID-19 और एयर पॉल्यूशन के दोहरे खतरे के बारे में बताया.
आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार, 5 अक्टूबर की सुबह दिल्ली के प्रदूषण में करीब 42 फीसदी योगदान जलाई जाने वाली पराली का रहा.
बीते दिनों एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 से ऊपर गया- हवा की क्वालिटी 'बहुत खराब' से 'खतरनाक' कैटेगरी में रही. 5 अक्टूबर की सुबह हवा की क्वालिटी 'गंभीर' रही और AQI 452 रिकॉर्ड किया गया.
जैसा कि फिट ने इस आर्टिकल में बताया है, शुरुआती रिसर्च और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हुए अलग-अलग अध्ययनों ने प्रदूषित हवा और कोविड के बीच आनुपातिक संबंध का संकेत दिया है. सबसे उल्लेखनीय हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का एक इकोलॉजिकल अध्ययन है, जिसमें पीएम 2.5 के स्तर में मामूली वृद्धि को भी कोविड-19 से होने वाली मौतों में 8% की बढ़ोतरी से जुड़ा पाया गया.
दूसरी स्टडी में भी प्रदूषण और कोविड से जुड़ी ज्यादा मौतों के परस्पर संबंधों पर विचार किया है. उदाहरण के लिए, इटली, स्पेन, फ्रांस और जर्मनी में कोविड के घातक परिणाम के विश्लेषण से निष्कर्ष निकाला गया कि 78% मौतें उच्चतम नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2) की मौजूदगी वाले क्षेत्रों में थीं, जहां साथ ही हवा का कम प्रवाह प्रदूषक तत्वों को बिखर जाने से रोकता था.
यह भी जांच की जा रही है कि क्या वायु प्रदूषण नोवल कोरोना वायरस के फैलने को आसान बना सकता है और मामलों में तेज बढ़ोतरी कर सकता है. हालांकि इस तरह के संबंध का कोई सीधा सबूत नहीं है, लेकिन उत्तरी इटली के शुरुआती सबूत बताते हैं कि वायरस पार्टिकुलेट मैटर ( धूल कण) पर पाया जा सकता है, यह दर्शाता है कि यह खुद को वायु प्रदूषक कणों से जोड़ सकता है.
वैसे विशेषज्ञों का कहना है कि फिर भी कोई ठोस बयान जारी करने से पहले इस मामले में और अधिक शोध की जरूरत है.
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Published: 05 Nov 2020,03:28 PM IST