बायोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना ने घोषणा की है कि कंपनी ने एक नई स्टडी के तौर पर अपनी mRNA COVID-19 वैक्सीन बच्चों को दी है. स्टडी में इस वैक्सीन का प्रभाव बच्चों पर देखा जाएगा.

स्टडी को KidCOVE कहा गया है, इसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीज (NIAID), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) और बायोमेडिकल एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (BARDA) के साथ शुरू किया गया है.

इस स्टडी में 6 महीने से लेकर 12 साल से कम के 6,750 बच्चों को शामिल किया जाना है.

इसका क्या मतलब है? यह ट्रायल क्यों महत्वपूर्ण है? बच्चों को टीका कब से लगने लगेगा? जानिए बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल से जुड़े सवालों के जवाब.

अगर बच्चे कोरोना से सुरक्षित हैं, तो उन्हें वैक्सीन की जरूरत क्यों है?

हालांकि यह सच है कि अधिकांश बच्चे कोरोना वायरस से अपेक्षाकृत कम प्रभावित रहे हैं और कोरोना संक्रमण से बच्चों के बीमार होने की आशंका भी कम है.

ऑक्सफोर्ड में पीडियाट्रिक इन्फेक्शन के प्रोफेसर और ट्रायल के चीफ इन्वेस्टीगेटर एंड्रयू पोलार्ड ने एक बयान में कहा, "बच्चों और युवाओं में वैक्सीन की सेफ्टी और इम्यून रिस्पॉन्स लाना महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ बच्चों को वैक्सीनेशन का फायदा हो सकता है."

वैक्सीन विशेष रूप से उन जोखिम वाले बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होगी, जो अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं और जिसके कारण उन्हें कोरोना संक्रमण से गंभीर जटिलताओं की आशंका हो सकती है.

वहीं स्वस्थ बच्चों को वैक्सीन से अपने पहले की तरह जीवन में थोड़ी वापसी का मौका मिल सकता है.

कोरोना संक्रमित बच्चों में अक्सर कोई लक्षण नजर नहीं आते और जैसा कि आम तौर पर देखा जा रहा है कि सामाजिक दूरी के मानदंडों का पालन उतनी सख्ती से नहीं हो रहा, ऐसे में बच्चों को जरिए टीचर, पैरेंट्स और ग्रैंड पैरेंट्स को संक्रमण का जोखिम हो सकता है.

अगर बच्चों के लिए किसी वैक्सीन को मंजूरी दी जाती है, तो निकट भविष्य में बच्चे भी कोरोना टीकाकरण में शामिल हो सकेंगे.

बच्चों पर वैक्सीन टेस्ट करने की जरूरत क्यों है?

भले ही एक किशोर और एक युवा वयस्क के बीच बहुत अंतर नहीं है, फिर भी बच्चों में वयस्कों के समान सुरक्षा प्रोफाइल और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पाने के लिए वैक्सीन की डोज में अंतर होता है.

यह विशेष रूप से टॉडलर्स और शिशुओं के मामले में सच है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुई होती है.

यह सुनिश्चित करने के लिए टेस्टिंग जरूरी है कि वैक्सीन वयस्कों के लिए जितनी सुरक्षित है, उतनी ही सुरक्षित बच्चों और किशोरों के लिए भी है.

क्या बच्चों पर ट्रायल करना सुरक्षित है?

बच्चों पर जिन वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है, वो वही वैक्सीन हैं, जिन्हें वयस्कों के लिए सुरक्षित साबित किया जा चुका है.

ऐसा कहा जा रहा है कि अभी भी दुष्प्रभाव और एलर्जी प्रतिक्रियाओं की गुंजाइश है, जिन पर अनिवार्य रूप से ट्रायल में ध्यान दिया जा रहा है और ट्रायल पीरियड के दौरान इस पर बारीकी से निगरानी की जाएगी.

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बच्चों पर ट्रायल कैसे किए जाते हैं?

बच्चों पर होने वाले ट्रायल का सैंपल साइज वयस्कों के ट्रायल की तुलना में छोटा होता है और सैंपल में उतनी विविधता भी नहीं होती है.

Pfizer और Moderna 12 से 17 साल के लगभग दो से तीन हजार बच्चों पर ट्रायल कर रही हैं, ऑक्सफोर्ड 6 से 17 साल की आयु के बीच के 300 से अधिक वॉलंटियर्स के साथ ट्रायल शुरू कर रहा है.

ऑक्सफोर्ड के ट्रायल में 300 वॉलंटियर्स में से 260 को असल कोविड वैक्सीन दी जाएगी, और बाकी - कंट्रोल ग्रुप को कंट्रोल्ड मेनिन्जाइटिस (ब्रेन फीवर) शॉट्स दिए जाएंगे.

इसके लिए माता-पिता की लिखित सहमति के अलावा, बच्चों को भी सभी ट्रायल में भाग लेने के लिए सहमति देनी होगी.

कौन लोग ट्रायल में हिस्सा लेने के योग्य हैं?

ट्रायल में भाग लेने के लिए,

  • वॉलंटियर की उम्र 12 से 17 साल के बीच होनी चाहिए

  • इससे पहले कोरोना संक्रमण न हुआ हो

  • सेहत अच्छी हो

  • पिछले एक महीने में अमेरिका से बाहर न जाना हुआ हो

  • पिछले महीने में किसी दूसरे ट्रायल में हिस्सा न लिया हो

  • स्मोकिंग की कोई हिस्ट्री न हो और अभी भी स्मोकिंग न करता हो

क्या भारत में भी बच्चों पर ट्रायल होगा?

भारत बायोटेक को 2 से 18 वर्ष के बीच के बच्चों पर क्लीनिकल वैक्सीन ट्रायल करने की मंजूरी दी गई है और टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक संभव है कि फरवरी के अंत तक या मार्च की शुरुआत में नागपुर में ये शुरू कर दिया जाएगा.

ट्रायल के डिटेल की घोषणा होना बाकी है.

बच्चों के लिए टीका कब उपलब्ध होगा?

ये इस पर निर्भर करता है कि क्लीनिकल ट्रायल कैसे जाते हैं. उम्मीद है कि बच्चों और टीनएजर के लिए कोरोना वैक्सीन इस गर्मी में या 2022 के मध्य तक आ जाए.

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Published: 17 Feb 2021,08:30 PM IST

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