राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोविड-19 से मौतें बढ़ रही हैं. कोरोना से मौतों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर बीते 19 नवंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा, "हमें बहुत निराशा होती है ये जानकर कि राष्ट्रीय राजधानी में मरने वालों की संख्या एक दिन में 131 तक पहुंच गई. रात भर चिताएं जल रही हैं. श्मशान घाट मृतकों से भरा पड़ा है. क्या आप समझ रहे हैं क्या स्थिति है?"

राष्ट्रीय राजधानी में अब (11 नवंबर से) लगातार दस दिनों से 90 से अधिक कोरोना रोगियों की मौत हो रही है. 18 नवंबर को दिल्ली कोरोना बुलेटिन के अनुसार राजधानी में 24 घंटे में सबसे ज्यादा 131 मौतें हुईं. ये देश में उस दौरान दर्ज कुल COVID मौतों (585) का 22.39 प्रतिशत था.

(कार्ड: फिट/श्रुति माथुर)

इसकी तुलना दिल्ली में पिछले COVID पीक के दौरान हुई मौतों से करें. 23 जून को, जब शहर में 3,947 नए मामले देखे गए, 68 मौतें दर्ज की गईं. 16 सितंबर को, 24 घंटे में 4,473 मामले और 33 मौतें दर्ज की गईं.

हालांकि 18 नवंबर के मुकाबले कुल मामलों में होने वाली मौतों का अनुपात पिछले पीक में अधिक था.

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में रोजाना होने वाली मौतों में से 25% से अधिक मौतें भर्ती होने के 72 घंटों के भीतर हो रही हैं, जो जून-जुलाई के दौरान 60% मौतों से कम है.

(कार्ड: फिट/श्रुति माथुर)

ज्यादा मौतों की वजह क्या है?

राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस डिजीज से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी क्यों हो रही है, इसकी संभावित वजहों के बारे में जानने के लिए फिट ने कुछ डॉक्टरों से बात की, जिसमें ये बातें सामने आईं:

  • ज्यादा मामलों के कारण अधिक संख्या में मौतें हुई हैं
  • सावधानियां बरतने में चूक या लापरवाही
  • त्योहारी सीजन
  • प्रदूषण से COVID बदतर होना
  • सर्दियों का मौसम सांस की बीमारियों को बढ़ा देता है
  • देर से हॉस्पिटल पहुंचना

फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग में क्रिटिकल केयर यूनिट के प्रमुख डॉ पंकज कुमार कहते हैं, “दिल्ली में एक बार में कई कारक काम करते हैं. सब कुछ खुला है- सभी बाजार और मॉल, लोग कम सावधानी बरत रहे हैं. वे अब वायरस से डरते नहीं हैं. दिल्ली में जनसंख्या घनत्व भी अधिक है, जिससे ट्रांसमिशन आसान हो जाता है और अधिक संख्या में मामले सामने आते हैं. प्रदूषण और कम तापमान से स्थिति और बिगड़ रही है.”

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बचाव के उपायों में लापरवाही, पॉल्यूशन, सर्दी

इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर से डॉ विजय दत्ता कहते हैं,

सबसे महत्वपूर्ण कारण त्योहारी सीजन के दौरान और सामाजिक समारोहों में फिजिकल डिस्टेन्सिंग और दूसरे एहतियाती उपायों का पालन न किया जाना है. इसके अलावा, दिवाली से पहले प्रदूषण के ऊंचे स्तर ने स्वस्थ लोगों में भी सांस लेने की समस्याओं और दूसरी रेस्पिरेटरी दिक्कतें करने में योगदान दिया और कोरोना संक्रमित होने वालों में सांस की समस्याओं में वृद्धि हुई, विशेष रूप से उन लोगों में जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं.

सीनियर डायरेक्टर (क्रिटिकल केयर) और एसोसिएट डायरेक्टर (इंटरनल मेडिसिन) मैक्स हॉस्पिटल, साकेत के डॉ अरुण दीवान भी दिल्ली में अधिक संख्या में मामलों और मृत्यु में वृद्धि के बीच संबंध की ओर इशारा करते हैं.

“वायु प्रदूषण और सर्दियों के मौसम ने हाई रिस्क वाले रोगियों के फेफड़ों को ज्यादा कमजोर किया, जिससे बीमारी और गंभीर हुई. यहां ध्यान देने वाली एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जब से घर में आइसोलेट होने के दिशानिर्देश आए हैं, तब से लोग हॉस्पिटल पहुंचने में देरी कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह सब घर पर ही मैनेज किया जा सकता है.”
डॉ अरुण दीवान

डॉ दीवान कहते हैं कि हमें ये समझना चाहिए, रेस्पिरेटरी दिक्कतें महसूस होने और ऑक्सीजन लेवल गिरने पर घर पर रखे ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे कुछ घंटे रहा जा सकता है. हर घंटे बीतने के साथ स्थिति बिगड़ सकती हैं, सीवियर रेस्पिरेटरी फेल्योर और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है.

लोग हॉस्पिटल तब पहुंचते हैं जब चीजें पहले ही हाथ से निकल चुकी होती हैं. अस्पतालों पर बहुत बोझ है और अंतिम क्षण में बेड पाना मुश्किल हो जाता है.
डॉ अरुण दीवान

होली फैमिली हॉस्पिटल में क्रिटिकल केयर के प्रमुख डॉ सुमित रे कहते हैं, "एक अवलोकन यह है कि ज्यादा बुजुर्ग संक्रमित हो रहे हैं. लोग लापरवाह हो कर घूम रहे हैं, मुमकिन है कि ज्यादा बुजुर्ग इसके संपर्क में आ रहे हों. जैसा कि हम जानते हैं, इससे बुजुर्गों में जटिलताओं और मौत का अधिक रिस्क है. उदाहरण के लिए, हमारे अस्पताल में, हमने पिछले कुछ हफ्तों में केवल 55 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की मृत्यु दर्ज की है."

“मौत की वजह उम्र, प्रदूषण, मधुमेह, सर्दी का एक कॉम्बिनेशन हो सकता है - सभी एक साथ आ रहे हैं - जैसा कि हमने H1N1 जैसे दूसरे सांस के संक्रमणों के साथ भी देखा है.”
डॉ सुमित रे

डॉ रे बताते हैं कि सर्दी और त्योहारी सीजन के मद्देनजर दूसरे शहरों जैसे अहमदाबाद, सूरत या राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी स्थिति बिगड़ सकती है.

इन शहरों ने पहले से ही प्रसार को नियंत्रित करने के लिए उपाय करना शुरू कर दिया है. उदाहरण के लिए, अहमदाबाद में शुक्रवार, 20 नवंबर की रात से सोमवार, 23 नवंबर सुबह तक पूर्ण रूप से कर्फ्यू रहेगा, केवल दूध बेचने वाली दुकानें और दवा की दुकानें खुलेंगी और उसके बाद रात का कर्फ्यू जारी रहेगा. केंद्र ने कोरोना मामलों में दैनिक वृद्धि को देखते हुए हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और मणिपुर में हाई लेवल टीमों को भेजा है.

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Published: 20 Nov 2020,04:31 PM IST

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