यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने एप्रेट्यूड इंजेक्शन को स्वीकृति दे दी. यह प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीआरईपी) के लिए एचआईवी रोकथाम की दवा है.

पीआरईपी आमतौर पर उन व्यक्तियों को इक्स्पोशर से पहले दिया जाता है, जिन्हें एचआईवी का खतरा हो. एप्रेट्यूड, पहला इंजेक्टेबल पीआरईपी है.

"आज की स्वीकृति एचआईवी महामारी को समाप्त करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है. यह एचआईवी को रोकने का पहला ऐसा विकल्प है, जिसमें हर दिन दवा नहीं खानी पड़ती है," एफडीए के सेंटर फॉर ड्रग इवैल्यूएशन एंड रिसर्च में डिवीजन ऑफ एंटीवायरल की निदेशक, डेबरा बर्नक्रांट, एम.डी., ने बीते शुक्रवार को यूएस के एफडीए को दिए गए एक बयान में कहा.

इंजेक्टेबल क्या होते हैं

यूएस के एफडीए द्वारा जारी किए गए एक बयान के अनुसार, एप्रेट्यूड, जो ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन की काबोटेग्राविर नामक दवा का एक एक्स्टेंडेड-रिलीज़ इंजेक्टेबल सस्पेन्शन है, उन लोगों के लिए बनाया गया है, जिन्हें यौन संचारित एचआईवी होने का अधिक खतरा है. यह वयस्कों और किशोरों, दोनों के लिए एक निवारक उपचार है पर, व्यक्ति का वजन 35 किलोग्राम से अधिक होना चाहिए.

एप्रेट्यूड का पहले एक महीने के अंतराल पर दो इंजेक्शन और फिर हर दो महीने पर एक इंजेक्शन लेना होता है.

एचआईवी पीआरईपी के लिए रोज़ाना एक बार दी जाने वाली मौखिक दवा ट्रुवाडा की तुलना में एप्रेट्यूड की प्रभावशीलता मापने के लिए दो रेंडोमाइज्ड, डबल-ब्लाइंड क्लिनिकल परीक्षण किए गए.

परीक्षणों में असंक्रमित सिसजेंडर पुरुष, ट्रांसजेंडर महिलाएं और सिसजेंडर महिलाओं को शामिल किया गया था, जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं और जिन्हें एचआईवी होने का अधिक खतरा रहता है.

इंजेक्टेबल दवा एचआईवी मरीज़ों पर असरदर पाई गई 

(फ़ोटो: iStock)

पहले परीक्षण में, जिसमें 4,566 सिसजेंडर पुरुष और ट्रांसजेंडर औरतें शामिल थी, दिखा कि एप्रेट्यूड लेने वाले प्रतिभागियों में एचआईवी से संक्रमित होने की संभावना, ट्रुवाडा लेने वाले प्रतिभागियों की तुलना में, 69 प्रतिशत कम थी.

वहीं, दूसरे परीक्षण में, जिसमें 3,224 सिसजेंडर महिलाएं शामिल थी, एप्रेट्यूड को संक्रमण के खतरे को 90 प्रतिशत तक कम करते देखा गया.

यह पीआरईपी गोलियों से कैसे भिन्न है?

हालाकि यूएस की एफडीए एचआईवी की रोकथाम में पीआरईपी की भूमिका को मानता है, वह यह भी स्वीकार करता हैं कि अभी और सुधार की गुंजाइश है. इस संदर्भ में एप्रीट्यूड बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.

पीआरईपी उपचारों की एक कमी यह है कि इनके काम करने के लिए मौखिक गोलियों की एक दैनिक खुराक के नियम की कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता होती है.

एप्रेट्यूड पूरी प्रक्रिया को थोड़ा कम परेशानी भरा बनाता है क्योंकि इसमें दो महीने में केवल एक बार शॉट लेने की आवश्यकता होती है.

यूएस के एफडीए ने अपने बयान में कहा, "आशा की जाती है कि लंबे समय तक काम करने वाले पीआरईपी इंजेक्शन के विकल्प की उपलब्धता से पीआरईपी को अधिक मान्यता मिलेगी और उनके प्रयोग में वृद्धि होगी."

"हर दो महीने में दिया जाने वाला यह इंजेक्शन, अमेरिका में एचआईवी महामारी को रोकने के लिए महत्वपूर्ण होगा. इससे उन उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों और समूहों को मदद मिलेगी जिसमें दैनिक दवा का पालन एक बड़ी चुनौती रही है या यथार्थवादी विकल्प नहीं रहा है."
डेबरा बर्नक्रांट, एम.डी., एफडीए के सेंटर फॉर ड्रग इवैल्यूएशन एंड रिसर्च में एंटीवायरल डिवीजन की निदेशक

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