मुंबई और बेंगलुरु में दोबारा कोरोना संक्रमण होने के एक-एक मामले का पता चला है.

मुंबई के सिऑन हॉस्पिटल में काम करने वाले एक डॉक्टर जिन्हें करीब 2 महीने पहले कोरोना संक्रमण हुआ था, उन्हें फिर से कोरोना पॉजिटिव पाया गया.

कर्नाटक में कोरोनो वायरस संक्रमण का पहला ऐसा मामला सामने आया, जिसमें एक 27 वर्षीय महिला को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद फिर से कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाया गया.

वहीं हॉन्गकॉन्ग में वैज्ञानिकों ने 24 अगस्त को 33 साल के एक व्यक्ति के नोवल कोरोना वायरस से दूसरी बार संक्रमित होने की बात कही थी. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ये व्यक्ति पहली बार मार्च में कोरोना से संक्रमित हुआ था और करीब साढ़े 4 महीने बाद उसकी रिपोर्ट फिर से कोरोना पॉजिटिव आई है.

पहली बार संक्रमण के दौरान इस शख्स में खांसी, बुखार, गला खराब और सिर दर्द जैसे लक्षण दिखे थे जबकि दूसरी बार कोई लक्षण नहीं आए.

येल यूनिवर्सिटी की इम्यूनोलॉजिस्ट अकीको इवासाकी ने इस रिपोर्ट पर न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, "दूसरा संक्रमण पूरी तरह से एसिम्टोमैटिक था - व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (इम्यून रिस्पॉन्स) ने बीमारी को और अधिक बिगड़ने से रोक दिया. यह एक तरह का किताबी उदाहरण है कि इम्यून सिस्टम कैसे काम करना चाहिए.”

दुनिया भर से संभावित दोबारा संक्रमण की कई रिपोर्ट

दुनिया भर से संभावित दोबारा संक्रमण की कई रिपोर्टें आई हैं, जैसा कि फिट ने पहले भी रिपोर्ट किया था, लेकिन इस तरह के अपेक्षाकृत 'दुर्लभ' मामलों के लिए कई वैकल्पिक व्याख्याएं की गईं, जिसमें टेस्टिंग में गलती या ठीक हुए लोगों में वायरल फ्रैगमेंट की मौजूदगी को शामिल किया गया.

हालांकि हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने दोनों बार संक्रमण के वायरस को सिक्वेंस किया और उन्हें ‘बिल्कुल अलग’ पाया.

रिसर्चर्स ने कहा, "COVID-19 से ठीक होने के बाद दोबारा संक्रमण का ये दुनिया में पहला साबित हुआ मामला है."

क्या कोरोना के दोबारा संक्रमण को लेकर हमें चिंतित होने की जरूरत है?

इसका स्पष्ट जवाब नहीं है क्योंकि ऐसे मामले बहुत कम हैं, जब रिसर्चर्स ने दोनों बार संक्रमण को लेकर वायरस को सिक्वेंस किया हो. लेकिन जिस तरह दुनिया भर में लाखों लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं और वहीं दोबारा संक्रमण की पुष्टि का ये पहला मामला है, ऐसे में हालात उतने चिंताजनक नहीं लगते हैं.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) का कहना है कि एक मरीज के मामले से सीधा किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जाना चाहिए. हमें पॉपुलेशन लेवल पर ये चीज देखनी चाहिए. विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि दोबारा संक्रमण होना बेहद दुर्लभ है और यह अधिक गंभीर हो ऐसा भी नहीं है.

इसके अलावा, चूंकि दूसरी बार संक्रमण के दौरान मरीज में कोई लक्षण दिखाई नहीं दिए, इसका मतलब है कि इम्यून सिस्टम सुरक्षा दे सकता है, भले ही यह संक्रमण को पूरी तरह से रोक न सके.
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इस मामले से परिचित हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी के एक वायरोलॉजिस्ट मलिक पीरिस ने STAT न्यूज को बताया, "यह तथ्य कि किसी को दोबारा इन्फेक्शन हो सकता है, ताज्जुब की बात नहीं है, लेकिन दोबारा संक्रमण बीमारी पैदा नहीं करता और ये यह पहला बिंदु है. दूसरी बात ये जानना जरूरी है कि मरीज ने पहले संक्रमण के प्रति एंटीबॉडी प्रतिक्रिया हासिल की या नहीं क्योंकि जितना हमने देखा है रोगियों में एक अच्छी एंटीबॉडी प्रतिक्रिया होती है. तो क्या इस शख्स में कुछ अलग हुआ?"

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में डॉ इवासाकी ने कहा कि पहले संक्रमण के बाद उस आदमी में कोई एंटीबॉडी नहीं थी, लेकिन दूसरी बार एंटीबॉडी प्रोड्यूस हुई.

हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ केल्विन काई-वांग टू ने कुछ लोगों में दूसरी बार अधिक गंभीर संक्रमण की आशंका पर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा, "अभी भी आशंका है कि दूसरा संक्रमण बदतर हो सकता है."

एक बार संक्रमित होने के बाद कोई कब तक कोरोना से सुरक्षित रह सकता है?

इसका भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं है. जैसे-जैसे दोबारा संक्रमण के मामले सामने आएंगे, वायरस के संपर्क में आने से उत्पन्न होने वाली प्रतिरक्षा और उसके प्रकार की अनिश्चितता बनी रहेगी.

अब तक, यह पाया गया है कि ठीक हुए ज्यादातर लोगों के इम्यून रिस्पॉन्स में एंटीबॉडी और T कोशिका दोनों शामिल हैं, जो कुछ समय के लिए सुरक्षा का संकेत देते हैं.

आम सर्दी का कारण बनने वाले मौसमी कोरोना वायरस के लिए प्रतिरक्षा कम समय के लिए रहती है, भले ही एंटीबॉडी की संख्या अधिक हो, यही वजह है कि एक आम सर्दी अधिक होती है.

WHO वैन केरखोव ने कहा, "हम संक्रमण के बारे में जो सीख रहे हैं, वह यह है कि लोग प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित करते हैं और जो अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, वो ये है कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कितनी मजबूत होती है और कितनी देर तक चलती है." उन्होंने कहा कि वह अभी भी हॉन्गकॉन्ग मामले की समीक्षा कर रही हैं.

COVID-19 वैक्सीन के लिए दोबारा संक्रमण का क्या मतलब है?

वैक्सीन कितने समय के लिए प्रभावी होगी और लोगों को कितनी बार इसके खुराक की जरूरत होगी, इसके नतीजे पर पहुंचने के लिए ये (दोबारा संक्रमण जैसी) बातें महत्वपूर्ण हैं. इसका मतलब ये भी हो सकता है कि जो लोग एक बार ठीक हो चुके हैं, उन्हें भी टीका लगवाना पड़ सकता है.

डॉ. इवासाकी कहती हैं कि हर्ड इम्यूनिटी के लिए वैक्सीन की आवश्यकता है, जो दोबारा संक्रमण और बीमारी दोनों से बचाए.

वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई में वैक्सीन महत्वपूर्ण है, लेकिन COVID-19 के प्रति इम्यूनिटी और यह कितने समय तक रहती है, इसे लेकर उभरते सवालों के साथ हमें दूसरी सभी सावधानियों जैसे हाथ धोना और मास्क पहनने को लेकर कोई लापरवाही नहीं करनी चाहिए.

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Published: 25 Aug 2020,03:45 PM IST

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